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    Home » यूएस अचानक मिडिल ईस्ट से सैनिक क्यों हटाने लगा, क्या इज़रायल हमला करने वाला है
    भारत

    यूएस अचानक मिडिल ईस्ट से सैनिक क्यों हटाने लगा, क्या इज़रायल हमला करने वाला है

    Janta YojanaBy Janta YojanaJune 12, 2025No Comments5 Mins Read
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    अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने मध्य पूर्व (खाड़ी देशों) से गैर-जरूरी सैन्य कर्मियों और राजनयिकों को वापस बुलाने का आदेश दिया है। इस फैसले ने क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर कई सवाल खड़े किए हैं। ट्रम्प ने मध्य पूर्व को “खतरनाक इलाका” बताते हुए इस कदम को जरूरी ठहराया है, जबकि इज़रायल द्वारा ईरान पर संभावित सैन्य हमले की खबरें सामने आ रही हैं। 

    ईरान ने अपने सैन्य कमांडरों के माध्यम से यह संदेश दिया है कि वह किसी भी हमले का जवाब देने के लिए “पूरी तरह तैयार” है। क्या अमेरिका इज़रायल को आगे रखकर खाड़ी देशों में अपनी नीति को लागू कर रहा है, या यह ट्रम्प की “अमेरिका फर्स्ट” नीति का हिस्सा है? 

    मध्य पूर्व से सैन्य वापसी: ट्रम्प का रुख

    12 जून को सामने आई खबरों के अनुसार, अमेरिका ने इराक, बहरीन और कुवैत से अपने गैर-जरूरी राजनयिक और सैन्य कर्मियों को वापस बुलाने का फैसला किया है। यह कदम इज़रायल द्वारा ईरान पर संभावित हमले की आशंका के बीच उठाया गया है। ट्रम्प ने न्यूयॉर्क पोस्ट को दिए एक इंटरव्यू में कहा, “हमारे लोग वहां से हटाए जा रहे हैं क्योंकि यह एक खतरनाक जगह बन गई है। हम देखेंगे कि क्या होता है।” ट्रम्प का यह बयान क्षेत्र में बढ़ते तनाव और ईरान के जवाबी हमले की आशंका को बता रहा है।  
    ट्रम्प की यह नीति उनकी पहली अवधि (2017-2021) की “अमेरिका फर्स्ट” नीति से मेल खाती है, जिसमें उन्होंने विदेशों में सैन्य उपस्थिति को कम करने पर जोर दिया था। हालांकि, मध्य पूर्व जैसे रणनीतिक क्षेत्र से सैन्य कर्मियों की वापसी का यह कदम अप्रत्याशित है, खासकर तब जब ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर तनाव चरम पर है। यह सवाल उठता है कि क्या ट्रम्प क्षेत्र में सैन्य टकराव से बचना चाहते हैं या फिर यह उनकी कूटनीतिक रणनीति का हिस्सा है।  
    विश्लेषकों का मानना है कि ट्रम्प खाड़ी देशों के साथ आर्थिक और सामरिक साझेदारी को प्राथमिकता दे रहे हैं। सऊदी अरब ने अप्रैल 2025 में ईरान को चेतावनी दी थी कि वह ट्रम्प के परमाणु समझौते के प्रस्ताव को गंभीरता से ले, वरना इज़रायल के हमले का जोखिम उठाना पड़ सकता है। 

