सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने के बाद शुक्रवार को राज्यसभा में भारी हंगामा हुआ। इसे लेकर विपक्ष के नेता और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और धनखड़ के बीच जुबानी जंग भी हुई, जिसके कारण राज्यसभा की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित हो गई।
राज्यसभा में विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर धनखड़ ने कहा, “मैं एक किसान का बेटा हूं। मैं किसी भी स्थिति में कमजोर नहीं पड़ूंगा, मैंने काफी सहन किया है।” इस पर खड़गे ने कहा, “अगर आप किसान के बेटे हैं तो मैं भी एक मजदूर का बेटा हूं।”
खड़गे ने धनखड़ को ललकारते हुए कहा, “मैंने आपसे अधिक चुनौतियों का सामना किया है…आप हमारी पार्टी के नेताओं का अपमान कर रहे हैं, आप कांग्रेस का अपमान कर रहे हैं। हम यहां आपकी तारीफ सुनने नहीं आए हैं, हम यहां चर्चा के लिए आए हैं।”
कांग्रेस अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि सभापति विपक्ष की तुलना में सत्ता पक्ष के सांसदों को अधिक समय दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि धनखड़ लगातार कांग्रेस का “अपमान” कर रहे हैं। जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। खड़गे ने कहा, “राज्यसभा के सभापति भाजपा की अराजकता को बढ़ावा दे रहे हैं। वह विपक्षी दलों को बोलने नहीं दे रहे हैं।”
यह गरमागरम बहस जब तेज़ हो गई तो खड़गे ने कहा कि मैं “नहीं झुकने वाला” हूं। इस पर सभापति धनखड़ ने कहा, “मैं देश के लिए मर जाऊंगा…मैं खत्म हो जाऊंगा।” खड़गे ने राज्यसभा सभापति से कहा: “आप मेरा अपमान कर रहे हैं। मैं आपका सम्मान कैसे कर सकता हूं” इसी बहसबाजी के दौरान धनखड़ ने राज्यसभा को पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया और उठकर चले गए।
उपराष्ट्रपति का सदन में रवैया लंबे समय से विवाद का विषय बना हुआ है। धनखड़ को लेकर विपक्ष का कोई भी दल उनके सदन चलाने के तरीके से सहमत नहीं है। सदन में धनखड़ ने अडानी का मुद्दा विपक्ष को उठाने ही नहीं दिया। वो विपक्षी नेताओं के बयानों को सदन की कार्यवाही से निकलवा देते हैं। इससे पहले सभापति और सांसद जया बच्चन के बीच तीखी नोकझोंक हो चुकी है। विपक्ष का आरोप है कि खड़गे दलित और राज्यसभा में विपक्ष के प्रमुख नेता हैं। लेकिन धनखड़ उन्हें बोलने ही नहीं देते हैं।
क्या राष्ट्रपति बनना चाहते हैं धनखड़ः दो दिन पहले भी खड़गे ने धनखड़ पर हमला बोला था। खड़गे ने कहा, “धनखड़ अपनी अगली तरक्की के लिए भाजपा के प्रवक्ता के रूप में काम कर रहे हैं। उपराष्ट्रपति धनखड़ की ‘निष्ठा’ संविधान और संवैधानिक परंपरा के बजाय सत्तारूढ़ भाजपा के प्रति है। मुझे यह कहने में कोई हिचकिचाहट नहीं है कि राज्यसभा में सबसे बड़े व्यवधानकर्ता खुद सभापति हैं।”
कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने कहा “अब सदन में नियमों से ज्यादा राजनीति हो रही है। राज्यसभा सभापति एक हेडमास्टर की तरह स्कूल चला रहे हैं।” उन्होंने कहा- “सभापति ने जानबूझकर विपक्ष द्वारा उठाई गई चर्चा को दबाया। विपक्ष की ओर से जब भी महत्वपूर्ण मुद्दे नियमानुसार उठाए जाते हैं तो सभापति योजनाबद्ध तरीके से चर्चा की अनुमति नहीं देते हैं। बार-बार विपक्षी नेताओं को बोलने से रोका जाता है।”
खड़गे ने कहा कि 1952 के बाद से उपराष्ट्रपति को हटाने का कोई प्रस्ताव राज्यसभा में नहीं लाया गया, क्योंकि इस पद पर रहने वाले लोग “निष्पक्ष और राजनीति से ऊपर” थे और “हमेशा नियमों के अनुसार सदन चलाते थे।” इंडिया गठबंधन ने सभापति जगदीप धनखड़ को हटाने की मांग को लेकर राज्यसभा में प्रस्ताव लाने के लिए नोटिस सौंपा है।
खड़गे ने यह भी कहा कि राज्यसभा सभापति के कार्यों ने “देश की गरिमा को नुकसान पहुंचाया है। मौजूदा हालात के कारण इंडिया गठबंधन को अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए मजबूर होना पड़ा।” मल्लिकार्जुन खड़गे ने अंत में कहा, “हमारी उनसे कोई व्यक्तिगत दुश्मनी या राजनीतिक लड़ाई नहीं है। हम देशवासियों को बताना चाहते हैं कि हमने लोकतंत्र, संविधान की रक्षा के लिए और बहुत सोच-विचार करने के बाद यह कदम उठाया है।”
बता दें कि धनखड़ उपराष्ट्रपति बनने से पहले बंगाल के गवर्नर थे और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी उन पर गंभीर आरोप लगा चुकी है। यह भी आरोप है कि उन्होंने बंगाल की टीएमसी सरकार को इतना परेशान किया कि उसके बदले पीएम मोदी ने उनके उपराष्ट्रपति बनने का रास्ता साफ किया। पीएम मोदी के सामने धनखड़ का शिष्टाचार मशहूर हो चुका है।