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    Home » मस्क के ‘एप्सटीन फ़ाइल्स बम’ से क्यों घबराये ट्रंप?
    भारत

    मस्क के ‘एप्सटीन फ़ाइल्स बम’ से क्यों घबराये ट्रंप?

    Janta YojanaBy Janta YojanaJune 9, 2025No Comments6 Mins Read
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    अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और टेस्ला और स्पेसएक्स जैसी कंपनियों के मालिक एलन मस्क के बीच शुरू हुए विवाद में एप्सटीन फ़ाइल्स का ज़िक्र आ जाने से सनसनी फैल गयी है। यौन अपराधी होकर छह साल पहले जेल में मरे पाये गये जेफरी एप्सटीन से कभी ट्रंप के क़रीबी रिश्ते थे और एफ़बीआई की जाँच में बहुत कुछ ऐसा है जो उन्हें असहज कर सकता है। ट्रंप के क़रीबी दोस्त से दुश्मन बनने की राह पर चलते हुए मस्क इतने आगे निकल जायेंगे, इसकी कल्पना किसी ने नहीं की थी। लेकिन मस्क ने तकनीकी क्षेत्र की तरह राजनीतिक क्षेत्र में भी धमाके करने की अपनी आदत छोड़ी नहीं है। वैसे, अमेरिकी राष्ट्रपति से अमेरिका का कोई कारोबारी धमकाने की शैली में बात करे, ये दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र के नये हाल का पता भी है।

    मस्क-ट्रंप का विवाद

    पिछले कुछ दिनों से दुनिया के दो सबसे प्रभावशाली लोग- एलन मस्क और डोनाल्ड ट्रंप- सोशल मीडिया पर एक-दूसरे के खिलाफ तीखी जंग लड़ रहे हैं। 2024 के राष्ट्रपति चुनाव में मस्क ने ट्रंप की जीत के लिए लगभग 300 मिलियन डॉलर ख़र्च किए थे और ट्रंप ने उन्हें डिपार्टमेंट ऑफ़ गवर्नमेंट एफिशिएंसी (DOGE) का प्रमुख नियुक्त किया था। लेकिन हाल ही में इनकी दोस्ती में दरार पड़ गई और वे ट्रंप की टीम से बाहर हो गये। ट्रंप ने धमकी दी कि मस्क की कंपनी को मिले तमाम सरकारी ठेके निरस्त किये जा सकते हैं। उधर, मस्क ने एक्स पर एक सनसनीखेज दावा किया कि ट्रंप का नाम ‘एप्सटीन फाइल्स’ में है। इस दावे ने दोनों के बीच तनाव को और बढ़ा दिया।

    जेफरी एप्सटीन कौन था?

    जेफरी एप्सटीन एक अमेरिकी फाइनेंसर और अरबपति था। उसे एक कुख्यात यौन अपराधी के रूप में भी जाना जाता है। 2000 के दशक में उस पर नाबालिग लड़कियों के यौन शोषण और सेक्स ट्रैफिकिंग के गंभीर आरोप लगे। एप्सटीन के निजी जेट को “लोलिता एक्सप्रेस” कहा जाता था, और यूएस वर्जिन आइलैंड्स का लिटिल सेंट जेम्स द्वीप (जिसे “पेडोफाइल आइलैंड” भी कहा गया), उसके कथित अपराधों का केंद्र था। “लोलिता” नाम व्लादिमीर नाबोकोव के विवादास्पद उपन्यास से लिया गया है, जो एक वयस्क पुरुष और एक नाबालिग लड़की के रिश्ते की कहानी है।
    2008 में फ्लोरिडा में एप्सटीन को दोषी ठहराया गया, लेकिन केवल 13 महीने की हल्की सजा मिली। 2019 में नए आरोपों के बाद गिरफ्तारी हुई और न्यूयॉर्क की जेल में उनकी मृत्यु हो गई। इसे आत्महत्या कहा गया, लेकिन कई लोग इसे संदिग्ध मानते हैं और हत्या की साजिश की बात करते हैं।

    एप्सटीन फाइल्स क्या हैं?

    एप्सटीन फाइल्स अमेरिकी जस्टिस डिपार्टमेंट और FBI के वे दस्तावेज हैं, जो एप्सटीन की जांच से जुड़े हैं। इनमें शामिल हैं:
    • कोर्ट रिकॉर्ड
    • गवाहों के बयान
    • फ्लाइट लॉग्स
    • कॉन्टैक्ट लिस्ट
    • कॉल रिकॉर्ड
    • वीडियो
    इन फाइल्स में कई बड़े नाम सामने आए हैं, जैसे पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन, ब्रिटेन के प्रिंस एंड्रयू, और डोनाल्ड ट्रंप। जनवरी 2024 में वर्जिनिया गिफ्रे के मुकदमे से जुड़े कुछ दस्तावेज सार्वजनिक हुए और फरवरी 2025 में अटॉर्नी जनरल पाम बॉन्डी ने और दस्तावेज जारी किए। लेकिन कई फाइल्स अभी भी सील हैं, जिसके चलते तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं।

    मोसाद कनेक्शन

    कुछ साज़िश सिद्धांतों के अनुसार, एप्सटीन ने अपने रसूखदार दोस्तों- राजनेताओं, बिजनेसमैन, और सेलेब्रिटीज़ को पार्टियों में बुलाकर उनकी गतिविधियों को रिकॉर्ड किया और इसका इस्तेमाल ब्लैकमेल के लिए किया। यह भी दावा किया जाता है कि वह मोसाद के लिए काम करता था ताकि शक्तिशाली लोगों को नियंत्रित किया जा सके। हालाँकि, इन दावों का कोई ठोस सबूत नहीं है।
    यह सवाल अब भी अनसुलझा है कि क्या एप्सटीन सिर्फ एक अपराधी था, या उसका नेटवर्क किसी बड़े मकसद का हिस्सा था?

