
Jewel of South India Yercaud City (Image Credit-Social Media)
Jewel of South India Yercaud City (Image Credit-Social Media)
Jewel of South India Yercaud City: तमिलनाडु राज्य के सलेम जिले में स्थित यरकौड शहर एक हिल स्टेशन है जो अपनी खूबसूरत हरी भरी वादियों और कॉफी बागानों के लिए पर्यटकों की पसंदीदा जगह है। यरकौड को येरकॉड , या एरकाड भी कहा जाता है। यरकौड शब्द दो तमिल शब्दों से मिलकर बना है जिसमें येरी का मतलब झील और कडू मतलब जंगल होता है। समुद्र तल से करीब 5,000 फीट की ऊंचाई पर पूर्वी घाट में शेवरॉय की पहाड़ियों में बसा यह शहर ‘दक्षिण भारत का गहना’ भी कहा जाता है। यहां साल भर मौसम स्वास्थ्यप्रद रहता है इसलिए पर्यटकों को इसकी प्राकृतिक सुंदरता अपनी ओर आकर्षित करती है। यह ट्रेकर्स के लिए एक बेहतरीन ट्रेकिंग की जगह भी है।
यरकौड में जरूरत की चीजें तमिलनाडु के ही मशहूर हिल स्टेशन ऊटी की तुलना में सस्ती हैं इसलिए इसे गरीब लोगों का उटकमंडलम भी कहा जाता है। सन् 1842 में ब्रिटिश साम्राज्य के मद्रास प्रेसीडेंसी के गवर्नर सर थॉमस मुरोए ने इस जगह की खोज की थी। यहां का प्राकृतिक तेल, परफ्यूम, त्वचा संबंधित उत्पाद, गरम मसाले जैसे काली मिर्च , इलायची और कॉफी पर्यटकों के बीच काफी लोकप्रिय है और पर्यटक यहां से खरीदारी करते हैं। यहां के जंगलों में सिल्वर ओक, चंदन, सागवान के पेड़ बड़ी संख्या में हैं। इसके अलावा फलों में केला, संतरा, गाजर की भी पैदावार बहुतायत में होती है। यहां कई पहाड़ी जानवर और पक्षी भी देखने को मिल जाएंगे।
घूमने के लिए सही समय :
वैसे तो यरकौड साल के किसी भी महीने में घूम सकते हैं। लेकिन ट्रेकिंग के साथ घूमने के लिए अक्टूबर से जून तक का महीना सबसे अच्छा माना जाता है। गर्मी के महीने में भी मौसम सुखद रहता है। घरेलू और विदेशी पर्यटक इस जगह घूमने ज्यादा आते हैं।
यहां देखने लायक कई जगह हैं, जिनमें खास है :
यरकौड झील :

यह झील पर्यटकों के लिए सबसे बड़ा आकर्षण का केंद्र है। झील के करीब अन्ना पार्क है जिसमें कई प्रजाति के फूल देखकर आपका मन प्रफुल्लित हो जाएगा। इन फूलों की प्रदर्शनी मई महीने में होने वाले ग्रीष्म महोत्सव में आयोजित होती है। इस यरकौड झील के बीच में एक द्वीप है जहां जाने के लिए एक ओवरब्रिज है। इस द्वीप का मुख्य आकर्षण यहां पर भारी तादाद में हिरण और मोर की उपस्थिति है। सैलानी यहां बोटिंग का लुत्फ़ उठा सकते हैं।
शेवरॉय मंदिर :

समुद्रतल से करीब 5326 फीट ऊपर शेवरॉय की पहाड़ियों पर स्थित शेवरॉय मंदिर यहां के स्थानीय देवता सरवरन और उनकी पत्नी कवरिअम्मा की पूजा अर्चना के लिए बना है। हर साल मई महीने में यहां के स्थानीय लोग मंदिर में वार्षिक उत्सव का आयोजन करते हैं। यरकौड का यह सबसे ऊंचाई वाला जगह है। मंदिर जाने के मार्ग में एक भालू की गुफा है जिसे लोग मानते हैं कि यह एक प्रवेश द्वार था जहां से प्राचीन काल में किसी राजा की गुप्त सुरंग शुरू होती थी।
श्री राज राजेश्वरी मंदिर :

