विश्व की सबसे बड़ी रिटेल कंपनी वॉलमार्ट ने लगभग 1,500 कर्मचारियों की छंटनी की घोषणा ने अमेरिका में एक नए विवाद को जन्म दिया है। इस छंटनी को लेकर सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने दावा किया है कि कंपनी अमेरिकी कर्मचारियों की जगह H-1B वीजा धारक विदेशी कर्मचारियों, खासकर भारतीयों, को नियुक्त कर रही है। इस मामले में वॉलमार्ट के भारतीय मूल के मुख्य प्रौद्योगिकी अधिकारी (सीटीओ) सुरेश कुमार पर भी सवाल उठाए गए हैं, हालांकि इन दावों के समर्थन में कोई ठोस सबूत नहीं मिला है।
वॉलमार्ट ने इस महीने अपने वैश्विक प्रौद्योगिकी और इन-हाउस विज्ञापन टीमों से 1,500 कर्मचारियों की छंटनी की घोषणा की थी। कंपनी के इस कदम को ऑपरेशन को सुव्यवस्थित करने और निर्णय लेने की प्रक्रिया को तेज करने की रणनीति का हिस्सा बताया गया है। वॉलमार्ट के अमेरिकी सीईओ जॉन फर्नर और सीटीओ सुरेश कुमार ने एक आंतरिक मेमो में कहा, “हम कुछ भूमिकाओं को समाप्त कर रहे हैं और साथ ही कारोबार की जरूरतों और आगे बढ़ने की रणनीति के अनुरूप नई भूमिकाएँ भी बना रहे हैं।”
छंटनी की खबर के बाद, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर कुछ उपयोगकर्ताओं ने वॉलमार्ट पर आरोप लगाया कि कंपनी H-1B वीजा धारकों को प्राथमिकता दे रही है। एक यूजर ने लिखा, “वॉलमार्ट की तकनीकी टीम से हुई छंटनी के बाद क्या यह संयोग है कि कंपनी की आईटी टीम में 40% से अधिक H-1B वीजा धारक भारतीय हैं?” एक अन्य पोस्ट में दावा किया गया कि वॉलमार्ट को हाल ही में 3,800 H-1B वीजा मिले हैं, जिसके बाद यह छंटनी हुई। हालांकि, इन दावों का कोई ठोस सबूत नहीं है।
कुछ एक्स यूजरों ने सुरेश कुमार की तस्वीर साझा करते हुए उनकी भूमिका पर सवाल उठाए। सुरेश कुमार, जो बेंगलुरु में जन्मे और आईआईटी मद्रास के पूर्व छात्र हैं, 2019 से वॉलमार्ट के ग्लोबल आईटी ऑपरेशन को देख रहे हैं। इससे पहले वे गूगल, अमेज़न और माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियों में वरिष्ठ पदों पर काम कर चुके हैं।
वॉलमार्ट का जवाब
वॉलमार्ट ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि छंटनी का H-1B वीजा से कोई संबंध नहीं है। कंपनी ने स्पष्ट किया कि यह कदम लागत में कटौती और बदलती डिजिटल प्राथमिकताओं के अनुकूल होने के लिए उठाया गया है। ब्लूमबर्ग के पूछने पर सुरेश कुमार और जॉन फर्नर ने कहा कि यह पुनर्गठन संगठनात्मक ढांचे को सरल बनाने और दक्षता बढ़ाने के लिए है।
H-1B वीजा पर बढ़ता विवाद
H-1B वीजा, जो विदेशी प्रोफेशनलों को अमेरिका में विशेष तकनीकी नौकरियों के लिए नियुक्त करने की अनुमति देता है, लंबे समय से विवाद का विषय रहा है। हाल ही में, ट्रम्प प्रशासन द्वारा भारतीय ट्रैवल एजेंटों पर अवैध आव्रजन में सहायता के लिए वीजा प्रतिबंध लगाने के बाद H-1B वीजा पर भी सवाल उठे हैं। कुछ MAGA समर्थकों ने इसे “H-1B घोटाला” करार देते हुए इस पर सख्त कार्रवाई की मांग की है।
वॉलमार्ट के सीटीओ सुरेश कुमार एक अनुभवी तकनीकी विशेषज्ञ हैं, जिन्होंने प्रिंसटन विश्वविद्यालय से कंट्रोल सिस्टम्स में पीएचडी की है। वे वॉलमार्ट में क्लाउड सिस्टम, साइबर सुरक्षा और एआई-एकीकृत रिटेल समाधानों जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों की देखरेख करते हैं। उनकी अगुवाई में वॉलमार्ट ने तकनीकी प्रयोगों पर जोर दिया है, लेकिन हाल की छंटनी ने उनकी भूमिका को विवादों में ला दिया है।
वॉलमार्ट की छंटनी ने न केवल कॉर्पोरेट रणनीतियों पर सवाल उठाए हैं, बल्कि H-1B वीजा और विदेशी कर्मचारियों को लेकर अमेरिका में चल रही बहस को भी तेज कर दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि बिना सबूत के इस तरह के दावे न केवल गलत सूचना फैलाते हैं, बल्कि सामाजिक तनाव को भी बढ़ावा दे सकते हैं। वॉलमार्ट ने इस मुद्दे पर अभी तक विस्तृत बयान जारी नहीं किया है, लेकिन कंपनी का कहना है कि वह अपने कर्मचारियों और ग्राहकों के हित में काम करना जारी रखेगी।