    ट्रंप का एप्सटीन से संबंध

    यह सच है कि ट्रंप और एप्सटीन 1980 और 1990 के दशक में दोस्त थे। दोनों पाम बीच, फ्लोरिडा में पड़ोसी थे और सामाजिक आयोजनों में साथ दिखते थे। फ्लाइट लॉग्स के अनुसार, ट्रंप ने 1993 से 1997 के बीच एप्सटीन के निजी जेट में सात बार यात्रा की। 2002 में ट्रंप ने न्यूयॉर्क मैगजीन को दिए एक इंटरव्यू में एप्सटीन को “टेरिफिक गाय” कहा और उनकी पसंद को लेकर टिप्पणी की थी। लेकिन 2019 में एप्सटीन की गिरफ्तारी के बाद ट्रंप ने दावा किया कि उन्होंने 15 साल पहले उनसे संबंध तोड़ लिया था।

    मस्क का सनसनीख़ेज़ दावा

    5 जून 2025 को मस्क ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर ट्रंप का नाम एप्सटीन फ़ाइल्स में होने का दावा करते हुए लिखा था: “टाइम टू ड्रॉप द रियली बिग बॉम्ब: @realDonaldTrump इज इन द एप्सटीन फाइल्स. दैट इज द रियल रीजन दे हैव नॉट बीन मेड पब्लिक. हैव अ नाइस डे, DJT!”
    उन्होंने एक और पोस्ट में कहा: ”मार्क दिस पोस्ट फॉर द फ्यूचर. द ट्रुथ विल कम आउट!”
    मस्क ने 1992 का एक वीडियो भी शेयर किया, जिसमें ट्रंप और एप्सटीन मार-ए-लागो में एक पार्टी में साथ दिख रहे हैं। लेकिन हैरानी की बात यह है कि 7 जून 2025 तक यह पोस्ट डिलीट हो चुकी थी। 

    विवाद की जड़

    मस्क और ट्रंप के बीच यह तनाव ट्रंप की “वन बिग ब्यूटीफुल बिल” नीति से शुरू हुआ, जिसमें इलेक्ट्रिक व्हीकल सब्सिडी हटाने का प्रस्ताव था। यह मस्क की कंपनी टेस्ला के लिए नुकसानदायक था। मस्क ने इस बिल को ‘घृणित’ कहा, जबकि ट्रंप ने मस्क को “ट्रंप डिरेंजमेंट सिंड्रोम” से पीड़ित बताया और उनकी कंपनियों के कॉन्ट्रैक्ट्स खत्म करने की धमकी दी। इसके बाद मस्क ने एप्सटीन फाइल्स का दावा कर तनाव को चरम पर पहुंचा दिया।

    वादे से मुकरे ट्रंप

    सितंबर 2024 में ट्रंप ने चुनावी कैंपेन के दौरान कहा था कि एप्सटीन फाइल्स को सार्वजनिक करने से उन्हें कोई परेशानी नहीं है। फरवरी 2025 में कुछ दस्तावेज जारी हुए, लेकिन पूरी फाइल्स अभी भी सील हैं। आरोप है कि ट्रंप अपने वादे से पीछे हट रहे हैं, क्योंकि इनमें उनका या उनके करीबियों का नाम हो सकता है। डेमोक्रेटिक सांसदों ने इन फाइल्स को पूरी तरह सार्वजनिक करने की मांग की है, जबकि ट्रंप प्रशासन का कहना है कि पीड़ितों की सुरक्षा के लिए कुछ दस्तावेज गोपनीय रखे गए हैं।

    राजनीतिक प्रभाव

    ट्रंप के ख़िलाफ़ अभी कोई अपराध सिद्ध नहीं हुआ है। लेकिन अगर नई फ़ाइल्स में कोई गंभीर सबूत सामने आता है, तो उनके लिए क़ानूनी जोखिम बढ़ सकता है। राष्ट्रपति के रूप में उन्हें कुछ हद तक क़ानूनी छूट मिली हुई है, जो उन्हें तत्काल सजा से बचा सकती है। हालाँकि, अगर वह राष्ट्रपति न होते और सबूत मिलते, तो मुक़दमे का सामना करना पड़ सकता था। अभी तक मस्क का दावा सबूतों के बिना महज अटकलें ही हैं।
    ज़ाहिर है, मस्क की पोस्ट से एप्सटीन फाइल्स का मामला चर्चा में आ गया है तो जल्दी शांत नहीं होगा। FBI और जस्टिस डिपार्टमेंट का कहना है कि वे हजारों दस्तावेजों की समीक्षा कर रहे हैं जिनमें कुछ और भी रिलीज किये जा सकते हैं। कुछ लोग मानते हैं कि मस्क ने अपनी ताकत और एक्स प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल ट्रंप पर दबाव बनाने के लिए किया है जबकि ट्रंप के समर्थक इसे “बदले की कार्रवाई” बता रहे हैं। साफ़ है कि एप्सटीन फ़ाइल्स का भूत डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में किसी न किसी तरह चर्चा में बना ही रहेगा।
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