
Mayawati Left Government Residence (Photo: Social Media)
Mayawati Left Government Residence (Photo: Social Media)
Mayawati Left Government Residence: बहुजन समाज पार्टी (BSP) की प्रमुख मायावती ने दिल्ली के 35 लोधी ऐस्टेट बंगले को खाली कर दिया है, जिससे सियासत में हलचल मच गई। मायावती को यह बंगला उनकी पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर आवंटित किया गया था। लेकिन अब मायावती ने इस सरकारी आवास को खाली कर दिया है। मायावती के अचनाक उठाए इस कदम से सियासी गलियारों में चर्चा तेज हो गई।
CPWD को सौंप दी चाबियां
जानकारी के मुताबिक, मायावती ने पिछले हफ्ते 35 लोधी ऐस्टेट बंगला खाली किया था, लेकिन बसपा ने अभी तक इस फैसले को लेकर आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा है। रिपोर्टेस के अनुसार, बताया जा रहा है कि 20 मई को मायावती ने बंगला खाली कर दिया था और चाबी सेंट्रल पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट (CPWD) को सौंप दी थी। कहा जा रहा है कि मायावती ने यह फैसला सुरक्षा कारणों की वजह से लिया है।
मायावती के घर बदलने के फैसले के बारे में बसपा के वरिष्ठ पदाधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं। हालांकि, नाम न बताने की शर्त पर बसपा के एक पदाधिकारी ने दावा किया कि मायावती ने सुरक्षा चिंताओं के कारण जगह को बदलने का फैसला किया है। बताया गया कि सरकारी आवास के सड़क पर ही एक स्कूल है, जो सिर्फ 100 मीटर की दूरी पर है। स्कूल वैन अक्सर सरकारी आवास के सामने वाली सड़क पर खड़ी रहती है। स्कूल में बच्चों को छोड़ने और लेने वाले पैरेंट्स भी उसी सड़क पर अपनी-अपनी गाड़ियां पार्क करते हैं। उसी जगह पर बसपा प्रमुख की सुरक्षा में तैनात सुरक्षाकर्मियों की गाड़ियां भी पार्क किए जाते हैं, जिससे काफी दिक्कत होती है।
बता दें कि मायावती को Z+ सिक्योरिटी मिली है, इसे लेकर पदाधिकारी ने कहा कि जब भी वह आवास पर होती हैं, तो सुरक्षाकर्मी को बम निरोधक दस्तों के साथ इलाके की जांच करनी पड़ती थी, जिससे स्कूल और वहां आने वाले लोगों को असुविधा होती थी।
मायावती के इस कदम से सियासी माहौल गर्म
बंगला खाली करने के मायावती के इस कदम ने अटकलों का बाजार गर्म कर दिया है। ऐसे में सवाल खड़े हो रहे हैं कि मायावती का यह फैसला पार्टी की आंतरिक रणनीति का हिस्सा तो नहीं है? या फिर साल 2024 के लोकसभा चुनाव में बसपा का कमजोर प्रदर्शन देखते हुए कुछ नया करने की प्लानिंग? दरअसल, चुनावों में खराब प्रदर्शन के कारण राष्ट्रीय पार्टी के रूप में बसपा के अस्तित्व पर कई सवाल खड़े होने लगे हैं। ऐसे में मायावती के इस कदम से सियासी माहौल गरमा गया है।