सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को भारतीय सेना की अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ टिप्पणी करने पर मध्य प्रदेश के मंत्री और बीजेपी नेता कुंवर विजय शाह को कड़ी फटकार लगाई तथा उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर में दखल देने से फिलहाल इनकार कर दिया। कुल मिलाकर विजय शाह को सुप्रीम अदालत से भी कोई राहत नहीं मिली। मामले की सुनवाई शुक्रवार को फिर है। अब उनकी गिरफ्तारी शुक्रवार के सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार हो सकती है। उधर, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में भी गुरुवार को इसकी सुनवाई हुई। एमपी हाईकोर्ट ने अदालत की निगरानी में जांच का आदेश दिया है। लेकिन एमपी हाईकोर्ट ने जिस तरह एफआईआर दर्ज की गई है, उस पर नाखुशी जताई है।
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के 14 मई के आदेश को मंत्री विजय शाह ने चुनौती देते हुए फौरन सुनवाई की मांग की थी। भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बीआर गवई की बेंच ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा, “संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति से जिम्मेदारी से काम करने की उम्मीद की जाती है। वह किस तरह का बयान दे रहे हैं? क्या एक मंत्री के लिए इस तरह के बयान देना उचित है?”
इस शाह के वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि मंत्री ने माफ़ी मांगी है, अफसोस जताया है और उनके बयान को मीडिया ने तोड़-मरोड़ कर पेश किया है। वकील ने कहा, “उन्होंने पश्चाताप जताया है और उनके बयान को गलत समझा गया है।” सीजेआई ने कहा, “ऐसी स्थिति में किसी व्यक्ति द्वारा कही गई हर बात सुनी जाती है, खासकर तब जब देश एक संवेदनशील स्थिति से गुज़र रहा हो।” उन्होंने कहा, “आप जानते हैं कि आप कौन हैं, 24 घंटे में कुछ नहीं होगा।”।
एमपी हाईकोर्ट में सुनवाई
इस मामले की सुनवाई गुरुवार को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में भी हुई। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने बीजेपी मंत्री कुंवर विजय शाह के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के तरीके को लेकर राज्य पुलिस की कड़ी आलोचना की। बेंच ने एफआईआर के सार पर सवाल उठाते हुए पूछा, “क्या यही है? क्या आपने एफआईआर पढ़ी है? अपराध के तत्व कहां हैं?”
हाईकोर्ट ने कहा कि जो एफआईआर दर्ज हुई है वो बहुत हल्की है। इसमें ऐसी कोई सामग्री नहीं है जिससे इसे संज्ञेय अपराध ठहराया जा सके। अदालत ने टिप्पणी की कि इसे “इस तरह से तैयार किया गया है कि इसे रद्द किया जा सके।” बेंच ने कहा, “एफआईआर में कुछ भी नहीं है।”
जब वकील ने एफआईआर का मसौदा तैयार न करने की बात स्वीकार की, तो हाईकोर्ट ने पलटवार करते हुए कहा, “जाहिर है कि आपने इसे तैयार नहीं किया है!” वकील ने कहा कि पूरे हाईकोर्ट के आदेश को एफआईआर के साथ संलग्न किया गया था, जिस पर अदालत ने कहा, “यह कल रात दर्ज किया गया था, लेकिन इसकी सामग्री एफआईआर में होनी चाहिए। यदि आपने आदेश संलग्न किया है, तो इसे एफआईआर के हिस्से के रूप में पढ़ा जाएगा।”
बीजेपी ने अभी तक कार्रवाई नहीं की
मंत्री विजय शाह ने सुप्रीम कोर्ट में हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें उनके खिलाफ भारतीय सेना की वरिष्ठ अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने के लिए FIR दर्ज करने का निर्देश दिया गया है। हाई कोर्ट ने बुधवार को शाह की टिप्पणियों को “गटर की भाषा” करार देते हुए इसे सेना और राष्ट्रीय एकता के लिए खतरनाक बताया था। बीजेपी जो ऑपरेशन सिंदूर का जश्न मनाने के लिए पूरे देश में तिरंगा यात्राा निकाल रही है, उसने अभी तक इस नेता और मंत्री पर कोई कार्रवाई नहीं की है।
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर बेंच ने बुधवार को स्वत: संज्ञान लेते हुए, शाह के खिलाफ फौरन FIR दर्ज करने का आदेश दिया। यह कार्रवाई तब शुरू हुई जब शाह ने सोमवार को एक सार्वजनिक कार्यक्रम में कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की। कुरैशी, जो “ऑपरेशन सिंदूर” के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकवादियों के खिलाफ भारतीय सेना की कार्रवाई की जानकारी देने वाली प्रेस ब्रीफिंग की प्रमुख चेहरा थीं, को शाह ने कथित तौर पर “आतंकवादियों की बहन” कहकर संबोधित किया।
