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    Home » शनि का मीन राशि में गोचर: साढ़े साती और ढैय्या के प्रभाव से बच नहीं पाएंगी ये 5 राशियां!
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    शनि का मीन राशि में गोचर: साढ़े साती और ढैय्या के प्रभाव से बच नहीं पाएंगी ये 5 राशियां!

    By March 24, 2025No Comments14 Mins Read
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    शनि का मीन राशि में गोचर: साढ़े साती और ढैय्या के प्रभाव से बच नहीं पाएंगी ये 5 राशियां!

    शनि का मीन राशि में गोचर: एस्ट्रोसेज एआई अपने पाठकों को समय-समय पर ज्योतिष की दुनिया में होने वाले परिवर्तनों के बारे में अवगत करवाता रहा है। आज के इस ब्लॉग में हम शनि गोचर के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। बता दें कि शनि देव 29 मार्च 2025 की रात 10 बजकर 07 मिनट पर मीन राशि में गोचर करने जा रहे हैं। ऐसे में, इनका यह गोचर कुछ राशियों पर साढ़े साती और ढैय्या की शुरुआत और समाप्ति को दर्शाता है। हम जल्द ही आपको उन राशियों के बारे में बताएंगे जिन पर शनि साढ़े साती और ढैय्या का प्रभाव रहेगा और क्या आपकी राशि भी उन राशियों में शामिल हैं। लेकिन, यहाँ जो बात गौर करने वाली होगी कि शनि गोचर और सूर्य ग्रहण एक दिन होने जा रहा है जिससे इसका प्रभाव दोगुना हो सकता है।  

    यह भी पढ़ें: राशिफल 2025

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    शनि साढ़े साती को ज्योतिष शास्त्र की सबसे खतरनाक दशाओं में से एक माना जाता है। ज्यादातर ज्योतिषियों द्वारा जातक को जीवन में आने वाली साढ़े साती के बारे में अवश्य चेतावनी दी जाती है और उन्हें साढ़े साती के नकारात्मक प्रभावों के बारे में बताते हुए देखा जा सकता है। ऐसे में, उन लोगों के मन में डर जन्म लेता है जो लोग ज्योतिष और साढ़े साती के बारे में नहीं जानते हैं या फिर आधी-अधूरी जानकारी रखते हैं। अगर आप भी उन्हीं में से एक है, तो एस्ट्रोसेज एआई अपने पाठकों के लिए यह विशेष ब्लॉग लेकर आया हैं ताकि आप साढ़े साती और ढैय्या के बारे में जान-समझ सकें। तो चलिए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि क्या होती है साढ़ेसाती और ढैय्या? कब से ये शुरू और समाप्त होगी।

    शनि गोचर 2025: क्या होती है साढ़े साती? 

    साढ़े साती एक ऐसी अवधि होती है जो किसी के लिए अप्रिय और किसी के लिए सुखद हो सकती है। यह लोगों के जीवन को पलटने की अपार क्षमता रखती है जो ब्रह्मांड की तरफ से आपको “नींद या सपने से जगाने वाले अलार्म” के रूप में कार्य करती है। यह शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और भौतिक बदलावों का समय होता है जो दुनिया को लेकर आपके नज़रिये को बनाने या बिगाड़ने का काम करता है। हालांकि, यह पूरी तरह से इस बात पर निर्भर करता है कि आपके पूर्व कर्म अच्छे या बुरे कैसे रहे हैं। बता दें कि शनि महाराज सिर्फ़ बुरे फल नहीं देते हैं, बल्कि यह आपको जीवन में आगे बढ़ने में सहायता करते हैं और आपको सही मार्ग एवं सही दिशा में लेकर जाते हैं। साथ ही, आपको बुरे और अच्छे कर्मों का फल प्रदान करते हैं।

    इसके विपरीत, कुछ जातकों के जीवन में यह अवधि कार्यों में देरी, दुश्मनों द्वारा समस्या पैदा करना, नकारात्मक परिस्थितियां, कष्ट और रोग लेकर आती है। साढ़े साती यानी कि साढ़े सात वर्षों को किसी व्यक्ति के जीवन का बेहद कठिन समय माना जाता है इसलिए अधिकतर लोग इससे डरते हैं।

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    कब शुरू और समाप्त होगी शनि साढ़े साती?