घाटी में स्थित यह सुंदर मंदिर सभी देवों की देवी राज राजेश्वरी को समर्पित है। ऐसी मान्यता है कि इस देवी की पूजा करने से भक्तों को धन, धान्य और समृद्धि मिलती है। इस मंदिर में इस देवी के अतिरिक्त कई अन्य देवी देवता जैसे ब्रह्मा, विष्णु, रुद्र, लक्ष्मी और सरस्वती की मूर्तियां भी हैं।
किल्लियुर झरना :

यरकौड से करीब 3 किमी की दूरी पर 300 फीट ऊंचाई से गिरते इस किल्लियुर झरने तक पहुंचने का मार्ग बहुत रोमांचक होता है। दोस्तों या परिवार के साथ इस जगह आने में एक अलग आनंद आता है।
सलेम शहर :

यरकौड से करीब 30 किमी दूर यह सलेम एक औद्योगिक शहर है। यहां कई उद्योग जैसे स्टील, हथकरघा, साबूदाना आदि प्रमुख हैं। यहां देखने लायक कई प्राचीन मंदिर हैं।
लेडीज सीट :

यरकौड में ऊंचाई पर स्थित इस जगह से सैलानी घाट रोड का नज़ारा देखने आते हैं। इस जगह से रात में सलेम शहर जगमगाता हुआ खूबसूरत दिखता है। इस स्थान पर एक टेलीस्कोप है, जहां से पर्यटक मैदानी इलाके को देखने का आनंद उठाते हैं। यहां से कावेरी नदी पर बना मेत्तूर बांध भी देख सकते हैं।
वनस्पति उद्यान :

यरकौड स्थित इस वनस्पति उद्यान में कई दुर्लभ प्रजाति के पेड़ पौधों को देख सकते है। इस उद्यान में पिचर प्लांट जैसी दुर्लभ प्रजाति के पौधों को देखने का मौका मिलता है। कुरिंजी पुष्प या फूल, जिसे नीलकुरिंजी भी कहा जाता है, एक दुर्लभ और प्रसिद्ध फूल है जो हर 12 साल में एक बार खिलता है यहां के उद्यान में देख सकते हैं। भारत का तीसरा सबसे बड़ा ऑर्किडेरिअम इसी उद्यान में है जहां सौ से ज्यादा किस्म की ऑर्किड के फूल हैं। इनमें से कुछ दुनिया में कहीं नहीं मिलतीं लेकिन इस बाग में मौजूद हैं। यह उद्यान पर्यटकों का पसंदीदा जगह है।
नमक्कल :

यरकौड से करीब 48 किमी दूर एक छोटी सी पहाड़ी के नीचे यह शहर है। इस जगह एक ही पत्थर को काटकर बनाई गई करीब 20 फीट ऊंची हनुमान जी की एक मूर्ति आकर्षण का केंद्र है। यहां की पहाड़ी पर एक प्राचीन किला भी है। पहाड़ी के चट्टानों को काटकर दो गुफा मंदिर भी बनाए गए हैं जिनमें भगवान नरसिंहस्वामी और रंगनाथस्वामी विराजमान हैं।
एरामल्लूर :
यरकौड से करीब 74 किमी दूर इस स्थान पर दो प्रमुख मंदिर हैं जिसमें श्री कामेश्वर और पेरुमल भगवान की पूजा होती है। यहीं के करीब तिसंगनूर गांव में भगवान बुद्ध की विशाल मूर्ति भी सबका ध्यान आकर्षित करने में पीछे नहीं रहती।
कैसे पहुंचें ?
हवाई मार्ग से यरकौड पहुंचने के लिए सबसे नजदीकी हवाई अड्डा त्रिची अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है जहां से यरकौड करीब 163 किमी की दूरी पर है। इसके अलावा बैंगलोर हवाई अड्डा से यह करीब 230 किमी और कोयंबटूर हवाई अड्डे से करीब 190 किमी की दूरी पर यह स्थित है। हवाई अड्डे से इस जगह के लिए टैक्सी सेवा उपलब्ध है।
रेलमार्ग से यरकौड पहुंचने के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन जोलारपेट्टई और सलेम जंक्शन हैं जहां से यह शहर क्रमशः 20 किमी और 35 किमी की दूरी पर स्थित है। इन रेलवे स्टेशन से टैक्सी या बस लेकर यरकौड पहुंच सकते हैं।
सड़क मार्ग से यह शहर भारत के मुख्य शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। चेन्नई, कोयंबटूर, बैंगलोर और कई अन्य नजदीकी शहरों से राज्य परिवहन की और निजी बसों के अलावा टैक्सी सेवा उपलब्ध है।