अमेरिका ने भारत के आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में अपना मजबूत समर्थन दोहराया है, लेकिन साथ ही एक शीर्ष अमेरिकी सैन्य अधिकारी ने कहा है कि इस्लामिक स्टेट-खुरासान प्रांत (आईएस-केपी) के खतरे का मुकाबला करने के लिए भारत और पाकिस्तान दोनों के साथ संबंध बनाए रखना भी जरूरी है।
अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने कहा कि वह पाकिस्तान से आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर मिले किसी भी आश्वासन पर चर्चा नहीं करेंगी। दूसरी ओर, अमेरिकी सेंट्रल कमांड के प्रमुख जनरल माइकल कुरिला ने हाउस सशस्त्र सेवा समिति की सुनवाई के दौरान पाकिस्तान सैन्य और सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर की आईएस-केपी के खिलाफ भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “हमें भारत और पाकिस्तान दोनों के साथ संबंध बनाए रखने की जरूरत है। यह द्विपक्षीय स्विच नहीं है कि हम पाकिस्तान के साथ संबंध नहीं रख सकते अगर हमारे भारत के साथ संबंध हैं।”
पिछले महीने भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में नौ आतंकी ठिकानों पर हमले किए थे। ये हमले पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में थे, जिसमें 26 लोग मारे गए थे। इस हमले के बाद भारत ने साफ किया कि वह आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख अपनाएगा। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने स्पष्ट किया कि भारत और पाकिस्तान के बीच कोई तीसरा पक्ष मध्यस्थता नहीं करेगा, और यह मामला द्विपक्षीय रूप से हल किया जाएगा। हालांकि अमेरिका बार-बार मध्यस्थता करने और युद्ध रुकवाने के दावे करता रहा।
कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता की पेशकश के सवाल पर ब्रूस ने कहा, “राष्ट्रपति ट्रम्प की योजनाओं के बारे में मैं कुछ नहीं कह सकती। लेकिन यह एक महत्वपूर्ण समय है। हालांकि, भारत ने कश्मीर पर मध्यस्थता को खारिज करते हुए कहा कि यह भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय मुद्दा है और एकमात्र लंबित मामला पाकिस्तान द्वारा अवैध रूप से कब्जाए गए क्षेत्र पीओके को खाली करना है।
जनरल कुरिला ने पाकिस्तान की आतंकवाद विरोधी कार्रवाइयों का उदाहरण देते हुए कहा कि पाकिस्तानी सेना की मदद से 26 अगस्त, 2021 को काबुल में हुए आत्मघाती हमले के योजनाकार मोहम्मद शरीफुल्लाह को गिरफ्तार किया गया, जिसमें 13 अमेरिकी सैनिकों और लगभग 160 नागरिकों की मौत हुई थी। उन्होंने कहा कि यह पाकिस्तान की आतंकवाद के खिलाफ ग्लोबल लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है।
पहलगाम हमले के बाद भारत ने वैश्विक स्तर पर अपनी कूटनीतिक सक्रियता बढ़ाई। कांग्रेस सांसद शशि थरूर के नेतृत्व में एक संसदीय प्रतिनिधिमंडल ने वाशिंगटन में अमेरिकी अधिकारियों से मुलाकात की, जिसमें भारत ने आतंकवाद के खिलाफ अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। भारत ने यह भी स्पष्ट किया कि वह आतंकवाद के खिलाफ अपनी नीति में कोई ढील नहीं देगा और पाकिस्तान को आतंकी बुनियादी ढांचे को खत्म करने के लिए कदम उठाने होंगे।
भारत और अमेरिका के बीच आतंकवाद के खिलाफ सहयोग मजबूत हो रहा है, लेकिन अमेरिका का पाकिस्तान के साथ संबंध बनाए रखने का रुख भारत के लिए बेहतर स्थिति नहीं बना रहा है। भारत ने स्पष्ट किया है कि वह आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई में कोई समझौता नहीं करेगा और पाकिस्तान को आतंकवादियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई करनी होगी। लेकिन अमेरिका बार-बार अपने बयान में पाकिस्तान को उतना ही महत्व दे रहा है।