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    Home » मान क्यों नहीं रहे मोदी के मित्र ट्रम्प, अब 150% अल्कोहल टैरिफ पर आपत्ति
    भारत

    मान क्यों नहीं रहे मोदी के मित्र ट्रम्प, अब 150% अल्कोहल टैरिफ पर आपत्ति

    By March 12, 2025No Comments5 Mins Read
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    सस्ती अमेरिकी शराब के लिए तैयार रहिए। ट्रम्प प्रशासन ने अब भारत में अमेरिकी शराब पर 150% टैरिफ का मुद्दा उठा दिया है। अगर ट्रम्प के दबाव में मोदी सरकार अमेरिकी शराब पर से टैरिफ घटाती है तो भारत में अमेरिकी शराब सस्ती मिल सकती है।

    व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने मंगलवार को एक प्रेस ब्रीफिंग में भारत द्वारा अमेरिकी शराब पर 150% और कृषि उत्पादों पर 100% टैरिफ का जिक्र किया। यह बयान तब आया जब उनसे कनाडा के साथ व्यापारिक संबंधों पर सवाल पूछा गया था, लेकिन उन्होंने भारत और जापान जैसे देशों को भी उदाहरण के तौर पर पेश किया।

    लेविट ने कहा, “देखिए भारत में अमेरिकी शराब पर 150% टैरिफ है। क्या आपको लगता है कि इससे केंटकी बोर्बन (यूएस ब्रांड की शराब) को भारत में निर्यात करने में मदद मिल रही है मुझे नहीं लगता। भारत के कृषि उत्पादों पर 100% टैरिफ और जापान में चावल पर 700% टैरिफ है।” उन्होंने एक चार्ट भी दिखाया, जिसमें भारत, कनाडा और जापान द्वारा लगाए गए टैरिफ को हाइलाइट किया गया था। चार्ट में तिरंगे के रंगों से भारत के टैरिफ को विशेष रूप से चिह्नित किया गया था।

    पिछले कुछ दिनों से राष्ट्रपति ट्रम्प भारत द्वारा लगाए गए ऊंचे टैरिफ की आलोचना करते रहे हैं। शुक्रवार को उन्होंने दावा किया था कि भारत ने अपने टैरिफ को “काफी कम” करने पर सहमति जताई है। हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि अभी तक नहीं हुई है। ट्रम्प ने यह भी कहा था कि भारत अमेरिका से भारी टैरिफ वसूलता है, जो उन्हें अस्वीकार्य है।

    लेविट ने कहा, “राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प पारस्परिकता (रेसिप्रॉसिटी) में विश्वास करते हैं। यह समय है कि हमारे पास ऐसा राष्ट्रपति हो जो अमेरिकी व्यवसायों और कामगारों के हितों की रक्षा करे। ट्रम्प बस इतना चाहते हैं कि व्यापार नीतियां निष्पक्ष और संतुलित हों। दुर्भाग्य से, कनाडा ने पिछले कई दशकों से हमारे साथ उचित व्यवहार नहीं किया है।”

    यह विवाद ऐसे समय में सामने आया है जब अमेरिका अपने व्यापारिक साझेदारों के साथ संबंधों को फिर से परिभाषित करने की कोशिश कर रहा है। व्हाइट हाउस का यह बयान भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों में तनाव का संकेत दे रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले दिनों में दोनों देशों के बीच इस मुद्दे पर बातचीत तेज हो सकती है।

    भारत को टैक्स किंग क्यों कहा जाता है 

    अमेरिका “टैक्स किंग” कहकर भारत की आलोचना करता रहा है। 2018 में अमेरिका ने भारतीय स्टील पर 25% और एल्यूमीनियम पर 10% टैरिफ लगाया था, जिसके जवाब में भारत ने अमेरिकी उत्पादों (जैसे बादाम और सेब) पर जवाबी टैरिफ बढ़ा दिया था। 2019 में अमेरिका ने भारत को सामान्यीकृत वरीयता प्रणाली (GSP) से हटा दिया, जिसके तहत भारतीय उत्पादों को शुल्क छूट मिलती थी। यह दोनों देशों के बीच तनाव का कारण बना। हाल ही में, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत के ऊँचे टैरिफ की आलोचना की और “पारस्परिकता” (reciprocity) की माँग की। व्हाइट हाउस ने भी भारत के 150% शराब टैरिफ को उदाहरण के रूप में पेश किया, जिसे वह अमेरिकी व्यवसायों के लिए नुकसानदायक मानता है।

