अखिलेश यादव ने संभल जिले में मस्जिद सर्वेक्षण को लेकर हुई झड़प और हिंसा के लिए यूपी सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया है। उन्होंने आरोप लगाया कि यूपी उपचुनाव में धांधली पर चर्चा से ध्यान भटकाने के लिए यह सब किया गया ताकि इसपर चर्चा नहीं हो सके। उन्होंने इस तर्क के पीछे वजह भी बताई है।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने क्या वजह बताई है और क्या-क्या आरोप लगाए हैं, यह जानने से पहले यह जान लें कि रविवार को संभल में क्या हुआ। संभल में एक मस्जिद के सर्वे को लेकर बवाल हो गया है और बड़े पैमाने पर हिंसा हुई। इसमें कम से कम तीन लोगों की मौत हो गई है और कई घायल हुए हैं। सर्वे को लेकर पुलिस से झड़प हुई और लोगों ने विरोध में पथराव किया। आगजनी की भी घटना हुई है। हिंसक झड़प तब हुई जब एक सर्वे टीम मस्जिद का सर्वेक्षण करने पहुँची। एक शिकायत पर अदालत के आदेश के बाद टीम सर्वे करने पहुँची थी। शिकायत में दावा किया गया है कि संरचना मूल रूप से एक मंदिर थी। इसी घटना पर अखिलेश ने आरोप लगाया है।
“एक और गंभीर घटना हुई है संभल की। जानबूझकर सर्वे की टीम भेजी, ये सरकार ने कराया है, जिससे चुनाव की धांधली पर चर्चा न हो सके।”
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— Samajwadi Party (@samajwadiparty) November 24, 2024
प्रेस कॉन्फ्रेंस में अखिलेश यादव ने सवाल किया, ‘अगर मस्जिद का पहले ही सर्वेक्षण हो चुका था, तो बिना उचित तैयारी के दूसरा सर्वेक्षण क्यों किया गया यह सुबह के समय क्यों किया गया, जब भावनात्मक प्रतिक्रियाएं भड़कने की संभावना होती है’
सपा नेता का यह आरोप तब आया है जब इसी तरह का सर्वेक्षण 19 नवंबर को किया गया था, जिसमें स्थानीय पुलिस और मस्जिद की प्रबंधन समिति के सदस्य मौजूद थे। पिछले कुछ दिनों से मस्जिद इलाक़े में तनाव बढ़ा हुआ है और भारी पुलिस बल तैनात किया गया है।
अखिलेश यादव ने यह भी आरोप लगाया कि चुनाव अनियमितताओं पर बहस को रोकने के लिए हिंसा की पूर्व योजना बनाई गई। उन्होंने कहा, ‘यह चुनाव प्रक्रिया की जांच से बचने के लिए एक सोची-समझी रणनीति थी।’
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के वकील विष्णु शंकर जैन द्वारा दायर की गई शिकायत में दावा किया गया है कि मस्जिद के स्थान पर कभी हरिहर मंदिर नामक मंदिर हुआ करता था और मुगल सम्राट बाबर ने 1529 में इसे आंशिक रूप से ध्वस्त कर दिया था। विष्णु जैन और उनके पिता हरि शंकर जैन ने ज्ञानवापी-काशी विश्वनाथ विवाद समेत पूजा स्थलों से जुड़े कई मामलों में हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व किया है। शिकायत के बाद अदालत ने सर्वे का आदेश दिया था और इसी को लेकर सर्वे टीम मस्जिद पहुँची थी।
रविवार को जब सर्वेक्षण दल पहुंचा तो इस कदम का विरोध करने के लिए सैकड़ों की संख्या में प्रदर्शनकारी शाही जामा मस्जिद के पास जुटे। इसी बीच धक्का मुक्की शुरू हो गयी। झड़प के बाद पथराव की घटना हुई। कुछ वीडियो में पुलिस को गोलियाँ चलाते देख जा सकता है।
यह घटना हाल ही में हुए उपचुनाव के नतीजों के बाद हुई है, जिसमें भाजपा और उसके सहयोगी राष्ट्रीय लोक दल ने सात सीटें हासिल कीं, जबकि समाजवादी पार्टी को केवल दो सीटें मिलीं।
अखिलेश यादव ने संभल में इस कदम की आलोचना करते हुए दावा किया कि यह जानबूझकर अशांति भड़काने और चुनावी ईमानदारी पर महत्वपूर्ण चर्चाओं से ध्यान हटाने का प्रयास है। उन्होंने दावा किया कि मतदान के दिन पार्टी के बूथ एजेंटों और समर्थकों को व्यवस्थित तरीक़े से हटा दिया गया। उन्होंने कहा, ‘अगर हमारे समर्थकों को मतदान करने से रोका गया, तो वोट किसने डाला बूथ रिकॉर्डिंग और सीसीटीवी फुटेज से आखिरकार सच्चाई सामने आ जाएगी।’ उन्होंने कहा, ‘जिनकी उंगलियों पर निशान नहीं हैं, उनके भी वोट डाले गए हैं। अगर ईवीएम की कोई फोरेंसिक जांच संभव हो तो बटन दबाने के पैटर्न से पता चल जाएगा कि एक ही उंगली से कितनी बार बटन दबाया गया है।’
“ये नए जमाने की इलेक्ट्रॉनिक बूथ कैप्चरिंग का मामला है। अगर PDA के अधिकारी और कर्मचारी बदलकर धांधली न की होती तो भाजपा एक सीट के लिए भी तरस जाती।”
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अखिलेश ने कहा, ‘ये नए जमाने की इलेक्ट्रॉनिक बूथ कैप्चरिंग का मामला है। अगर पीडीए के अधिकारी और कर्मचारी बदलकर धांधली न की होती तो भाजपा एक सीट के लिए भी तरस जाती।’
अखिलेश ने कहा, ‘
“
चुनाव के दिन जब निहत्थों पर बंदूक तानी गई थी तो भाजपा की कमजोरी पूरी दुनिया के सामने आ गई थी। ये चुनाव निष्पक्ष नहीं था, यह चुनाव बेईमानी से और वोट को लूटकर जीता गया है।
अखिलेश यादव, सपा प्रमुख
अखिलेश यादव ने मतदान पर्चियों में अनियमितताओं पर भी चिंता जताई और प्रशासन पर भेदभावपूर्ण व्यवहार का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, ‘सच्चा लोकतंत्र तब पनपता है जब लोगों की आवाज़ उनके वोट के ज़रिए सुनी जाती है, न कि तब जब सिस्टम नतीजों में हेरफेर करता है।’