बेंगलुरु भगदड़ के बाद मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के राजनीतिक सचिव के. गोविंदराज को तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया है। इसके साथ ही राज्य के खुफिया विभाग (इंटेलिजेंस) के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक हेमंत निंबालकर का भी तबादला कर दिया गया है। हालाँकि, इस कार्रवाई की वजह नहीं बताई गई है। यह कार्रवाई तब हुई है जब भगदड़ की घटना में 11 लोगों की मौत और 56 से अधिक लोगों के घायल होने के बाद सरकार पर सवाल उठ रहे हैं और राज्य सरकार पर कार्रवाई करने का भारी दबाव है।
राज्य सरकार की अधिसूचना के अनुसार, एमएलसी के. गोविंदराज को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के राजनीतिक सचिव के पद से तुरंत प्रभाव से मुक्त कर दिया गया है। गोविंदराज कर्नाटक ओलंपिक एसोसिएशन के अध्यक्ष भी हैं। उनकी बर्खास्तगी को चिन्नास्वामी स्टेडियम में हाल ही में हुई त्रासदी से जोड़ा जा रहा है। इस घटना के बाद सरकार पर जवाबदेही और कुप्रबंधन को लेकर सवाल उठ रहे हैं।
एनडीटीवी ने सूत्रों के हवाले से ख़बर दी है कि गोविंदराज को इसलिए हटाया गया है क्योंकि भगदड़ से घंटों पहले बुधवार सुबह मुख्यमंत्री के आवास पर बैठक के दौरान उन्होंने आरसीबी की जीत का जश्न मनाने की अनुमति दिए जाने के लिए जोर दिया था, वह भी तब जब पुलिस कमिश्नर ने जश्न कार्यक्रम के लिए अनुमति देने से इनकार कर दिया था।
इसके साथ ही पिछले साल खुफिया विभाग के एडीजीपी नियुक्त किए गए 1998 बैच के आईपीएस अधिकारी हेमंत निंबालकर का तबादला कर दिया गया है। उन्हें बिना किसी नई तैनाती के स्थानांतरित किया गया है। यह कदम भी भगदड़ की घटना के बाद पुलिस प्रशासन की कथित विफलता के मद्देनजर उठाया गया है। भगदड़ के बाद प्रशासनिक और पुलिस व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं।
विपक्षी दलों ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार पर निशाना साधते हुए इस घटना के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। विपक्ष ने कांग्रेस आलाकमान से दोनों नेताओं को हटाने की मांग भी की है।
सरकार ने इस घटना की जाँच के लिए पहले ही वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को निलंबित किया था और अब गोविंदराज की बर्खास्तगी और निंबालकर के तबादले ने इस मामले में प्रशासन की त्वरित कार्रवाई को दिखाया है। हालाँकि, विपक्ष का दबाव बढ़ रहा है कि मुख्यमंत्री पर इस घटना की पूरी जाँच हो और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए।
भगदड़ पीड़ित ने दर्ज की FIR
भगदड़ के एक पीड़ित ने आरसीबी, कर्नाटक स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन यानी केएससीए और इवेंट मैनेजमेंट कंपनी डीएनए नेटवर्क्स के खिलाफ आपराधिक लापरवाही का आरोप लगाते हुए FIR दर्ज कराई है। यह एफ़आईआर बेंगलुरु के कब्बन पार्क पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई है।
केएससीए ने सरकार, आरसीबी पर फोड़ा ठीकरा
कर्नाटक स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन यानी केएससीए ने खुद को निर्दोष बताते हुए सारा दोष राज्य सरकार और आरसीबी पर मढ़ दिया है। केएससीए का कहना है कि इस आयोजन में उनकी कोई भूमिका नहीं थी और वे प्रशंसकों से सीधे तौर पर नहीं जुड़े थे। केएससीए ने अपने बयान में कहा कि इस आयोजन का प्रबंधन पूरी तरह से राज्य सरकार, आरसीबी और इवेंट आयोजकों के जिम्मे था। केएससीए के एक प्रवक्ता ने साफ़ किया, ‘हमारा प्रशंसकों से कोई सीधा संपर्क नहीं था। भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा व्यवस्था का दायित्व सरकार और आयोजकों का था।’ केएससीए ने यह भी दावा किया कि उन्हें इस आयोजन की योजना या कार्यान्वयन में शामिल नहीं किया गया था।
केएससीए ने साफ़ किया कि उसने न तो इस आयोजन की योजना बनाई और न ही इसे लागू किया। संगठन ने कहा, हम प्रशंसकों के साथ सीधे तौर पर नहीं निपटते। भीड़ प्रबंधन की ज़िम्मेदारी सरकार और आयोजकों की थी।’ एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार केएससीए ने कर्नाटक हाईकोर्ट में याचिका लगाकर एफ़आईआर रद्द करने की मांग की है। रिपोर्ट में कहा गया कि याचिका के अनुसार, उत्सव आयोजन कर्नाटक सरकार के आदेश पर आयोजित किया गया था।
इधर, सामाजिक कार्यकर्ता स्नेहमयी कृष्णा ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार और केएससीए अधिकारियों के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें दावा किया गया कि यह आयोजन राज्य सरकार के आदेश पर हुआ था। केएससीए ने जवाब में कहा कि उनकी इस आयोजन में कोई भूमिका नहीं थी और भीड़ प्रबंधन की जिम्मेदारी सरकार और आरसीबी की थी।
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इस घटना की गंभीरता को देखते हुए बेंगलुरु पुलिस आयुक्त बी. दयानंद सहित कई वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। साथ ही, आरसीबी के मार्केटिंग हेड निखिल सोसाले और इवेंट मैनेजमेंट टीम के तीन सदस्यों को हिरासत में लिया गया है। सरकार ने इस मामले की जांच के लिए कर्नाटक उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश माइकल कुन्हा की अध्यक्षता में एक सदस्यीय आयोग का गठन किया है। मामले को आपराधिक जांच विभाग सीआईडी को भी सौंपा गया है। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने इस मामले का स्वत: संज्ञान लिया है और सरकार से 10 जून तक स्टेटस रिपोर्ट मांगी है।