पीएम मोदी ने शनिवार को लोकसभा में संविधान पर भाषण देते समय अपने पुराने जुमलों को दोहराया और कांग्रेस के परिवारवाद पर निशाना साधा। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि एक परिवार ने 55 वर्षों तक शासन किया और उस पार्टी की “वंशवादी राजनीति” से भारत के संविधान को खतरा है। मोदी ने कहा- ”मैं यहां किसी का व्यक्तिगत अपमान करने के लिए नहीं हूं। बहरहाल, देश के सामने तथ्य रखे जाने चाहिए। कांग्रेस के एक परिवार ने संविधान को चोट पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। एक परिवार ने 75 वर्षों में से 55 वर्षों तक शासन किया।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि तत्कालीन कांग्रेस प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल ने संविधान के मूल्यों के लिए खतरा पैदा कर दिया था।
पीएम मोदी ने कहा, ”जब भारत संविधान के 25 साल पूरे होने का जश्न मना रहा था, तब हमारे लोकतंत्र को कलंकित किया जा रहा था।” मोदी ने कहा कि पूर्व प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने संविधान का दुरुपयोग किया और इसके सिद्धांतों का उल्लंघन किया। उन्होंने अपने चुनाव को न्यायपालिका द्वारा “अवैध” घोषित होने से बचाने के लिए आपातकाल लगाया।
यूसीसी का मुद्दा उठाया
पीएम मोदी ने कहा कि संविधान निर्माता समान नागरिक संहिता (यूसीसी) चाहते थे। संविधान सभा चाहती थी कि देश में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) एक निर्वाचित सरकार द्वारा लागू की जाए। अंबेडकर ने सभी धर्मों के लिए यूसीसी की पुरजोर वकालत की, अन्य नेताओं ने भी ऐसा ही किया; इसीलिए हम एक धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता ला रहे हैं।
नरेंद्र मोदी ने कहा कि शाह बानो मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने का पूर्व पीएम राजीव गांधी का फैसला “वोट बैंक” की राजनीति के लिए संवैधानिक मूल्यों का “उल्लंघन” था।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि दिवंगत प्रधान मंत्री ने भारत के पहले प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू और उनकी बेटी इंदिरा गांधी की परंपरा का पालन किया था।
पीएम मोदी ने कहा, ”गांधी की अगली पीढ़ी भी संविधान से छेड़छाड़ करने में लगी हुई है।”
मोदी ने जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को “राष्ट्रीय एकता” के लिए बाधा बताया और इसे निरस्त करने के कदम की सराहना की। पीएम मोदी ने कहा, ”पिछले 10 वर्षों में हमारी नीतियों, निर्णय लेने की प्रक्रिया का उद्देश्य भारत की एकता को मजबूत करना है।” प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने संविधान को राष्ट्रीय एकता का आधार बताया और कहा कि संविधान सभा के सदस्य विविध पृष्ठभूमि से आए थे।
पीएम मोदी ने पार्टी के भीतर लोकतांत्रिक परंपराओं को लेकर कांग्रेस पर हमला किया और उदाहरण के तौर पर पूर्व नेताओं सरदार पटेल और सीताराम केसरी का हवाला दिया।
पीएम मोदी ने आरोप लगाया, ”कांग्रेस ने अपने संविधान का पालन नहीं किया और जब राज्य इकाइयों ने सरदार पटेल का समर्थन किया तो नेहरू को नेता बनाया।”
मोदी से पहले कांग्रेस की ओर से शुक्रवार को प्रियंका गांधी वाड्रा और शनिवार को राहुल गांधी ने भाजपा को तमाम मुद्दों पर फंसाया। प्रियंका ने जहां उन्नाव, हाथरस, संभल, आगरा के मामले उठाए, वहीं राहुल गांधी ने शनिवार को संविधान के जरिए सावरकर पर हमला बोला। राहुल ने कहा कि सावरकर मनु स्मृति के हिमायती थे, उन्हें भारतीय संविधान पर विश्वास नहीं था। सावरकर मनु स्मृति लागू करना चाहते थे। राहुल से पहले डीएमके सांसद ए. राजा ने कहा था कि सावरकर ही दो राष्ट्र का सिद्धांत लाये थे।
(इस रिपोर्ट का संपादन यूसुफ किरमानी ने किया)