    शनि देव की साढ़े सात साल की दशा को साढ़े साती कहते हैं जो ढाई-ढाई साल के तीन चरणों में आती है। इसका पहला चरण उस राशि के लिए होता है जो शनि गोचर की वर्तमान राशि के आगे आती है यानी कि जिस राशि में शनि का गोचर हुआ है, उससे अगली राशि पर पहला चरण शुरू होता है। दूसरा चरण उस चंद्र राशि पर शुरू होता है जिसमें शनि का गोचर हो रहा है और इसी क्रम में, तीसरे चरण की शुरुआत उन राशियों पर होती है जो उस राशि से पहले आती है जिसमें  निकलकर शनि देव दूसरी राशि में जा रहे हैं। 

    सरल शब्दों में कहें तो, मान लीजिए कि शनि का मीन राशि में गोचर हो गया है और ऐसे में, मेष राशि के जातकों पर शनि साढ़े साती का पहला चरण शुरू होगा। वहीं, मीन राशि के जातकों पर साढ़े साती का दूसरा और कुंभ राशि वालों पर तीसरे चरण की शुरुआत होगी। तीसरे चरण की समाप्ति होने के साथ ही साढ़े साती का अंत हो जाता है, उदाहरण के तौर पर जब शनि का मेष राशि में गोचर होगा, तब कुंभ राशि पर साढ़े साती का अंत हो जाएगा। 

    साढ़े साती के प्रथम चरण में जातक को स्वास्थ्य समस्याओं और रोगों आदि का सामना करना पड़ता है। वहीं, साढ़े साती का दूसरा चरण बेहद कठिन माना जाता है जहां आपको पुनः कई मुश्किल परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है क्योंकि शनि देव एक गुरु के रूप में आपको जीवन के महत्वपूर्ण सबक सिखाते हैं और पिछले कर्मों से मुक्ति प्रदान करते हैं। इसी क्रम में, तीसरा चरण काफ़ी हद तक सामान्य रहता है, लेकिन कार्यों में कुछ देरी का सामना करना पड़ता है। साथ ही, आपको सकारात्मक परिणाम मिलने शुरू हो जाते हैं। साढ़े साती जीवन के उन क्षेत्रों को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है जहाँ आपको सुधार की सबसे ज्यादा जरूरत होती है।

    • किसी जातक की जन्म कुंडली में शनि की उपस्थिति निर्धारित करती है कि आपको जीवन में साढ़े साती से सकारात्मक या नकारात्मक परिणामों की प्राप्ति होगी।
    • कुंडली में शनि महाराज शुभ स्थिति में होने पर आपको शनि साढ़े साती के दौरान कड़ी मेहनत और प्रयासों के बाद शुभ फल प्रदान करते हैं। 
    • कुंडली में शनि महाराज की स्थिति कमज़ोर या अशुभ होने पर जातक को मतभेद, रिश्ते और कार्यस्थल में समस्याओं, गलत कार्यों के लिए सजा और कठिन दौरसे गुज़रना पड़ता है। 

    जिन  जातकों की कुंडली में शनि देव योगकारक ग्रह (ऐसा ग्रह जो प्रसिद्धि, सम्मान, धन-समृद्धि, और राजनीतिक सफलता आदि प्रदान करता है।) होता है, उनको जीवन में शुभ परिणामों जैसे कि पदोन्नति,  सराहना और वेतन वृद्धि आदि देता है। लेकिन शर्त यह है कि शनि अस्त न हो, अशुभ ग्रहों के प्रभाव में न हो, वक्री या फिर अशुभ भावों या त्रिक भावों (छठे, आठवें या बारह भाव) में नहीं होना चाहिए। 

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    शनि गोचर 2025: साढ़े साती के दौरान इन राशियों को रहना होगा सावधान!

