जम्मू-कश्मीर के पुंछ और अन्य सीमावर्ती इलाकों में हाल ही में हुई पाकिस्तानी गोलाबारी ने भारी तबाही मचाई है, जिसमें कई लोगों की जान गई और सैकड़ों घर, स्कूल, और धार्मिक स्थल नष्ट हो गए। इस त्रासदी के बाद लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर पीड़ित परिवारों से मुलाकात की और उनके दुख को “बड़ी त्रासदी” करार दिया था। राहुल गांधी ने अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर पुंछ और अन्य प्रभावित इलाकों के लिए तत्काल और उदार राहत व पुनर्वास पैकेज की मांग की है। उन्होंने इसे एक्स पर गुरुवार को साझा भी किया।
राहुल गांधी ने अपने पत्र में लिखा, “पुंछ और सीमा से लगे अन्य क्षेत्रों के लोग दशकों से शांति और भाईचारे के साथ रह रहे हैं। आज जब वे इस गहरे संकट से गुजर रहे हैं, तो हमारा कर्तव्य है कि हम उनके दुख को समझें और उनके जीवन को फिर से संवारने के लिए हर संभव सहायता प्रदान करें।” उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि प्रभावित इलाकों के लिए ठोस राहत और पुनर्वास पैकेज तुरंत घोषित किया जाए।
राहुल के इस कदम ने केंद्र की मोदी सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है। विपक्ष ने इस बात पर नाराजगी जताई है कि न तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और न ही गृह मंत्री अमित शाह अब तक पुंछ या अन्य प्रभावित इलाकों में पीड़ितों से मिलने पहुंचे हैं। कांग्रेस ने इसे सरकार की संवेदनहीनता करार देते हुए बीजेपी को कटघरे में खड़ा किया है।
दूसरी ओर, केंद्र सरकार और बीजेपी ऑपरेशन सिंदूर को अपनी बड़ी कामयाबी बता रही है। सरकार का दावा है कि इस ऑपरेशन के जरिए भारत ने पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकी ठिकानों को नष्ट कर पाकिस्तान पर निर्णायक जीत हासिल की है। हालांकि, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और अमेरिकी सरकार ने दावा किया है कि भारत-पाकिस्तान संघर्ष में सीजफायर उनकी मध्यस्थता के कारण हुआ।
गांधी ने शनिवार (25 मई) को पुंछ का दौरा किया और 22 अप्रैल को पहलगाम हमले और इसके बाद पीओके और पाकिस्तान में भारत की जवाबी कार्रवाई के बाद पाकिस्तानी गोलाबारी के पीड़ितों से मुलाकात की थी। अपने दौरे का एक वीडियो साझा करते हुए, गांधी ने X पर कहा, “पुंछ का दर्द वहां जाकर ही महसूस किया जा सकता है। टूटे हुए घर, बिखरे हुए जीवन — इस दर्द की गूंज से भी केवल एक ही आवाज निकलती है — हम भारतीय एक हैं। मैं अनुरोध नहीं कर रहा, बल्कि सरकार को उसके दायित्व की याद दिला रहा हूं — पुंछ और पाकिस्तानी गोलाबारी से प्रभावित अन्य क्षेत्रों के लिए एक ठोस, उदार और तत्काल राहत और पुनर्वास पैकेज तैयार किया जाना चाहिए। यह मदद नहीं, यह कर्तव्य है।”
विपक्ष ने ऑपरेशन सिंदूर के जश्न को बीजेपी की चुनावी रणनीति का हिस्सा बताया है। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी (सपा), और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) जैसे विपक्षी दलों ने इसकी कड़ी आलोचना की है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, और आरजेडी नेता तेजस्वी प्रसाद यादव ने बीजेपी पर बिहार और अन्य राज्यों में आगामी चुनावों में वोट हासिल करने के लिए इस ऑपरेशन का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया है।
राहुल गांधी ने अपने पुंछ दौरे के दौरान न केवल पीड़ित परिवारों से मुलाकात की, बल्कि गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा और प्रभावित स्कूलों का भी दौरा किया। उन्होंने बच्चों से बातचीत की और उन्हें पढ़ाई, खेल, और दोस्ती के लिए प्रोत्साहित किया। दूसरी तरफ पीएम मोदी गुरुवार को बिहार में थे।पटना में शाम को उनका रोड शो हुआ। जिसमें ऑपरेशन सिंदूर की तस्वीरों से शहर को पाट दिया गया। पूरे राज्य के कई शहरों में मोदी के सेना की वर्दी में कटआउट लगाए गए हैं। मोदी शुक्रवार को रोहतास में रैली कर रहे हैं। पूरे बिहार को बीजेपी ने ऑपरेशन सिंदूर के जश्न में रंग दिया है।
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर उठाने की तैयारी में हैं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने ऑपरेशन सिंदूर पर सर्वदलीय बैठक में कहा था कि विपक्ष सेना के साथ है, लेकिन सरकार को इस संकट में पीड़ितों की मदद के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।
बीजेपी ने राहुल गांधी और विपक्ष के आरोपों पर तीखा पलटवार किया है। बीजेपी प्रवक्ता गौरव भाटिया ने राहुल गांधी को “निशान-ए-पाकिस्तान” कहकर निशाना साधा और उनके बयानों को देश की सुरक्षा के लिए खतरा बताया। भाटिया ने कहा, “राहुल गांधी के बयानों का पाकिस्तानी संसद में समर्थन हो रहा है, जो चिंताजनक है।”
पुंछ गोलाबारी और ऑपरेशन सिंदूर को लेकर भारत में सियासी माहौल गरम है। जहां एक ओर राहुल गांधी और विपक्ष केंद्र सरकार से पीड़ितों के लिए तत्काल राहत की मांग कर रहे हैं, वहीं बीजेपी इसे अपनी सैन्य और कूटनीतिक जीत बता रही है। इस बीच, पीड़ित परिवारों की मदद और पुनर्वास का सवाल अब भी अनुत्तरित है, जिसे लेकर जनता और विपक्ष दोनों की नजरें सरकार पर टिकी हैं।