शिवसेना (यूबीटी) के नेता आदित्य ठाकरे ने कहा है कि उनकी पार्टी महाराष्ट्र और मराठी मानुष के हितों की रक्षा के लिए काम करने वाली किसी भी पार्टी के साथ मिलकर काम करने को तैयार है। यह बयान ऐसे समय में आया है जब उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी) और उनके चचेरे भाई राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) के बीच सुलह की अटकलों ने जोर पकड़ा है।
मुंबई में पत्रकारों से बात करते हुए आदित्य ठाकरे ने बीजेपी पर मुंबई और महाराष्ट्र को “निगलने” का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि बीजेपी महाराष्ट्र के साथ अन्याय कर रही है। आदित्य ने हाल ही में कल्याण-डोंबिवली में एक अधूरे पुल के खिलाफ शिवसेना (यूबीटी) और एमएनएस कार्यकर्ताओं द्वारा किए गए संयुक्त प्रदर्शन का उदाहरण देते हुए कहा कि उनकी पार्टी एमएनएस के साथ काम करने को तैयार है।
आदित्य ने कहा, “हम लगातार यह कह रहे हैं कि हम महाराष्ट्र और मराठी मानूस के हितों के लिए काम करने वाली किसी भी पार्टी के साथ तैयार हैं।” ठाकरे चचेरे भाइयों के बीच लगभग दो दशकों बाद सुलह की संभावना ने राजनीतिक हलकों में चर्चा को जन्म दिया है। दोनों नेताओं ने हाल ही में अपने बयानों में संकेत दिया है कि वे “छोटे-मोटे मुद्दों” को नजरअंदाज कर एकसाथ आ सकते हैं।
यह बयान महाराष्ट्र में आगामी स्थानीय निकाय चुनावों से पहले आया है, जिसमें बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) चुनाव भी शामिल हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ठाकरे परिवार का एकजुट होना शिवसेना (यूबीटी) को मुंबई में अपनी स्थिति मजबूत करने में मदद कर सकता है, जहां उसे एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और बीजेपी से कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।
इस बीच, महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस संभावित गठबंधन पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया और इसे एक आंतरिक मामला बताया। हालांकि, शिंदे गुट के राज्य गृह राज्यमंत्री योगेश कदम ने राज ठाकरे को महायुति गठबंधन में शामिल होने का न्योता दिया, जिससे एक नई राजनीतिक समीकरण की संभावना दिख रही है।
आदित्य ठाकरे के इस बयान ने महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया मोड़ ला दिया है। अब सभी की नजर इस बात पर टिकी है कि क्या ठाकरे चचेरे भाई वास्तव में एक साथ आएंगे और इसका राज्य की राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
बीएमसी और अन्य नगर निगमों के आगामी चुनाव महाराष्ट्र की राजनीति के लिए महत्वपूर्ण होंगे। शिवसेना (यूबीटी) और एमएनएस के बीच संभावित गठबंधन मुंबई में बीजेपी और शिंदे गुट को चुनौती दे सकता है। एनसीपी के दोनों गुटों के बीच सुलह की संभावना और ठाकरे परिवार का एकजुट होना एमवीए और महायुति के समीकरणों को बदल सकता है।
महाराष्ट्र की राजनीति गठबंधनों, बगावतों, और सामाजिक-आर्थिक मुद्दों का एक जटिल मिश्रण है। बीजेपी की बढ़ती ताकत, शिवसेना और एनसीपी के विभाजन, और ठाकरे परिवार में सुलह की संभावनाएँ इसे और भी रोचक बना रही हैं। हालाँकि महायुति सरकार वर्तमान में मजबूत स्थिति में है, लेकिन एमवीए और अन्य क्षेत्रीय ताकतें, जैसे एमएनएस, भविष्य में नई चुनौतियाँ पेश कर सकती हैं।