
Shrikhand Mahadev Kailash Yatra 2025 Start Date
Shrikhand Mahadev Kailash Yatra 2025 Start Date
Shrikhand Mahadev Kailash Yatra: भारत की सबसे कठिन और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण यात्राओं में से एक — श्रृंखल महादेव कैलाश यात्रा — 10 जुलाई से 23 जुलाई 2025 तक आयोजित की जाएगी। इसकी घोषणा श्रृंखल महादेव यात्रा ट्रस्ट और कुल्लू जिला प्रशासन द्वारा की गई है। हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में समुद्र तल से 18,570 फीट की ऊंचाई पर स्थित श्रृंखल महादेव शिखर तक की यह कठिन यात्रा हजारों श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है, जो 72 फीट ऊंचे शिवलिंग के दर्शन कर भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं।
प्रमुख विशेषताएँ
एक विस्तृत योजना बैठक निर्मंड स्थित पंचायत समिति सभागार में हुई, जिसकी अध्यक्षता कुल्लू के उपायुक्त और यात्रा ट्रस्ट के अध्यक्ष टोरूल एस. रविश ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से की। इस बैठक में तय किया गया कि माँ अंबिका की पवित्र छड़ी और दत्तात्रेय स्वामी जी की छड़ी 7 जुलाई को निर्मंड से रवाना होकर गुरु पूर्णिमा तक श्रृंखल महादेव शिखर पर पहुंचेगी और फिर निर्मंड स्थित दशनामी जुना अखाड़ा में लौटेगी। यह यात्रा की एक महत्वपूर्ण धार्मिक परंपरा है।
32–35 किलोमीटर की यात्रा, पाँच भागों में विभाजित
यात्रा निर्मंड के जौन गांव से शुरू होती है और श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा के लिए इसे पाँच सेक्टरों में बाँटा गया है:
1. सिंह गाड़ – पहला बेस कैंप, जहाँ पंजीकरण और मेडिकल जांच की जाती है।
2. ठाचडू – एक प्रमुख विश्राम स्थल, जो एक तीव्र चढ़ाई के बाद आता है।
3. कुंशा – समुद्रतल से 12,500 फीट पर स्थित उच्च ऊंचाई वाला बेस कैंप, जहाँ चिकित्सा और बचाव सेवाएं उपलब्ध हैं।
4. भीम द्वार – अंतिम चढ़ाई से पहले का महत्वपूर्ण ठहराव स्थल, जहाँ बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध हैं।
5. पार्वती बाग – अंतिम बेस कैंप (14,000 फीट), जो अपनी अद्भुत प्राकृतिक सुंदरता और आध्यात्मिक महत्त्व के लिए प्रसिद्ध है। मान्यता है कि यह माँ पार्वती द्वारा रोपित बाग है।
हर सेक्टर में सेक्टर मजिस्ट्रेट, पुलिस अधिकारी, और अटल बिहारी वाजपेयी पर्वतारोहण और संबद्ध खेल संस्थान (ABVIMAS), जल शक्ति विभाग, वन विभाग, और स्वास्थ्य विभाग की टीमें तैनात रहेंगी।
इस बार पहली बार राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) की एक यूनिट को पार्वती बाग में तैनात किया जाएगा, ताकि ऊँचाई से जुड़ी बीमारियों, ग्लेशियर पार करने और अप्रत्याशित मौसम जैसी चुनौतियों का सामना किया जा सके।
पंजीकरण और सुरक्षा व्यवस्था
• हिमाचल प्रदेश के बाहर से आने वाले श्रद्धालु shrikhandyatra.hp.gov.in पर ऑनलाइन पंजीकरण कर सकते हैं।
• पंजीकरण शुल्क ₹250 (गैर-वापसी योग्य) निर्धारित किया गया है, जो ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों के लिए समान है।
• मेडिकल फिटनेस प्रमाण पत्र अनिवार्य है, और सिंह गाड़ में मेडिकल जांच की जाएगी।
• 60 वर्ष से अधिक आयु या स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रसित लोगों को इस कठिन यात्रा से परहेज करने की सलाह दी गई है।
प्रशासन ने यह भी चेतावनी दी है कि यात्रा के दौरान वर्षा और बर्फबारी की संभावना बनी रहेगी, भले ही मौसम गर्मी का हो।
श्रद्धालुओं को गरम कपड़े, रेनकोट, टॉर्च, पानी की बोतलें, ग्लूकोज़ पैकेट, सूखे मेवे आदि साथ लाने की सलाह दी गई है, और सामान का वजन 10 किलो से कम रखने को कहा गया है।
शाम 5 बजे के बाद किसी भी श्रद्धालु को यात्रा की अनुमति नहीं होगी, और रात्रि यात्रा सख्त वर्जित है।
आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व
श्रृंखल महादेव यात्रा को पंच कैलाश यात्राओं में से एक माना जाता है — ये वे पाँच पवित्र स्थल हैं जिन्हें भगवान शिव का निवास माना जाता है।
यह यात्रा घने जंगलों, बर्फीले ग्लेशियरों और ऊँचे घास के मैदानों से होकर गुजरती है और कुल्लू, जोरकंडन और रांगरिक जैसे हिमालयी पर्वतों के विहंगम दृश्य प्रस्तुत करती है।
इस मार्ग में श्रद्धालु कई धार्मिक स्थलों के दर्शन करते हैं:
• प्राकृतिक शिव गुफाएं
• निर्मंड के सात मंदिर
• जावस की नौ देवियाँ
• परशुराम और हनुमान मंदिर
• पार्वती बाग में ब्रह्मकमल — जिसकी मान्यता है कि यह भगवान गणेश के जन्म से जुड़ा हुआ है।
2025 के लिए विशेष व्यवस्थाएँ
• इस वर्ष यात्रा मार्ग में अस्थायी पेयजल स्रोत, शौचालय, और चिकित्सा शिविरों की बेहतर व्यवस्था की गई है, खासकर कुंशा जैसे ऊँचाई वाले स्थानों पर।
• जौन गाँव तक पहुंचने वाले मार्गों की मरम्मत कराई जा रही है।
• स्थानीय टेंट संचालक और यात्रा ट्रस्ट भोजन और आवास की व्यवस्था कर रहे हैं, लेकिन आपातकालीन स्थिति के लिए श्रद्धालुओं को स्वयं भी कुछ आवश्यक वस्तुएं साथ लाने की सलाह दी गई है।
पंजीकरण और जानकारी के लिए
श्रद्धालु shrikhandyatra.hp.gov.in वेबसाइट पर जाकर पंजीकरण और अन्य जानकारियाँ प्राप्त कर सकते हैं, या श्रृंखल महादेव यात्रा ट्रस्ट से संपर्क कर सकते हैं।
प्रशासन ने श्रद्धालुओं को सलाह दी है कि वे समय पर पंजीकरण करें और पूरी तैयारी के साथ इस परिवर्तनकारी तीर्थ यात्रा के लिए निकलें।
यह यात्रा सिर्फ एक चढ़ाई नहीं, बल्कि भगवान शिव से साक्षात्कार का मार्ग है — एक ऐसा आध्यात्मिक अनुभव जो जीवन को दिशा दे सकता है।