पिछले महीने मशहूर अनुवादक डेज़ी रॉकवेल ने X (ट्विटर) पर घोषणा की: ‘अब मैं X को छोड़ रही हूं। मुझसे जुड़ने के लिए आप Blue Sky पर आ सकते हैं।’
उनकी इस घोषणा से मेरे कान खड़े हो गए। मन में कई सवाल आने लगे। कि अचानक ये क्या हुआ कि डेज़ी रॉकवेल जैसी अंतरराष्ट्रीय ख़्याति प्राप्त अनुवादक X छोड़ रही हैं पहले ट्विटर के नाम से प्रसिद्ध X में क्या कमियाँ हैं और उनके छोड़ने के तात्कालिक कारण क्या हैं क्योंकि मैं देखने लगा कि उनके जैसे कई और लेखक, अनुवादक, कवि, मीडिया संस्थान X को छोड़कर Blue Sky ज्वाइन कर रहे हैं।
वैसे, X के बारे में मेरी भी आशंकाएं थीं। पिछले कुछ महीनों से लग रहा था कि वहां सब कुछ ठीक नहीं है। 2022 में जब से एलन मस्क ने ट्विटर पर कब्ज़ा किया और उसका नाम बदल कर X रखा था, तभी से उसपर बदलाव दिखने लगे थे। खरीदने के पहले मस्क ने काफी प्रचार किया था कि वे स्वतंत्र विचारों को बढ़ावा देंगे, गलत सूचनाओं पर नियंत्रण करेंगे वगैरह वगैरह। पर किया उन्होंने ठीक उसका उल्टा।
आते ही उन्होंने उन सभी कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया जो ट्विटर पर घृणा या झूठ को रोकने में लगे थे। उसके बाद उन्होंने 62000 ऐसे निलंबित एकाउंट्स को बहाल किया जिनका प्रयोग झूठ और घृणा फैलाने के लिए किया जा रहा था। फिर डोनाल्ड ट्रम्प के एकाउंट को बहाल किया। वही एकाउंट जिसपर कैपिटल हिल पर हमले के लिए उकसाने का आरोप था। ट्विटर का नया अवतार X धीरे धीरे एक पार्टी, एक विचारधारा के पक्ष में दिखने लगा। मस्क खुद भी वहां रिपब्लिकन पार्टी का प्रचार करने लगे। ट्रम्प के पक्ष में और कमला हैरिस के विरोध में झूठ फैलाने लगे। ग़लत तथ्यों, झूठे वीडियो का प्रयोग करने लगे। वैसे, किसी पार्टी, व्यक्ति या विचार के पक्ष में होना ग़लत नहीं है। पर वह जिस तरीके से कर रहे थे, उससे उनकी निष्पक्षता और उससे भी ज्यादा X की निष्पक्षता पर सवाल उठने लगे।
मस्क साहब केवल वहीं नहीं रुके। द वाशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार अमेरिकी चुनाव में डोनाल्ड ट्रम्प को जिताने में लगी 45 मिलियन डॉलर के एक प्रोजेक्ट का नेतृत्व करने लगे। एक ऐसा प्रोजेक्ट जिसकी बहुत सारी चीज़ें अस्पष्ट थीं। जैसे किन लोगों ने उसमें डोनेशन दिया, कितना दिया वगैरह वगैरह। प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य था कमला हैरिस के समर्थकों को झांसा देकर ट्रम्प के पक्ष में रिझाना और उन्हें बहकाना। इस काम के लिए उनके पास सलाहकारों की एक पूरी फौज थी। अत्यंत आधुनिक तकनीकों से लैस। वे अमेरिकी वोटरों के विचार, उनके व्यक्तिगत पसंद, नापसंद से अवगत थे। उन्होंने इस पर अच्छा-खासा रिसर्च किया था। उन्हें मालूम था कि अमेरिका के किस स्टेट, किस क्षेत्र के वोटर को किस तरह का मैसेज, वीडियो या ऑडियो भेजना है और कैसे भेजना है।
यहूदी वोटरों को मैसेज भेजा गया कि कमला हैरिस इसराइल-फिलीस्तीन मुद्दे पर फिलीस्तीनियों की समर्थक हैं। मुसलमान वोटरों को मैसेज भेजे गए कि कमला के पति यहूदी हैं और वह इसराइल की समर्थक हैं।
उदारवादियों को बताया गया कि कमला रूढ़िवादी हैं और रूढ़िवादियों को कि वे उदारवादी हैं। अश्वेत वोटरों को कहा गया कि कमला के आने से उनके अधिकारों का हनन होगा। श्वेतों को डराया गया कि अश्वेत को ज्यादा लाभ दिये जाएंगे।
ई-मेल, सोशल मीडिया में टेक्स्ट, ओडियो, वीडियो के माध्यम से खूब प्रचार किया गया। झूठ, आधा सच का धड़ल्ले से प्रयोग हुआ। वोटरों की शिनाख़्त करके, सटीक निशाना बनाकर उन्हें इस तरह कन्फ्यूज़ किया गया कि वे कमला हैरिस से विमुख हो जाएं। चुनाव से एक सप्ताह पहले इस प्रचार तंत्र ने अपनी गतिविधियां और तेज कर दीं। स्वाभाविक है कि इसका वोटरों पर अपेक्षित असर हुआ। डोनाल्ड ट्रम्प जीत गए।
