
Azam Khan On Quitting Politics: जेल से आजाद होने के बाद आजम खां आज फिर रामपुर की राजनीति की गलियों में कदम रख चुके हैं। सलाखों के पीछे बिताए गए वर्षों ने उन्हें कमजोर नहीं किया, बल्कि उनकी सियासी आभा को और तेज कर दिया है। जेल से बाहर आते ही आजम खां ने साफ कह दिया कि मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद उन्हें राजनीति छोड़ देनी चाहिए थी, लेकिन खुदगर्जी और अधूरे कामों ने उन्हें पीछे नहीं हटने दिया।
राजनीति छोड़ने का मन था, लेकिन खुदगर्जी ने रोका
आजम खां ने अपने लम्बे सियासी सफर के अनुभव साझा करते हुए कहा कि रामपुर के हालात बीते दस सालों में बहुत बिगड़ गए हैं। आजम ने भावुक होते हुए कहा, “लोगों का दर्द आंखों में था और कई काम अधूरे थे। यही वजह थी कि हमने राजनीति में बने रहने का विकल्प चुना। मुलायम सिंह के जाने के बाद हमें राजनीति छोड़ देनी चाहिए थी, लेकिन हमारी खुदगर्जी ने हमें फिर भी आगे खड़ा रखा। अब तो ऐसी स्थिति है कि ओखली में सिर दे दिया है, मूसल से डरना क्या।”
उन्होंने आगे बताया कि वह हमेशा नवाबों के खिलाफ संघर्ष करते हुए आए हैं। “रानी विक्टोरिया के बराबर में कुर्सी नवाब की पड़ती थी, उनकी ही गद्दारी के चलते 1947 तक देश आजाद नहीं हो सका। 1857 में जब आजादी के योद्धा मेरठ से निकले, तो जीतते हुए रामपुर तक आए, लेकिन नवाबों की सेना ने उन्हें रोक दिया। यही इतिहास हमें याद रखवाता है कि न्याय और संघर्ष की राह आसान नहीं होती।”
आजम खां ने बसपा जाने के कयासों को किया खारिज
हाल ही में कुछ मीडिया और सियासी गलियारों में यह चर्चा उठी थी कि आजम खां समाजवादी पार्टी छोड़कर बसपा में जा सकते हैं। इस पर आजम खां ने साफ मना करते हुए कहा, “ये तो बचपने की बातें हैं। मैं पहले भी सपा से निकला नहीं था, बल्कि मुझे पार्टी से निकाला गया था। मुलायम सिंह ने मुझे मजबूरी में बाहर किया और फिर मोहब्बत में वापस लिया। हमारा रिश्ता हमेशा अलग रहा।”
जेल यात्रा के दौरान आजम खां लगभग पांच साल सलाखों के पीछे बिताकर आए। इस अनुभव ने उन्हें राजनीतिक और व्यक्तिगत रूप से और मजबूत किया। जेल से बाहर आने के बाद अब रामपुर में उनकी वापसी चर्चा का विषय बन चुकी है।
रामपुर में फिर सक्रिय राजनीति
रामपुर की राजनीति पर आजम खां का प्रभाव हमेशा रहा है। सपा के सत्ता में रहते हुए रामपुर एक तरह से उनका सियासी केंद्र बना रहा। मुसलमान वोट बैंक में उनकी पकड़ और बेबाक शैली ने उन्हें हमेशा सुर्खियों में बनाए रखा। अब जब वह बाहर हैं, तो रामपुर की राजनीति में उनके कदमों की दिशा और उनकी योजनाओं पर हर नजर टिकी हुई है।