    अमेरिका की रणनीति   

    आर्थिक प्राथमिकताएं: ट्रम्प की खाड़ी यात्रा से स्पष्ट हुआ कि वह सऊदी अरब, कतर और यूएई जैसे देशों के साथ आर्थिक सौदों, हथियार बिक्री, और निवेश पर ध्यान दे रहे हैं। ये देश क्षेत्रीय स्थिरता और तेल की कीमतों को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण हैं।   
    ईरान पर दबाव: ट्रम्प अपनी “अधिकतम दबाव” नीति फिर से लागू कर रहे हैं, लेकिन इस बार वह कूटनीति को प्राथमिकता दे रहे हैं। हालांकि, ईरान के यूरेनियम संवर्धन को पूरी तरह रोकने की उनकी मांग अव्यावहारिक लगती है। क्योंकि जो देश ईरान पर दबाव बना रहे हैं, उनके खुद के पास परमाणु हथियार हैं।
    इज़रायल की भूमिका: ट्रम्प इज़रायल को सैन्य समर्थन दे रहे हैं, लेकिन वह नेतन्याहू की आक्रामक नीतियों से दूरी भी बना रहे हैं। यह इज़रायल के लिए चिंता का विषय हो सकता है, क्योंकि ट्रम्प खाड़ी देशों के साथ गठजोड़ को महत्व दे रहे हैं।   
    क्षेत्रीय गतिशीलता: खाड़ी देशों का समर्थन और सीरिया जैसे मुद्दों पर ट्रम्प का रुख दर्शाता है कि वह एक नया सुन्नी-नेतृत्व वाली क्षेत्रीय व्यवस्था चाहते हैं, जिससे ईरान की भूमिका खत्म हो जाए।
    बहरहाल, ट्रम्प का मध्य पूर्व से सैन्य कर्मियों की वापसी का फैसला और ईरान-इज़रायल तनाव के बीच उनकी नीति क्षेत्र में एक नई रणनीति का संकेत देती है। वह इज़रायल को पूरी तरह से आगे रखने के बजाय खाड़ी देशों के साथ आर्थिक और सामरिक साझेदारी को मजबूत कर रहे हैं। ईरान की “हम तैयार हैं” की बयानबाजी और इज़रायल की आक्रामकता क्षेत्र में तनाव को बढ़ा रही है, लेकिन ट्रम्प का जोर कूटनीति और सौदों पर है। 
    ट्रम्प प्रशासन की मध्य पूर्व नीति में इज़रायल हमेशा से एक महत्वपूर्ण साझेदार रहा है। ट्रम्प ने अपनी पहली अवधि में इज़रायल के साथ मजबूत समर्थन दिखाया, जिसमें यरुशलम को इज़रायल की राजधानी के रूप में मान्यता देना और अब्राहम समझौते जैसे कदम शामिल थे। हालांकि, हाल के घटनाक्रमों से पता चलता है कि ट्रम्प इज़रायल को पूरी तरह से अग्रिम पंक्ति में नहीं रख रहे हैं।  
    मई 2025 में ट्रम्प की सऊदी अरब, कतर और संयुक्त अरब अमीरात की यात्रा के दौरान इज़रायल को शामिल नहीं किया गया, जो इज़रायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के लिए एक झटका था। ट्रम्प ने सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के साथ सीरिया के नए नेता अहमद अल-शारा से मुलाकात की और सीरिया पर प्रतिबंध हटाने की घोषणा की। यह कदम इज़रायल की आपत्तियों के बावजूद उठाया गया, जो अल-शारा को “अल-कायदा का आतंकवादी” मानता है। 

    ईरान का “हम तैयार हैं” ट्वीट 

    ईरान ने हाल ही में सोशल मीडिया पर अपनी सैन्य ताकत का प्रदर्शन करते हुए दावा किया कि वह किसी भी हमले का जवाब देने के लिए तैयार है। बता दें कि ईरानी सैन्य अधिकारियों ने फरवरी 2025 में नई “एतमाद” प्रेसिजन-गाइडेड बैलिस्टिक मिसाइल का अनावरण किया था, जो इज़रायल के अंदर भी हमले कर सकती है। हालांकि, अक्टूबर 2024 के इज़रायली हमलों ने ईरान की मध्यम दूरी की मिसाइलों के भंडार को काफी कम कर दिया है।  
    ईरान ने यह भी धमकी दी है कि वह अमेरिकी सैन्य ठिकानों, क्षेत्रीय सहयोगियों, और स्ट्रेट ऑफ होर्मुज में अंतरराष्ट्रीय शिपिंग को निशाना बना सकता है। ये बयान ट्रम्प के सैन्य कार्रवाई की चेतावनी के जवाब में आए है, जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर ईरान परमाणु समझौते पर सहमत नहीं हुआ तो “बमबारी होगी।”  
    26 अक्टूबर 2024 को इज़रायल ने ईरान के हवाई और मिसाइल डिफेंस सिस्टम पर हमला किया था, जिसने ईरान की रक्षा क्षमता को काफी हद तक कमजोर कर दिया। इस हमले ने ईरान को यह एहसास दिलाया कि वह इज़रायल या अमेरिका के सैन्य हमलों के प्रति असुरक्षित है। इसके बावजूद, ईरान के सेना प्रमुख मेजर जनरल अब्दोलरहीम मौसवी ने 25 मई 2025 को एक बयान में कहा, “हम इजरायल पर हमले के लिए पूरी तरह तैयार हैं।” यह बयान क्षेत्र में बढ़ते तनाव को दर्शाता है।  
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