    भारत पर ट्रम्प टैरिफ का क्या प्रभाव पड़ेगाः ट्रम्प ने संकेत दिया है कि अगर भारत अमेरिकी सामानों (जैसे शराब, मोटरसाइकिल, और कृषि उत्पाद) पर ऊँचे टैरिफ नहीं हटाता, तो अमेरिका भारतीय निर्यात पर जवाबी टैरिफ बढ़ा सकता है। भारत अमेरिका को दवाइयाँ, कपड़ा, रत्न-आभूषण, और ऑटोमोबाइल पार्ट्स जैसे उत्पाद निर्यात करता है। इन पर टैरिफ बढ़ने से भारत का $54 बिलियन (2022-23) का निर्यात प्रभावित हो सकता है। ऊँचे टैरिफ से भारतीय उत्पाद अमेरिकी बाजार में महंगे हो जाएँगे, जिससे उनकी माँग घट सकती है और चीनी या अन्य देशों के सस्ते विकल्प हावी हो सकते हैं।

    आर्थिक नुकसान

    भारत का अमेरिका के साथ व्यापार अधिशेष (surplus) है। 2022-23 में भारत ने $54 बिलियन निर्यात किया, जबकि $32 बिलियन का आयात किया। ट्रम्प की नीति इस संतुलन को बिगाड़ सकती है, जिससे भारत को आर्थिक नुकसान हो। अमेरिकी कंपनियाँ भारत में निवेश कम कर सकती हैं, खासकर अगर व्यापारिक तनाव बढ़ता है। यह भारत के “मेक इन इंडिया” जैसे अभियानों को प्रभावित करेगा।

    विशिष्ट क्षेत्रों पर प्रभावः भारत अमेरिका को जेनेरिक दवाओं का बड़ा आपूर्तिकर्ता है। अगर अमेरिका टैरिफ बढ़ाता है या सख्त नियम लागू करता है, तो भारत की $20 बिलियन की दवा निर्यात इंडस्ट्री को झटका लगेगा। भारत बादाम, अखरोट, और फल जैसे उत्पाद अमेरिका को बेचता है। जवाबी टैरिफ से इनकी माँग घट सकती है, जिससे भारतीय किसानों को नुकसान होगा। ट्रम्प पहले H-1B वीजा पर सख्ती कर चुके हैं। अगर उनकी नीति भारतीय आईटी पेशेवरों को सीमित करती है, तो भारत की $100 बिलियन की आईटी सेवा इंडस्ट्री प्रभावित होगी।

    घरेलू उद्योगों पर दबाव

    ट्रम्प के दबाव में अगर भारत अपने टैरिफ (जैसे 150% शराब पर) कम करता है, तो घरेलू उद्योगों को सस्ते अमेरिकी आयात से प्रतिस्पर्धा करनी पड़ेगी। उदाहरण के लिए, भारतीय शराब उद्योग को अमेरिकी बोर्बन से नुकसान हो सकता है। अमेरिका भारत की सब्सिडी नीतियों (जैसे MSP) को WTO में चुनौती दे सकता है, जिससे भारतीय किसानों पर असर पड़ेगा।

    रणनीतिक और राजनीतिक प्रभाव

    ट्रम्प की आक्रामक नीति से भारत-अमेरिका के रणनीतिक संबंध कमजोर हो सकते हैं, जो इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के खिलाफ सहयोग के लिए जरूरी हैं। भारत को अपनी “आत्मनिर्भर भारत” नीति में बदलाव करना पड़ सकता है, जो लंबे समय में इसकी स्वतंत्र आर्थिक रणनीति को प्रभावित करेगा। लेकिन कुल मिलाकर, ट्रम्प की नीति से भारत का निर्यात-आधारित विकास मॉडल और घरेलू उद्योग सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे।

    बहरहाल, ट्रम्प की टैरिफ नीति से भारत को अल्पकालिक और दीर्घकालिक दोनों तरह के नुकसान हो सकते हैं। निर्यात में कमी, आर्थिक असंतुलन, और घरेलू उद्योगों पर दबाव प्रमुख चुनौतियाँ होंगी। हालाँकि, भारत इस दबाव का जवाब कूटनीति, वैकल्पिक बाजारों (जैसे यूरोप, एशियन), और घरेलू सुधारों से दे सकता है। फिर भी, ट्रम्प की नीति का पूरा प्रभाव दोनों देशों के बीच आपसी बातचीत पर निर्भर करेगा।

    (रिपोर्ट और संपादनः यूसुफ किरमानी)

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