प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज दो दिवसीय गुजरात दौरे पर अपने गृह राज्य पहुंचे। उन्होंने वडोदरा में एक भव्य रोड शो के साथ अपनी यात्रा की शुरुआत की, जिसमें ऑपरेशन सिंदूर के पोस्टरों का जमकर इस्तेमाल हुआ। ऑपरेशन सिंदूर की जानकारी देने के लिए सरकार की प्रेस कॉन्फ्रेंस में आने वाली कर्नल सोफिया का परिवार भी मोदी का स्वागत करने रोड शो में पहुंचा। इन पोस्टरों में पीएम मोदी को सैनिकों के साथ और सैनिक वर्दी में दिखाया गया, जिसने सियासी हलचल मचा दी है। विपक्ष ने इसकी आशंका पहले ही जता दी थी और चेतावनी भी दी थी।
ऑपरेशन सिंदूर, जिसे भारत की आतंकवाद के खिलाफ सख्त नीति का प्रतीक बताया जा रहा है, हाल ही में पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में शुरू किया गया था। इस ऑपरेशन के तहत भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पीओके में आतंकी ठिकानों पर हवाई हमले किए। हालांकि, विपक्षी दल, विशेष रूप से आम आदमी पार्टी (आप), ने आरोप लगाया है कि बीजेपी और पीएम मोदी इस सैन्य कार्रवाई को अपनी रैलियों में प्रचार के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। आप ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में दावा किया कि भारतीय सेना का यह पराक्रम बीजेपी द्वारा राजनीतिक लाभ के लिए भुनाया जा रहा है।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद यह उनका अपने गृह राज्य का पहला दौरा है। कई शहरों में राज्य की सड़कों और गलियों को बड़े-बड़े बिलबोर्ड, पोस्टर और होर्डिंग से सजाया गया। जिसमें सफल ऑपरेशन सिंदूर के लिए प्रधानमंत्री और सशस्त्र बलों की प्रशंसा की गई है। अहमदाबाद और भुज सहित शहरों के प्रमुख चौराहों पर बड़े-बड़े पोस्टर दिखाई दिए।
हालांकि पीएम मोदी ने अपने रोड शो में विकास और आत्मनिर्भरता का संदेश दिया, लेकिन ऑपरेशन सिंदूर की सफलता का जिक्र किए बिना खुद को रोक नहीं सके। उन्होंने कहा कि आतंकवाद फैलाने वाले ही सिंदूर छीन रहे हैं। जिसे अब चलने नहीं दिया जाएगा। ऑपरेशन सिंदूर हमारी नई नीति है। हालांकि गुजरात में बुनियादी सुविधाओं की कमी की खबरें चर्चा में रहती हैं। लेकिन मोदी के भाषण और दौरे ने सारी कमियों पर पर्दा डाल दिया है। पीएम मोदी 2001 से 2014 तक गुजरात के मुख्यमंत्री रहे, और उनके ‘गुजरात मॉडल’ की चर्चा देशभर में हुई। लेकिन अब राज्य में पानी की गंभीर समस्या, स्वास्थ्य सेवाओं की कमी, और शिक्षा व्यवस्था की बदहाली जैसे मुद्दों ने उस ‘गुजरात मॉडल’ की पोल खोल दी है।
गुजरात के कई हिस्सों, विशेष रूप से सौराष्ट्र और कच्छ क्षेत्रों में, पानी की भीषण कमी की शिकायतें बढ़ रही हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में नल से जल मिशन के तहत पाइपलाइनें बिछाई गई हैं, लेकिन कई गांवों में पानी की आपूर्ति अनियमित है। इसके अलावा, राज्य के अस्पतालों में बुनियादी सुविधाओं की कमी और आयुष्मान भारत योजना में कथित घोटालों की खबरें सामने आई हैं। कुछ निजी अस्पतालों पर फर्जी बिलिंग और मरीजों से अधिक वसूली के आरोप लगे हैं, जिसने इस योजना की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं।
गुजरात की शिक्षा व्यवस्था भी चिंता का विषय बनी हुई है। 2013 के डीआईएसई सर्वे के अनुसार, राज्य में स्कूलों में ड्रॉपआउट दर 58% है, जो राष्ट्रीय औसत 49% से काफी अधिक है। फंड की कमी के कारण कई सरकारी स्कूल बंद हो चुके हैं, और शिक्षकों की कमी भी एक बड़ी समस्या है। विड्या सहायक योजना के तहत शिक्षकों को कम वेतन पर रखा जा रहा है, जिसका असर शिक्षा की गुणवत्ता पर पड़ रहा है।
हालांकि गुजरात में विधानसभा चुनाव 2027 में होने हैं, लेकिन बीजेपी की नजर इस साल होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव पर है। ऑपरेशन सिंदूर के पोस्टर और सैन्य कार्रवाई की छवि का इस्तेमाल बीजेपी के प्रचार अभियान का हिस्सा माना जा रहा है। विपक्ष ने इसे सेना के पराक्रम का राजनीतिकरण करार दिया है। कांग्रेस और आप ने बीजेपी पर आरोप लगाया कि वह सैन्य उपलब्धियों को वोट हासिल करने के लिए इस्तेमाल कर रही है।
पीएम मोदी की गुजरात यात्रा और वडोदरा रोड शो ने जहां एक ओर उनके समर्थकों में उत्साह भरा, वहीं ऑपरेशन सिंदूर के प्रचार और राज्य में बुनियादी सुविधाओं की कमी ने सियासी बहस को हवा दी। गुजरात में पानी, स्वास्थ्य, और शिक्षा जैसे मुद्दों को हल करने की मांग तेज हो रही है, जबकि बीजेपी की नजर बिहार विधानसभा चुनाव पर केंद्रित है। इन मुद्दों का समाधान और राजनीतिक रणनीति का असर आने वाले समय में देखने को मिलेगा।