हाई कोर्ट के जस्टिस अतुल श्रीधरण और अनुराधा शुक्ला की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा, “भारतीय सेना, शायद इस देश की आखिरी संस्था है, जो अखंडता, उद्योग, अनुशासन, बलिदान, निस्वार्थता, चरित्र, सम्मान और अदम्य साहस को दर्शाती है। विजय शाह ने कर्नल कुरैशी के खिलाफ गटर की भाषा का इस्तेमाल करके सेना को निशाना बनाया है।” कोर्ट ने शाह की टिप्पणियों को “अपमानजनक और खतरनाक” बताया, जो न केवल कुरैशी बल्कि पूरी सेना के लिए हानिकारक हैं।
कोर्ट ने आदेश दिया कि विजय शाह के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 152 (भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कार्य), 196(1)(ब) (धार्मिक आधार पर दुश्मनी को बढ़ावा देना) और 197(अ)(सी) (महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाली भाषा) के तहत तत्काल FIR दर्ज की जाए। कोर्ट ने पुलिस को बुधवार शाम 6 बजे तक FIR दर्ज करने और अनुपालन की जानकारी देने का निर्देश दिया, अन्यथा पुलिस महानिदेशक (DGP) के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू की जाएगी।
इसके जवाब में, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने बुधवार देर रात ट्वीट किया कि हाई कोर्ट के आदेश का पालन किया जाएगा। इसके बाद, इंदौर जिले के मानपुर पुलिस स्टेशन में शाह के खिलाफ BNS की उक्त धाराओं के तहत FIR दर्ज की गई।
विजय शाह ने इस विवाद के बाद मंगलवार को माफी मांगते हुए कहा, “मैं सैन्य पृष्ठभूमि से हूँ। मेरे कई परिवारजन सेना में शहीद हुए हैं। कर्नल सोफिया कुरैशी मेरी बहन से भी अधिक महत्वपूर्ण हैं। अगर मेरे बयान से किसी को ठेस पहुंची है, तो मैं दस बार माफी मांगने को तैयार हूँ।” हालांकि, उन्होंने यह भी दावा किया कि उनके बयान को संदर्भ से बाहर प्रस्तुत किया गया।
इस मामले ने व्यापक राजनीतिक विवाद को जन्म दिया। कांग्रेस ने शाह की टिप्पणियों को “अपमानजनक, सांप्रदायिक और शर्मनाक” करार देते हुए उनकी तत्काल बर्खास्तगी की मांग की। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने X पर लिखा, “BJP-RSS की मानसिकता हमेशा से महिलाओं के खिलाफ रही है। पहले पहलगाम आतंकी हमले में शहीद नौसेना अधिकारी की पत्नी को सोशल मीडिया पर ट्रोल किया गया, फिर विदेश सचिव विक्रम मिस्री की बेटी को परेशान किया गया, और अब BJP के मंत्री हमारी बहादुर कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ ऐसी अशोभनीय टिप्पणियाँ कर रहे हैं।”
कांग्रेस की मध्य प्रदेश इकाई के अध्यक्ष जीतू पटवारी ने बुधवार को शाह के खिलाफ कई शहरों में शिकायतें दर्ज कीं और 24 घंटे के भीतर उनकी बर्खास्तगी की मांग की। दूसरी ओर, मध्य प्रदेश BJP अध्यक्ष वी.डी. शर्मा ने कहा कि पार्टी ने शाह को तुरंत चेतावनी दी थी, लेकिन उनके खिलाफ कार्रवाई पर चुप्पी साध ली। राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) ने भी शाह की टिप्पणियों की निंदा की और कहा कि कर्नल सोफिया कुरैशी “देश की गौरवशाली बेटी” हैं, जिनका सम्मान करना हर भारतीय की जिम्मेदारी है। लेकिन आयोग ने विजय शाह पर कार्रवाई की मांग नहीं की। लेकिन यही आयोग विपक्षी शासित राज्यों में किसी भी घटना को लेकर सक्रिय हो जाता है।
कर्नल सोफिया कुरैशी, जो वडोदरा की मूल निवासी हैं, भारतीय सेना की सिग्नल कोर की अधिकारी हैं। उन्होंने 2016 में ‘एक्सरसाइज़ फोर्स 18’ में भारतीय सेना की टुकड़ी का नेतृत्व किया था, जो भारत द्वारा आयोजित सबसे बड़ा विदेशी सैन्य अभ्यास था। वे ऑपरेशन सिंदूर के दौरान विदेश सचिव विक्रम मिस्री और विंग कमांडर व्योमिका सिंह के साथ प्रेस ब्रीफिंग में सेना का चेहरा रही हैं।
शाह की सुप्रीम कोर्ट में याचिका को जल्द सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किए जाने की उम्मीद है। यह मामला न केवल मध्य प्रदेश की राजनीति बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर सेना के सम्मान और महिलाओं के प्रति व्यवहार के मुद्दों पर बहस को तेज कर रहा है।