
Shashi Tharoor Controversy
Shashi Tharoor Controversy
Shashi Tharoor Controversy: 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के खूबसूरत पर्यटक स्थल पहलगाम में चार आतंकियों ने 28 निर्दोष लोगों की जान ले ली। इस आतंकी हमले के बाद देशभर में गुस्से की लहर दौड़ गई और केंद्र सरकार ने कड़ा एक्शन लेते हुए “ऑपरेशन सिंदूर” के तहत पाकिस्तान में घुसकर एयर स्ट्राइक की। इस जवाबी कार्रवाई में भारतीय वायुसेना ने 100 से अधिक आतंकियों को मार गिराया। एयर स्ट्राइक के बाद बौखलाए पाकिस्तान ने भारत पर मिसाइल और ड्रोन हमले की कोशिश की, लेकिन भारत की सुरक्षा ढाल कहे जाने वाले S-400 एयर डिफेंस सिस्टम ने सभी हमलावर मिसाइलों को हवा में ही नष्ट कर दिया। इसके बाद 10 मई को दोनों देशों के बीच संघर्षविराम (सीजफायर) लागू कर दिया गया।
भारत द्वारा “ऑपरेशन सिंदूर” के तहत की गई निर्णायक कार्रवाई के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसे सही ढंग से प्रस्तुत करने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल का गठन किया है। इस प्रतिनिधिमंडल का उद्देश्य ऑपरेशन सिंदूर की पृष्ठभूमि, भारत की आतंकवाद के विरुद्ध रणनीति और पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद की वास्तविकता को वैश्विक मंच पर उजागर करना है।
शशि थरूर को शामिल किया गया
इस प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, पूर्व राजनयिक और तिरुवनंतपुरम से सांसद डॉ. शशि थरूर को शामिल किया गया है। थरूर, जो पहले संयुक्त राष्ट्र महासचिव पद के उम्मीदवार भी रह चुके हैं, अंतरराष्ट्रीय मामलों में भारत की स्थिति को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने की क्षमता रखते हैं। उनकी मौजूदगी से भारत का पक्ष वैश्विक मंच पर और अधिक भरोसेमंद व प्रामाणिक रूप में सामने आएगा।
विपक्ष के नेताओं की भूमिका हमेशा अहम रही
यह पहला अवसर नहीं है जब भारत सरकार ने विदेश नीति से जुड़े अहम मामलों में विपक्ष के वरिष्ठ नेताओं को प्रतिनिधिमंडल में शामिल किया हो। इससे पहले देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने कश्मीर मुद्दे पर जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को भी विदेश दौरे में सम्मिलित किया था।
इसी तरह, पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने भी 1988 में विपक्ष के वरिष्ठ नेता अटल बिहारी वाजपेयी को जिनेवा में आयोजित मानवाधिकार सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए भेजा था। यह परंपरा दर्शाती है कि जब बात राष्ट्रीय हितों की होती है, तो राजनीतिक दलों से ऊपर उठकर एकजुटता दिखाई जाती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में थरूर को इस प्रतिनिधिमंडल में शामिल करना भारत की परिपक्व लोकतांत्रिक परंपरा और आतंकवाद के खिलाफ एकजुट रणनीति का प्रतीक है। यह कदम भारत की कूटनीतिक रणनीति को वैश्विक मंच पर और अधिक मज़बूती प्रदान करेगा।