    मेष राशि 

    मेष राशि के जातकों के लिए शनि देव आपके दसवें भाव और ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं जो अब आपके बारहवें भाव में गोचर करने जा रहे हैं। ऐसे में, 29 मार्च 2025 को होने वाला शनि का गोचर आपकी राशि पर शनि साढ़े साती की शुरुआत कर देगा। इस अवधि में आपको छाती में संक्रमण, फेफड़ों, साँस लेने में कठिनाई जैसी स्वास्थ्य समस्याओं से जूझना पड़ सकता है। यदि आपकी कुंडली में शनि देव का अशुभ प्रभाव है या फिर यह अशुभ भावों (छठे. आठवें और बारहवें भाव) में बैठे हैं, तो आपका काफ़ी पैसा मेडिकल और दवा के बिलों पर ख़र्च हो सकता है। 

    इन जातकों को विदेश यात्रा में देरी का सामना करना पड़ सकता है जिससे आप परेशान नज़र आ सकते हैं। शनि देव दसवें भाव के स्वामी के रूप में आपके बारहवें भाव में जा रहे हैं। सामान्य रूप से अब यह अपने से तीसरे भाव में जा रहे हैं। ऐसे में, नौकरी में आपका ट्रांसफर हो सकता है और इस वजह से आप चिंतित रह सकते हैं। इस अवधि में आपको नौकरी जाने या व्यापार में हानि का भय परेशान कर सकता है। हालांकि, अगर आपकी जन्म कुंडली में अन्य ग्रहों की स्थिति अशुभ नहीं है, तो आपके जीवन में आने वाली समस्याएं आप पर हावी नहीं हो सकेगी।

    कुंभ राशि

    कुंभ राशि वालों पर शनि गोचर के साथ ही साढ़े साती का अंतिम चरण शुरू हो जाएगा इसलिए अब जल्द ही आपके बुरे दिन खत्म होने वाले हैं। शनि का गोचर आपको आपके धैर्य और दृढ़ता के लिए पुरस्कार देना शुरू कर देगा। शनि महाराज आपके जीवनसाथी के साथ आपके रिश्ते को बेहतर बनाने का काम करेंगे और आप दोनों एक-दूसरे के नज़दीक आएंगे। इस अवधि में आप व्यापार के क्षेत्र में कुछ अच्छे सौदे करते हुए दिखाई देंगे। साथ ही, आप बिज़नेस का विस्तार करने में सक्षम होंगे, अगर आप ऐसा करने की दिशा में प्रयास कर रहे हैं। 

    इस अवधि में आपका करियर तेज़ रफ़्तार से आगे बढ़ेगा और साथ ही, आप अच्छा ख़ासा पैसा कमाने में सफल रहेंगे। इस समय आप जीवन में सकारात्मक परिस्थितियों या परिणामों का स्वागत करने के लिए तैयार रहें। अगर आपकी कुंडली में शनि देव की स्थिति कमज़ोर या दुर्बल हैं, तो आपको मिलने वाले परिणाम कम रह सकते हैं। 

    मीन राशि

    मीन राशि के जातकों पर शनि साढ़े साती का दूसरा चरण शुरू होगा। ऐसे में, आपको पिछले जन्मों के कर्मों के फल भुगतने पड़ सकते हैं। मीन राशि वालों के लिए शनि महाराज ग्यारहवें और बारहवें भाव के स्वामी हैं। इसके परिणामस्वरूप, आपको जीवन के सभी क्षेत्रों जैसे कि करियर, आर्थिक जीवन और रिलेशनशिप में, विशेष रूप से बड़े भाई-बहनों के साथ कुछ बदलावों का सामना करना पड़ सकता है।

    जन्म कुंडली में शनि ग्रह की स्थिति के आधार पर आपको परिवार में मतभेदों या विवादों से दो-चार होना पड़ सकते हैं। बता दें कि शनि साढ़े साती दूसरे चरण में अपने चरम पर होती है और अगर कुंडली में शनि देव, गुरु या केतु ग्रह के साथ युति कर रहे होते हैं या फिर इनके नक्षत्र में बैठे होते हैं, तो आपको जीवन के महत्वपूर्ण सबक मिल सकते हैं या कर्मों के फल भुगतने पड़ सकते हैं जो व्यक्तित्व के साथ-साथ जीवन को लेकर आपके नज़रिये को भी बदल सकते हैं।

    अब हम आगे बढ़ते हैं और जानते हैं शनि ढैय्या के बारे में,  शनि ढैय्या को अशुभ माना जाता है और इसका नाम भी लोगों को भयभीत करने के लिए काफ़ी होता है। आइए अब हम जानते हैं कि शनि ढैय्या क्या होती है और यह आपके जीवन को कैसे प्रभावित करती है? साथ ही, शनि गोचर से किस राशि पर शनि की ढैय्या शुरू या समाप्त होगी। 

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    शनि का मीन राशि में गोचर: क्या होती है शनि की ढैय्या?

