पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में वक्फ विरोधी प्रदर्शन के दौरान हिंसा की खबरों के बीच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ऐलान किया है कि वो वक्फ कानून को किसी भी कीमत पर बंगाल में लागू नहीं करेंगी। बंगाल की 33% मुस्लिम आबादी को भरोसा देते हुए बनर्जी ने कहा, “आप बंगाल के 33% मुस्लिम आबादी को बाहर नहीं फेंक सकते।”
ममता बनर्जी ने आश्वासन दिया कि सरकार मुस्लिमों की संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी। जैन समुदाय द्वारा आयोजित विश्व नवकार महामंत्र दिवस पर बोलते हुए ममता ने भाजपा पर कटाक्ष करते हुए एकता की वकालत की और इस बात पर जोर दिया कि वह धार्मिक आधार पर बंगाल का विभाजन नहीं होने देंगी। उन्होंने कहा- “कुछ लोग पूछते हैं कि मैं सभी धर्मों के स्थलों पर क्यों जाती हूं। मैंने कहा कि मैं अपने पूरे जीवनकाल में वहां जाती रहूंगी। भले ही आप मुझे गोली मार दें, आप मुझे अलग नहीं कर पाएंगे। बंगाल में विभाजन नहीं होगा, यहां जियो और जीने दो चलेगा।”
मुर्शिदाबाद में मंगलवार को वक्फ कानून के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए। जहां इंटरनेट बंद करना पड़ा और निषेधाज्ञा लागू की गई। ममता का बयान बुधवार को उसी घटना के मद्देनजर आया है। उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) इस कानून की कट्टर विरोधी बनकर उभरी है। इस कानून को इस महीने की शुरुआत में ही लोकसभा और राज्यसभा से पास होने के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने हस्ताक्षर भी कर दिए। हालांकि, बीजेपी ने इस कानून को वक्फ संपत्ति प्रबंधन में पारदर्शिता लाने वाला सुधार बताया है और बनर्जी की आलोचना को “वोट बैंक की राजनीति” करार दिया है।
संशोधित वक्फ कानून में संपत्तियों का अनिवार्य पंजीकरण, वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिमों को शामिल करना और जिला कलेक्टरों को स्वामित्व विवाद सुलझाने का अधिकार जैसे बड़े बदलाव शामिल हैं। तमाम विपक्षी दलों, मुस्लिम संगठनों ने इसे धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला बताते हुए वक्फ कानून को खारिज कर दिया है। पूरे भारत में वक्फ विरोधी प्रदर्शन तेज हो गए हैं। कोलकाता में 4 अप्रैल को वक्फ संरक्षण संयुक्त मंच जैसे समूहों ने प्रदर्शन किए। चेन्नई व अहमदाबाद में भी इसी तरह के प्रदर्शन देखे गए। 12 अप्रैल को मुस्लिम संगठनों ने देशव्यापी प्रदर्शन की घोषणा की है।
यूपी-बिहार में मामला गंभीर
उत्तर प्रदेश में बीजेपी के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर वक्फ संपत्तियों के खिलाफ व्यापक अभियान शुरू किया है। यूपी प्रशासन ने 24,000 सुन्नी वक्फ संपत्तियों और 7,785 शिया वक्फ संपत्तियों को अवैध रूप से पंजीकृत करार दिया है। जिला मजिस्ट्रेटों को बिना दस्तावेज वाली या विवादित जमीनों को जब्त करने का निर्देश दिया है। लेकिन गजब तब हुआ जब मुजफ्फरनगर में वक्फ कानून के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले मुसलमानों को नोटिस दिए गए। वहां मुस्लिमों ने जुमे की नमाज के दौरान काली पट्टी बांधकर अपना विरोध जताया था। लेकिन योगी सरकार को यह विरोध पसंद नहीं आया।
जनवरी में आजतक चैनल के कार्यक्रम में योगी आदित्यनाथ ने चेतावनी दी थी कि महाकुंभ के दौरान वक्फ के तहत जमीन का दावा करने वालों का “डेंटिंग-पेंटिंग” होगा। उनके इस बयान को सोशल मीडिया पर लोगों ने धमकी देना कहा। वक्फ कानून पारित होने के बाद से यूपी सरकार ने बहुत तेजी से कदम उठा रही है। रिपोर्ट्स के अनुसार बिना उचित दस्तावेज वाली संपत्तियों को सरकारी जमीन के रूप में पुनर्वर्गीकृत किया जा रहा है। मुफ्ती जिउर रहमान सहित कई मुस्लिम नेताओं ने कहा- “यह सुधार नहीं, उत्पीड़न है। राज्य मुस्लिमों को उनकी वैध विरासत से वंचित करने के लिए संशोधित कानून का इस्तेमाल कर रहा है।” हालांकि, यूपी सरकार का दावा है कि उसकी कार्रवाई वक्फ के नाम पर केवल अवैध अतिक्रमणों पर को निशाना बना रही है।
बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) भी इस कानून के खिलाफ खुलकर विरोध जता रहा है। आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा है कि पार्टी अगर सत्ता में आई तो इस कानून को बिहार में लागू नहीं करेगी। तेजस्वी ने कहा कि आरजेडी मुस्लिमों के मौलिक अधिकारों के साथ खड़ी है। आरजेडी के मुखर सांसद मनोज झा ने वक्फ कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी है। अभी तक वक्फ कानून को चुनौती देने वाली दस याचिकाएं दायर की जा चुकी हैं।
जैसे-जैसे तनाव बढ़ रहा है, सुप्रीम कोर्ट कई याचिकाओं पर सुनवाई के लिए तैयार है। बिहार में इस साल और बंगाल में 2026 में विधानसभा चुनाव होना है। लेकिन वक्फ संपत्तियों पर कार्रवाई के नाम पर सांप्रदायिक अशांति बढ़ रही है। इस कानून ने धार्मिक अधिकारों और भारत की विविधता में एकता के संतुलन को दांव पर लगा दिया है।