महिला अपने नौ महीने के बच्चे को स्कूटर लेकर जा रही थी। एक आदमी उसका रास्ता रोके खड़ा था। महिला ने हटने का अनुरोध करते हुए ‘Excuse Me’ कहा और आदमी मार-पिटाई करने लगा। घटना है मुंबई के पास डोंबिवली इलाक़े की जहां महिला के साथ सिर्फ़ इसलिए घटिया हरकतें की गईं कि उसने मराठी की जगह अंग्रेजी में रास्ता मांगा था।
घटना मंगलवार सुबह की है। दो महिलाएँ स्कूटर से अपने घर की सोसाइटी में दाखिल हो रही थीं। एक महिला की गोद में उसका बेहद छोटा नौ महीने का बच्चा था। उनकी सोसाइटी के गेट पर एक आदमी रास्ता रोके खड़ा था। दोनों महिलाओं ने आम शिष्टाचार निभाते हुए उस आदमी से Excuse Me कहते हुए रास्ता देने को कहा। उस आदमी को महिलाओं का अंग्रेजी में इस तरह रास्ता मांगना जाने क्यों चुभ गया! वह महिलाओं से बहस करने लगा और उनपर दवाब डालने लगा कि वे मराठी में रास्ता मांगें।
जब औरतों ने उसकी बात मानने से इनकार किया तो उसने स्कूटर पर पीछे बैठी महिला का हाथ मरोड़ दिया। इसके बाद आदमी के परिवार के भी कुछ लोग आ गये। उन लोगों ने मार-पिटाई शुरू कर दी। घटना के प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक़ वह आदमी भी वहीं आस-पास रहता है। महिलाओं की हिन्दीभाषी पहचान से अच्छी तरह से वाकिफ है। महिला का नाम पूनम अंकित गुप्ता बताया जा रहा है।
मारपीट होते ही घटना का वीडियो वायरल हो गया। जिसके बाद स्थानीय पुलिस भी हरकत में आ गई। इस मामले की जांच जारी है। इस बारे में विष्णुनगर पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ निरीक्षक संजय पवार ने आशंका जताई कि यह घटना किसी पुराने विवाद की वजह से भी हो सकती है।
मराठी बोलने को लेकर बढ़ा हंगामा!
गौर करने वाली बात है कि पिछले कुछ समय से महाराष्ट्र में मराठी बोलने को लेकर विवाद बढ़ गया है। पिछले हफ्ते भी कुछ मारपीट की घटनाएं सामने आई थीं जब महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के लोगों ने अलग-अलग जगहों पर लोगों से मराठी बोलने को लेकर मारपीट की थी। उन्होंने एक नेशनल बैंक के मैनेजर को धमकी दी थी। उनके दफ्तर में चीजों को उलट-पलट दिया था।
एक अन्य बैंक में एक अधिकारी के यह समझाने पर कि बैंक में भाषा को लेकर दुराग्रह नहीं हो सकता तो मनसे के लोगों ने बैंक के अधिकारी पर थप्पड़ चला दिया था।
वहीं, एक जगह एक गार्ड को भी मराठी में जवाब न देने पर पीटा गया था। इन सभी घटनाओं के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गये थे। मनसे के कार्यकर्ताओं की कथित ‘गुंडागर्दी’ के बाद बैंक यूनियनों ने इस पर मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस को पत्र लिखा था। उन्होंने पत्र लिखकर डर और अवांछित दबाव की शिकायत की थी। हालाँकि बाद में राज ठाकरे ने अपने कार्यकर्ताओं से इस मराठी आंदोलन को रोकने को कहा था।
हैरत करने वाली बात यह है कि इस मराठी भाषा-वाद को हवा भी राज ठाकरे ने ही दी थी। 30 मार्च को गुड़ी पड़वा रैली में मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने मराठी भाषा को सरकारी कामकाज में अनिवार्य करने की मांग दोहराई थी। इसके बाद से पार्टी कार्यकर्ताओं ने अपने आंदोलन को तेज कर दिया था। उन्होंने भिन्न बैंकों का दौरा किया था। स्कूलों में धमकियाँ दी थीं।
पिछली त्रासद यादें ताजा!
महिला के साथ हुई मारपीट की घटना और बाकी सभी हालिया घटनाओं ने 2008 की त्रासदियों की याद ताज़ा कर दी है। उस समय भी मराठी बोलने को लेकर काफी हंगामा हुआ था। मनसे कार्यकर्ताओं ने हिन्दी भाषी लोगों को काफी निशाना बनाया था। साथ ही रेलवे भर्ती परीक्षा में शामिल होने आए उत्तर प्रदेश और बिहार के छात्रों पर हमला कर दिया था, यह तर्क देते हुए कि महाराष्ट्र में नौकरियाँ पहले स्थानीय युवाओं को मिलनी चाहिए। इसके साथ इस घटना की पूरे देश में कड़ी आलोचना हुई थी।
हालिया घटनाओं से महाराष्ट्र में रह रहे अन्य प्रदेश के लोगों में डर फैलने की काफ़ी संभावना है। इस घटना ने यह भी सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या अब आम व्यवहार में भी हमेशा भाषा को लेकर सतर्क रहना होगा यह राजनीति की कैसी क्रूरता है कि उसे गोद का बच्चा भी नहीं दिखता है
बहरहाल, इस मुद्दे पर सरकार और प्रशासन की प्रतिक्रिया का इंतज़ार है।
(रिपोर्ट: अणु शक्ति सिंह)