भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने सोमवार को न्यूयॉर्क में बंद कमरे में इमरजेंसी बैठक की। यह बैठक पाकिस्तान के अनुरोध पर बुलाई गई थी। पाकिस्तान वर्तमान में 15 सदस्यीय परिषद का अस्थायी सदस्य है। हालांकि, डेढ़ घंटे तक चली इस बैठक का कोई आधिकारिक बयान या नतीजा सामने नहीं आया। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने इस तनाव को “पिछले कई वर्षों में सबसे गंभीर” बताते हुए दोनों देशों से अधिकतम संयम बरतने की अपील की।
यह बैठक जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद पैदा तनाव के मद्देनजर हुई। आतंकियों के इस हमले में 26 लोगों की जान गई थी, जिनमें एक नेपाली नागरिक भी शामिल था। भारत ने इस हमले के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया और जवाबी कार्रवाई में सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया, पाकिस्तान से आयात पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया और भारतीय बंदरगाहों में पाकिस्तानी जहाजों के प्रवेश पर रोक लगाने जैसे कड़े कदम उठाए।
पाकिस्तान ने इस हमले में अपनी भूमिका से इनकार करते हुए एक “तटस्थ और पारदर्शी” जांच की मांग की है। हालांकि, भारत ने इसे पाकिस्तान की ओर से ध्यान भटकाने की कोशिश करार दिया। UNSC ने पहलगाम हमले की निंदा करते हुए कहा था कि इसके लिए जिम्मेदार आतंकियों, आयोजकों, वित्तपोषकों और प्रायोजकों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।
सोमवार को बंद कमरे की बैठक ग्रीस की अध्यक्षता में हुई, जो मई माह के लिए UNSC की अध्यक्षता कर रहा है। बैठक में मध्य पूर्व, एशिया और प्रशांत मामलों के सहायक महासचिव खालेद मोहम्मद खियारी ने परिषद को स्थिति की जानकारी दी। गुतारेस ने बैठक से पहले प्रेस से कहा, “मुझे भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव का यह उबाल दुखी कर रहा है। नागरिकों को निशाना बनाना अस्वीकार्य है, और इसके जिम्मेदार लोगों को विश्वसनीय और कानूनी तरीकों से न्याय के कटघरे में लाया जाना चाहिए।” उन्होंने सैन्य टकराव से बचने और कूटनीति के जरिए तनाव कम करने की पेशकश भी की।
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि असिम इफ्तिखार अहमद ने बैठक के बाद पत्रकारों से कहा कि उनका उद्देश्य परिषद के सदस्यों के साथ क्षेत्रीय सुरक्षा और बढ़ते तनाव पर विचार-विमर्श करना था। उन्होंने जम्मू-कश्मीर की स्थिति को तनाव का कारण बताया और भारत पर सैन्य उकसावे का आरोप लगाया।
भारत ने इस बैठक को पाकिस्तान की “नेरेटिव बनाने की कोशिश” करार देते हुए कहा कि इससे कोई ठोस नतीजा नहीं निकलेगा। भारत के पूर्व UN स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने कहा, “ऐसी चर्चा, जहां संघर्ष का एक पक्ष परिषद की सदस्यता का इस्तेमाल अपनी छवि बनाने के लिए करता है, से कोई महत्वपूर्ण परिणाम की उम्मीद नहीं की जा सकती।”
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने UNSC के सभी सदस्यों (चीन और पाकिस्तान को छोड़कर) और गुतारेस से बात की, जिसमें उन्होंने पहलगाम हमले के दोषियों को न्याय के कटघरे में लाने की भारत की प्रतिबद्धता दोहराई। भारत ने UNSC में अपनी बात रखने के लिए रूस, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और अन्य गैर-स्थायी सदस्यों पर भरोसा जताया था।
पाकिस्तान ने पूरे मामले को क्षेत्रीय और ग्लोबल शांति के लिए खतरे के रूप में पेश किया, लेकिन उसकी रणनीति को चीन के समर्थन के बावजूद ज्यादा तवज्जो नहीं मिली। इससे पहले, UNSC के पहलगाम हमले की निंदा वाले बयान में पाकिस्तान और चीन ने भारत सरकार के साथ सहयोग की विशिष्ट मांग को हटवाने की कोशिश की थी, जो 2019 के पुलवामा हमले के बयान में शामिल थी।
UNSC की यह बैठक बिना किसी बयान या प्रस्ताव के समाप्त हुई, जैसा कि 2019 में जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को हटाने के बाद चीन के अनुरोध पर हुई बैठक में भी हुआ था। भारत ने इसे अपनी कूटनीतिक जीत के रूप में देखा, क्योंकि परिषद के अधिकांश सदस्य इस मुद्दे को भारत-पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय मामला मानते हैं।
हालांकि, गुतारेस ने दोनों देशों से संयम बरतने और शांति के लिए कूटनीति अपनाने की अपील दोहराई। विशेषज्ञों का मानना है कि यह तनाव क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरा बना हुआ है, और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजर अब भारत और पाकिस्तान की अगली कूटनीतिक चालों पर टिकी है।