    वैदिक ज्योतिष के अनुसार, शनि ढैय्या ढाई साल की ऐसी अवधि होती है जब शनि देव किसी व्यक्ति की कुंडली में चंद्र राशि के चौथे भाव और आठवें भाव में प्रवेश कर जाते हैं। अशुभ माने जाने वाली इस अवधि में जातक को तनाव, स्वास्थ्य समस्याओं और आर्थिक संकट जैसी समस्याएं झेलनी पड़ सकती हैं। शनि देव को सख़्त और अनुशासन का ग्रह कहा जाता है जो आपको विपरीत परिस्थितियों और बाधाओं के माध्यम से जीवन के महत्वपूर्ण सबक सिखाता है। शनि ढैय्या के दौरान शनि महाराज आपको धैर्य रखना, कड़ी मेहनत और चुनौतियों का सामना करना सिखाते हैं। 

    शनि ढैय्या का प्रभाव 

    आपको यह बात ध्यान रखनी होगी कि शनि ढैय्या हमेशा नकारात्मक परिणाम नहीं देती है। यह आपको प्रगति के अवसर, धैर्य एवं अनुशासन के महत्वपूर्ण सबक और भौतिकता के साथ-साथ आध्यात्मिकता की गहरी समझ प्रदान करती है। इस अवधि को दृढ़ता, सीखने और कड़ी मेहनत की अवधि के तौर पर देखा जाता है। इस समय आपको चीज़ें आसानी से या बिना मेहनत किए प्राप्त होने की अपेक्षा नहीं करनी चाहिए, बल्कि कड़ी मेहनत और अपने प्रयासों के दम पर चीज़ें हासिल करनी चाहिए।

    शनि ढैय्या एक ऐसे समय के रूप में भी जानी जाती है जब आपको अपने पूर्व जन्म के कर्मों या पिछले जन्म के बुरे कर्मो के शुभ-अशुभ फलों का भुगतान करना पड़ता है। किसी व्यक्ति के जीवन में शनि ढैय्या नीचे दिए गए क्षेत्रों को प्रभावित कर सकती हैं जिसकी वजह से जातक को जीवन  में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। यह ढाई साल का समय होता है, लेकिन साढ़े साती की तुलना में छोटी होती है। 

    • इन लोगों को स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं परेशान कर सकती हैं या फिर शारीरिक और मानसिक रूप से थकान का अनुभव हो सकता है।
    • आपके भीतर अकेलेपन की भावना या दूसरों से अलग-थलग होने की भावना जन्म ले सकती है। 
    • ढैय्या की अवधि गलतफ़हमी पैदा करने का काम करती है, विशेष रूप से परिवार और प्रियजनों के साथ। 

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    शनि गोचर से इन राशियों पर शुरू होगा ढैय्या का प्रभाव 

    सिंह राशि 

    सिंह राशि के जातकों की कुंडली में मीन राशि आठवें भाव के तहत आती है। ऐसे में, शनि का मीन राशि में गोचर आपकी राशि पर ढाई साल की अवधि अर्थात ढैय्या की शुरुआत करेगा। आपके लिए शनि महाराज छठे भाव और सातवें भाव के स्वामी हैं जो अब गोचर करके आठवें भाव में जा रहे  हैं। इस दौरान आपको जीवन में समस्याओं, कोर्ट-कचहरी के मामलों, कार्यों में देरी या फिर व्यापार में बाधाओं से दो-चार होना पड़ सकता है।