जीत के बाद जब डोनाल्ड ट्रम्प ने ऐलान किया कि अमेरिका में ‘एलन मस्क नामक एक नये सितारे का उदय हुआ है’ तब लोगों को आश्चर्य नहीं हुआ। क्योंकि वैसे भी X पर मस्क की गतिविधियां जगजाहिर थीं। रही-सही चीजों का पर्दाफाश द वाशिंगटन पोस्ट, अलजज़ीरा जैसे मीडिया संस्थानों ने कर दिया। यही वो समय था जब सोशल मीडिया के पटल पर ब्लू स्काय नामक एक नये सितारे का उदय हो रहा था। ब्लू स्काय नामक एक माइक्रो ब्लॉगिंग सोशल मीडिया साइट का। ब्लू स्काय की स्थापना 2019 में ट्विटर ने ही की थी। 2022 में मस्क ने आते ही ट्विटर से इसका रिश्ता तोड़ लिया। उसके बाद ब्लू स्काय का अपना एक स्वतंत्र वजूद हो गया। पिछले साल तक यूज़र्स के लिए यह सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं था। फ़रवरी 2024 में यह आम जनता के लिए उपलब्ध हुआ।
दिलचस्प है कि फ़रवरी में जैसे ही ब्लू स्काय की खिड़की दिखी, लोग X को छोड़ उससे जुड़ने लगे। वे X के पक्षपातपूर्ण रवैए से उब चुके थे। ख़फ़ा थे।
अमेरिकी चुनाव के नजदीक आने के साथ-साथ ब्लू स्काय पर भीड़ बढ़ने लगी। पिछले दो महीनों में (अक्टूबर 2024 से) ट्विटर से भागकर ब्लू स्काय ज्वाइन करने वालों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि होने लगी।
द गार्डियन के अनुसार पिछले दो महीनों में क़रीब 2.7 मिलियन अमेरिकी यूज़र्स मस्क के X को छोड़ चुके हैं। और उसी अवधि में ब्लू स्काय में क़रीब 2.6 यूज़र्स की वृद्धि हुई। ब्लू स्काय में यह वृद्धि धीरे धीरे शुरू हुई। पर जैसे जैसे अमेरिका में चुनाव के दिन नजदीक आने लगे, वैसे वैसे इसमें तेजी आने लगी। ट्रम्प की जीत के बाद इसमें और भी तेजी आई। 5 नवंबर को चुनाव परिणाम घोषित हुए और उसके एक सप्ताह के अंदर ब्लू स्काय के यूज़र्स की संख्या 743900 से बढ़कर 1400000 (1.4 मिलियन) हो गई। मतलब दूनी हो गई। उसके अगले सप्ताह में एक बार फिर से दूनी हुई, मतलब 2.8 मिलियन।
X को छोड़ ब्लू स्काय ज्वाइन करने वालों में दुनिया भर के जाने-माने फिल्मकार, कलाकार, साहित्यकार, पत्रकार, मीडिया संस्थान, सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता हैं। 26 नवंबर को यूरोपीय फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट्स ने घोषणा की कि 20 जनवरी 2025 से वे एलन मस्क के X पर कुछ भी प्रकाशित नहीं करेंगे। वे X का हिस्सा इसलिए नहीं बनना चाहते क्योंकि उसके मालिक ने उसे झूठ और प्रोपगंडा फैलाने की मशीन के रूप में परिवर्तित कर दिया है। यूरोपीय फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट्स एक ऐसी संस्था है जिससे 44 देशों के 295000 जर्नलिस्ट्स जुड़े हैं। 13 नवंबर को इंग्लैंड के सम्मानित न्यूज़ पोर्टल द गार्डियन ने घोषणा की X पर वह अपने आधिकारिक हैंडल से कुछ भी पोस्ट नहीं करेगा। अन्य देशों के मीडिया संस्थान एवं नामी हस्तियां भी धीरे-धीरे X को छोड़ रहे हैं। ब्लू स्काय में यूज़र्स की संख्या रोज-ब-रोज तेजी से बढ़ रही है।
हालाँकि X के यूज़र्स की संख्या आज भी 500 मिलियन से ज्यादा है। ब्लू स्काय की संख्या उसकी तुलना में अभी काफी कम है। बल्कि ये मेटा द्वारा संचालित Threads (276 मिलियन) से भी कम है। पर ब्लू स्काय इन दोनों से एक मायने में बिल्कुल अलग है। अभी वह एक ओपन सोर्स प्लेटफार्म की तरह संचालित हो रहा है। मुनाफे के लिए नहीं। वह लोगों के डोनेशन पर निर्भर है। जबकि X एवं Threads दोनों अमेरिका के दो बड़े पूंजिपतियों के हाथों की कठपुतली हैं। हम सब जानते हैं कि X को मस्क कैसे एक औजार की तरह उपयोग कर रहे हैं। मेटा के मालिक मार्क जुकरबर्ग का दामन भी कोई साफ़ नहीं है। उनसे भी लोगों को आशा नहीं है कि Threads का प्रयोग वह निष्पक्ष होकर करेंगे।
ब्लू स्काय की लोकप्रियता का एक और कारण यह है कि यह यूज़र्स को अपने पसंद के लोगों, उनके विचारों से जुड़ने की कुछ खास सुविधाएं प्रदान करता है। साथ ही ये झूठ, प्रोपगंडा और घृणा से दूरी बनाने में मदद करता है। वैसे, खुद के बनाए हुए ईको चेम्बर में रहना और केवल अपने पसंद की बातों को सुनने के अपने कुछ नुकसान भी हैं। दूसरे पक्ष से बातचीत व संवाद का अवसर नहीं मिल पाता है। लेकिन इसके बावजूद यह एक पूंजीपति के बनाए उस चेम्बर से तो लाख गुना बेहतर है जहां आप बार-बार ठगे से महसूस करते हैं।