बीजेपी ने कांग्रेस के 6 सर्जिकल स्ट्राइक वाले दावे को खारिज कर ‘झूठा’ करार दिया। सबसे पहले सर्जिकल स्ट्राइक किस सरकार में की गई इस मुद्दे को लेकर जोरदार बहस छिड़ी हुई है। कांग्रेस और बीजेपी के बीच तीखी बहस चल रही है। कांग्रेस दावा कर रही है कि UPA सरकार के दौरान 6 सर्जिकल स्ट्राइक की गईं थी । वहीं बीजेपी अलग-अलग तथ्य देकर इसे झुठलाने में लगी हुई है। आखिर ये विवाद शुरु कैसे हुआ ? कांग्रेस ने किन सर्जिकल स्ट्राइक का ज़िक्र किया? और बीजेपी इन दावों को झुठलाने के लिए क्या तथ्य दे रही है ? पूरा मामला जानना जरूरी है।
जिस तरह दो बच्चे किसी खिलौने को लेकर झगड़ जाते हैं। एक बच्चा कहता है कि यह मेरा है और दूसरा भी कहता है यह मेरा है। यही हाल है इस वक्त बीजेपी और कांग्रेस का है। बीजेपी सर्जिकल स्ट्राइक का बात-बात पर ज़िक्र करती रहती है वहीं कांग्रेस ने भी एक्स पर एक वीडियो पोस्ट करते हुए UPA सरकार के दौरान 6 सर्जिकल स्ट्राइक का ज़िक्र किया । इसे लेकर अब सियासत तेज हो गई है।
दरअसल यह विवाद शुरू हुआ कांग्रेस नेता शशि थरूर के एक बयान से। थरूर ने कहा कि 2016 में उरी आतंकी हमले के जवाब में की गई सर्जिकल स्ट्राइक भारत की पहली ऐसी कार्रवाई थी, जिसे सभी ने खुलेआम स्वीकार किया। इस बयान ने कांग्रेस में आपसी और बाहरी कलह शुरु कर दिया। लेकिन कांग्रेस का दावा है कि यूपीए सरकार के दौरान भी ऐसी छह सर्जिकल स्ट्राइक हुई थीं। कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर करते हुए लिखा, “कोई शोर नहीं, कोई पीआर नहीं, केवल निर्णायक कार्रवाई। कांग्रेस सरकार के तहत 6 सर्जिकल स्ट्राइक हुईं।”
बीजेपी ने कांग्रेस के इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया। बीजेपी ने 2018 के एक आरटीआई जवाब का हवाला देते हुए कहा कि आरटीआई में डीजीएमओ ने कहा था कि यूपीए सरकार के दौरान कोई सर्जिकल स्ट्राइक नहीं हुई थी। इसलिए ‘डरपोक कांग्रेस को झूठ बोलना बंद करना चाहिए’।
कांग्रेस ने अपने दावे को मजबूत करने के लिए एक लिस्ट साझा की, जिसमें यूपीए सरकार के दौरान सर्जिकल स्ट्राइक की तारीखें दी गई थीं। कांग्रेस के मुताबिक UPA सरकार के दौरान पहली सर्जिकल स्ट्राइक पुंछ के भट्टल सेक्टर में 19 जून 2008 को की गई थी । कांग्रेस का कहना है कि यह सर्जिकल स्ट्राइक पीओके में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाने के लिए की गई थी। इस ऑपरेशन के बारे में सार्वजनिक रूप से कोई विस्तृत जानकारी उपलब्ध नहीं है, क्योंकि इसे गुप्त रखा गया था।
कांग्रेस का कहना है कि यह कार्रवाई बिना किसी प्रचार के की गई थी, जिसका उद्देश्य आतंकी शिविरों को नष्ट करना था। इसके बाद अगली सर्जिकल स्ट्राइक केल में नीलम नदी घाटी के पार साल 2011 में की गई थी । नीलम नदी घाटी पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में एक रणनीतिक क्षेत्र है, जो आतंकी गतिविधियों का केंद्र रहा है। कांग्रेस का दावा है कि भारतीय सेना ने इस क्षेत्र में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया।
तीसरी सर्जिकल स्ट्राइक सावन पात्रा चेकपोस्ट पर 6 जनवरी 2013 को की गई थी जब पाकिस्तानी सेना ने सावन पात्रा चेकपोस्ट पर हमला किया था। कांग्रेस का दावा है कि इसके जवाब में भारतीय सेना ने पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक की। इसके बाद 2013 में ही जुलाई के महीने में नाजापीर सेक्टर पर भी एयर स्ट्राइक करने का दावा कांग्रेस ने किया है । साथ ही आतंकियों की घुसपैठ को रोकने और आतंकी ठिकानों को खत्म करने के लिए अगस्त 2013 और जनवरी 2014 में भी सर्जिकल स्ट्राइक का दावा किया गया है ।
कांग्रेस का कहना है कि ये कार्रवाईयां गुप्त तरीके से की गई थीं और इन्हें सार्वजनिक नहीं किया गया था, क्योंकि उस समय सरकार इसका प्रचार करके वोट बैंक नहीं कमाना चाहती थी । सबसे पहले सर्जिकल स्ट्राइक किसने की ये विवाद पहली बार नहीं उठा है बल्कि इससे पहले भी 2018 में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी दावा किया था कि यूपीए सरकार के दौरान पाकिस्तान के पीओके में तीन सर्जिकल स्ट्राइक हुई थीं। इसके बाद रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुड्डा ने 2019 में कहा था कि भारतीय सेना ने पहले भी सीमा पार कार्रवाइयाँ की हैं, लेकिन उन्होंने तारीखों या स्थानों की पुष्टि नहीं की थी। उन्होंने यह भी कहा था कि सेना का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए।
बीजेपी ने कांग्रेस के इन सभी दावों को “झूठ” करार करते हुए कांग्रेस पर सेना की उपलब्धियों को अपने नाम करने का आरोप भी लगाया।
दूसरी ओर, शशि थरूर की उनके अपनी पार्टी के नेता पवन खेड़ा और उदित राज जमकर आलोचना कर रहे हैं। उदित राज ने तो थरूर को “बीजेपी का सुपर प्रवक्ता” तक कह डाला। उन्होंने कहा कि थरूर का बयान “झूठ और कांग्रेस को नष्ट करने की साजिश” है।
इसके जवाब में थरूर ने सफाई दी कि उनका इरादा यूपीए सरकार की सैन्य कार्रवाइयों को नकारना नहीं था। उन्होंने कहा कि 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक ने भारत की नीति में बदलाव लाया, क्योंकि यह पहली बार था जब ऐसी कार्रवाई को सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया गया। थरूर ने अपनी टिप्पणी के लिए खेद भी जताया और कहा कि वह कांग्रेस के आधिकारिक रुख का समर्थन करते हैं।
इस विवाद से यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या सर्जिकल स्ट्राइक जैसी सैन्य कार्रवाइयों को राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल करना ठीक है? सर्जिकल स्ट्राइक या कोई अन्य सैन्य कार्रवाई सेना करती है ना कि कोई पार्टी या सरकार । इसका श्रेय लेने की होड़ में इस पर राजनीति करना कहां तक सही है?