भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला, एक्सिअम स्पेस के Ax-4मिशन पर अंतरिक्ष में जाने के लिए तैयार हैं। मिशन का नेतृत्व करने वाले शुभांशु अंतरिक्ष में भारत का परचम लहराने जा रहे हैं। 41 साल के लंबे इंतजार के बाद, भारत एक बार फिर मानव अंतरिक्ष मिशन में कदम रख रहा है।
कैप्टन शुभांशु शुक्ला की कहानी बेहद दिलचस्प और प्रेरणादायी है। लखनऊ के सिटी मॉन्टेसरी स्कूल में पढ़ने वाला एक आम लड़का शुभांशु शुक्ला आज भारत के लिए गर्व बन चुका है। 40 साल के शुभांशु के माता-पिता, शंभू दयाल शुक्ला और आशा शुक्ला, ने उन्हें बड़े सपने देखने के लिए प्रेरित किया। शुभांशु 1999 में करगिल युद्ध से प्रभावित हुए। 2005 में राष्ट्रीय रक्षा अकादमी की परीक्षा पास करने के बाद 2006 में भारतीय वायुसेना में फाइटर पायलट बन गए।
शुभांशु शुक्ला एक अनुभवी पायलट हैं उन्होंने MiG-21, और Jaguar जैसे विमानों को दो हजार घंटे से ज्यादा उड़ाया है। 2019 में, ISRO ने उन्हें भारत के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन ‘गगनयान’ के लिए चुना था। इसके बाद, उन्होंने रूस के यूरी गागरिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में कठिन प्रशिक्षण लिया। अब वे Axiom Space के Ax-4 मिशन के लिए पूरी तरह तैयार हैं और 10 जून को अंतरिक्ष में उड़ान भरने वाले हैं। 15 वर्षों तक एक कॉम्बैट पायलट रहे शुक्ला अब अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की यात्रा करने वाले पहले भारतीय नागरिक बनने जा रहे हैं।
शुभांशु शुक्ला फ्लोरिडा के NASA कैनेडी स्पेस सेंटर से उड़ान भरेंगे । जो रॉकेट इतिहास रचने वाला है वो है SpaceX का Falcon 9 रॉकेट । यह मिशन भारतीय समय के अनुसार शाम 5:52 मिनट पर शुरू होगा और 11 जून को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से जुड़ेगा। शुभांशु के साथ होंगे अमेरिका से कमांडर पेगी व्हिटसन, पोलैंड से मिशन विशेषज्ञ स्लावोस वुजनांस्की, और हंगरी से टिबोर कापू ।
आपको बता दें कि Ax-4 मिशन SpaceX का 53वां ड्रैगन मिशन और 15वां मानव अंतरिक्ष मिशन है। इसे लॉन्च करने की तारीख पहले 8 जून तय की गई थी, लेकिन मौसम और तकनीकी कारणों से इसे 10 जून कर दिया गया। शुभांशु शुक्ला और उनकी टीम ने SpaceX के साथ मिलकर लॉन्च की पूरी रिहर्सल की है और Falcon 9 रॉकेट को हर तरह से जांच लिया गया है। हर जांच में ये रॉकेट सफल हुआ है । अब वे मौसम और डेटा की जांच कर रहे हैं ताकि लॉन्च बिना किसी परेशानी के हो सके।
Ax-4 मिशन में शुभांशु शुक्ला करेंगे क्या?
Ax-4 मिशन में शुभांशु 14 दिन तक ISS पर रहकर वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे। जिसमें सबसे खास प्रयोग है मेथी और मूंग के बीज और मानव शरीर पर अंतरिक्ष के कम गुरुत्वाकर्षण का असर। नासा के साथ 5 संयुक्त अध्ययन भी होंगे, जो मानव स्वास्थ्य और पृथ्वी की नई जानकारियां देंगे। भारत ने इस मिशन के लिए 548 करोड़ रुपये खर्च किए हैं, जिसमें शुभांशु और उनके बैकअप अंतरिक्ष यात्री प्रशांत नायर की ट्रेनिंग शामिल है।
सबसे दिलचस्प बात तो ये है कि शुभांशु अंतरिक्ष में भी घर जैसे खाने का स्वाद ले सकेंगे। जानकारी के मुताबिक ISRO और DRDO ने उनके लिए मूंग दाल का हलवा और आमरस तैयार किया है। इसरो के डायरेक्टर डी के सिंह का कहना है कि, “शुभांशु को घर जैसा खाना मिलेगा, साथ में नासा का इंटरनेशनल फूड भी भेजा जा रहा है।”
सबसे पहली बार 1984 में राकेश शर्मा ने सोवियत सोयुज T-11 से अंतरिक्ष में भारत का परचम लहराया था। अब, 41 साल बाद, शुभांशु शुक्ला उनकी विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। यह मिशन भारत और नासा के सहयोग का प्रतीक है। यह गगनयान मिशन का भी आधार बनेगा।
शुभांशु शुक्ला की यह उड़ान न सिर्फ उनके लिए, बल्कि पूरे भारत के लिए गर्व का पल है। शुभांशु पूरे अंतरिक्ष में भारत का नाम रोशन करने जा रहे हैं। 10 जून को जब Falcon 9 रॉकेट उड़ान भरेगा, हर भारतीय की नजरें शुभांशु पर होंगी।