    ढैय्या के यह ढाई साल आपके वैवाहिक जीवन के लिए मुश्किल समय लेकर आ सकती है और ऐसे में, आपके और पार्टनर के बीच बहस या मतभेद हो सकते हैं जिसके चलते परिवार की शांति भंग हो सकती है। इस दौरान आपको आर्थिक जीवन में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकते हैं। साथ ही, आपके ऊपर चल रहे किसी मुकदमे का फैसला आने में भी देरी हो सकती है। बता दें कि ढैय्या’ के दौरान आपको फैसला न मिलने की आशंका है। हालांकि, कुंडली में शनि देव की स्थिति और युति के आधार पर आपको मिलने वाले परिणामों में बदलाव हो सकते हैं।

    धनु राशि 

    धनु राशि वालों के लिए शनि महाराज का गोचर आपके चौथे भाव में होने जा रहा है। इसके परिणामस्वरूप, माता की सेहत आपकी चिंता का विषय बन सकती है इसलिए आपको उनका ध्यान रखने की आवश्यकता होगी। आपकी राशि के लिए शनि देव दूसरे और तीसरे भाव के स्वामी हैं और इस प्रकार, शनि की यह ढैय्या कुछ समस्याओं के बाद आपकी नौकरी में बदलाव या फिर ट्रांसफर करवा सकती है। इस वजह से आप तनाव में दिखाई दे सकती है। साथ ही, अगर आप प्रमोशन की उम्मीद लगाए हुए हैं, तो आपको पदोन्नति न मिलने की आशंका है। लेकिन, वेतन में वृद्धि आपको संतुष्टि देने का काम कर सकती है। 

    दूसरी तरफ, यह एक ऐसी अवधि होती है जब आप अपने बॉस या वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बहस में पड़ सकते हैं क्योंकि शनि ग्रह की दृष्टि आपके दसवें भाव पर पड़ रही होगी। ऐसे में, इस तरह की परिस्थितियां आपकी परेशानी बढ़ाने का काम कर सकती हैं इसलिए आपको अपनी भावनाओं को नियंत्रण में रखते हुए अपने काम के साथ-साथ जीवन के प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान देने की सलाह दी जाती है। साथ ही, इस समय किसी के साथ बेकार के वाद-विवाद में पड़ने से बचें। हालांकि, अगर आप इन तमाम समस्याओं के बावजूद भी कड़ी मेहनत करना जारी रखेंगे, तो आपको अंत में सफलता और सकारात्मक परिणामों की प्राप्ति होगी। 

    कालसर्प दोष रिपोर्ट – काल सर्प योग कैलकुलेटर

    शनि का मीन राशि में गोचर के दौरान करें ये अचूक उपाय 

    • दान-पुण्य करने और गरीबों या बुजुर्गों की सहायता करने से शनि देव के नकारात्मक प्रभावों में कमी आती है।
    • शनि ग्रह के लिए की जाने वाली पूजा या धार्मिक अनुष्ठान कुपित ग्रह को शांत करने में सहायक साबित होते हैं।
    • किसी ज्योतिषी की सलाह पर शनि दोष के निवारण के लिए नीलम रत्न धारण करना फलदायी होता है। 
    • शनि ग्रह के अशुभ प्रभावों को कम करने  के लिए आप “शनि गायत्री मंत्र” का जाप कर सकते हैं। 
    • किसी ज्योतिषी से राय लेने के बाद 14 मुखी रुद्राक्ष धारण कर सकते हैं।
    • मांस-मदिरा से परहेज़ करें।
    • घर या कार्यस्थल के मुख्य द्वार पर घोड़े की नाल लटकाएं।
    • जरूरतमंदों को भोजन कराएं और उन्हें उड़द की दाल या काले तिल का दान करें। 

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    इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।

    अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

    1. शनि साढ़े साती कितने समय तक चलती है?

    शनि की साढ़े साती तीन चरणों में आती है जो साढ़े सात तक चलती है। 

    2. शनि साढ़े साती के लिए कौन सा ग्रह जिम्मेदार होता है?

    कर्मों के ग्रह शनि देव साढ़े साती के लिए जिम्मेदार होते हैं। 

    3. ढैय्या कितने वर्ष की होती है?

    शनि की ढैय्या ढाई साल तक चलती है। 

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