कांग्रेस ने सवाल उठाया है कि देश को ऑपरेशन सिंदूर जैसे अहम सैन्य अभियान की जानकारी रक्षा मंत्रालय या प्रधानमंत्री के बयान के बजाय सिंगापुर में दिए गए चीफ़ ऑफ़ डिफेंस स्टाफ़ यानी सीडीएस जनरल अनिल चौहान के एक साक्षात्कार के माध्यम से क्यों मिली। कांग्रेस ने इस मामले में सरकार की चुप्पी और जवाबदेही की कमी को लेकर हमला किया।
ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य सीमा पर आतंकी गतिविधियों को रोकना और राष्ट्रीय सुरक्षा को मज़बूत करना था। हालाँकि, इस अभियान के पहले दो दिनों में हुए नुक़सान और इसके परिणामों को लेकर देश में कई सवाल उठ रहे हैं। सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने सिंगापुर में रायटर्स को दिए एक साक्षात्कार में ऑपरेशन के दौरान भारतीय वायुसेना के कुछ लड़ाकू विमानों के नुक़सान की पुष्टि की थी। उन्होंने कहा कि उन नुक़सानों को तुरंत दुरुस्त किया गया और इसके बाद पाकिस्तान के काफ़ी भीतर तक शक्तिशाली जवाबी हमले किए गए।
सिंगापुर में जनरल चौहान के बयानों ने पाकिस्तान के उन दावों का सीधे खंडन किया कि भारत ने 7 मई के बाद हवाई अभियान रोक दिए थे। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत ने अपनी प्रतिक्रिया को और तेज किया, जिसमें लड़ाकू विमानों, ड्रोनों और मिसाइलों का उपयोग करके सटीक हमले किए गए। सबसे उल्लेखनीय हमला 10 मई को इस्लामाबाद के पास नूर खान एयरबेस पर हुआ। इसके बाद एक युद्धविराम समझौता हुआ।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने दिल्ली में एएनआई से कहा, ‘यह एक असाधारण स्थिति है कि पिछले 11 वर्षों से देश में एक अघोषित आपातकाल जैसी स्थिति बनी हुई है। प्रधानमंत्री न तो सर्वदलीय बैठक की अध्यक्षता करते हैं और न ही संसद को विश्वास में लेते हैं। ऑपरेशन सिंदूर जैसे महत्वपूर्ण अभियान की जानकारी देश को सिंगापुर में दिए गए सीडीएस के साक्षात्कार से मिलती है। यह सरकार की पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी को दिखाता है।’
उन्होंने कहा, ‘हम चाहते थे कि रक्षा मंत्री या प्रधानमंत्री स्वयं लोकसभा और राज्यसभा में इस बारे में बोलें। देश को यह जानने का हक है कि ऑपरेशन सिंदूर में क्या हुआ और हमने इससे क्या हासिल किया।’
कांग्रेस ने कारगिल युद्ध के बाद गठित समीक्षा समिति की तर्ज पर ऑपरेशन सिंदूर के नुक़सान और इसकी रणनीति की जाँच के लिए एक नई समीक्षा समिति के गठन की मांग की है। पार्टी का कहना है कि ऐसी समिति न केवल अभियान की कमियों को उजागर करेगी, बल्कि भविष्य में बेहतर सैन्य रणनीति तैयार करने में भी मदद करेगी।
कांग्रेस नेता ने याद दिलाई है कि कैसे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 1999 में कारगिल युद्ध ख़त्म होने के मात्र तीन दिन बाद कारगिल समीक्षा समिति का गठन किया था। उन्होंने कहा, ‘के. सुब्रह्मण्यम और अन्य द्वारा तैयार कारगिल रिपोर्ट 15 दिसंबर, 1999 को पेश की गई थी और फरवरी 2000 तक संसद में पेश की गई थी। यही पारदर्शिता है। यही लोकतंत्र का कामकाज है।’
रमेश ने आगे तर्क दिया कि हालाँकि सैन्य मामलों को सही मायनों में सेना द्वारा संभाला जाना चाहिए, लेकिन ऑपरेशन सिंदूर के दौरान उजागर हुए चीन-पाकिस्तान गठजोड़ जैसे व्यापक राजनीतिक मुद्दों को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक में संबोधित किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘
जयराम रमेश ने कहा, ‘हम अपने सैन्य अभियानों के बारे में अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों और विदेशी प्रेस के माध्यम से नहीं जान सकते। इस सरकार को बेहतर करना होगा।’
सीडीएस जनरल चौहान के साक्षात्कार में यह खुलासा भी हुआ कि ऑपरेशन के दौरान फर्जी ख़बरों और ग़लत सूचनाओं ने सेना की कार्यक्षमता को प्रभावित किया। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान द्वारा भेजे गए चीन और अन्य देशों की तकनीक वाले ड्रोन अपेक्षित परिणाम देने में विफल रहे। इसके बावजूद ग़लत सूचनाओं के कारण सेना को अपनी रणनीति को बार-बार बदलना पड़ा, जिससे अभियान की प्रभावशीलता पर असर पड़ा।उन्होंने यह भी बताया कि अभियान के दौरान फ़र्ज़ी ख़बरों और ग़लत सूचनाओं के कारण सेना का लगभग 15% समय बर्बाद हुआ।
कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वह ऑपरेशन सिंदूर के परिणामों को लेकर जनता को अंधेरे में रख रही है। पार्टी का कहना है कि सरकार ने न तो संसद में इस मुद्दे पर चर्चा की और न ही विपक्ष को विश्वास में लिया।
कांग्रेस ने इस मुद्दे को संसद के आगामी सत्र में जोर-शोर से उठाने की योजना बनाई है। पार्टी का कहना है कि वह सरकार से ऑपरेशन सिंदूर के सभी पहलुओं पर जवाब मांगेगी, जिसमें अभियान की लागत, नुक़सान, और हासिल किए गए परिणाम शामिल हैं।
एक्स पर इस मुद्दे को लेकर जनता के बीच भी तीखी प्रतिक्रियाएँ देखने को मिल रही हैं। कुछ यूजर्स ने सरकार की पारदर्शिता की कमी की आलोचना की, जबकि अन्य ने सीडीएस के साक्षात्कार को साहसिक कदम बताते हुए उनकी सराहना की। एक यूजर ने लिखा, ‘सीडीएस ने सच बोलकर देश को सच्चाई से अवगत कराया, लेकिन सरकार की चुप्पी कई सवाल खड़े करती है।’ एक अन्य यूज़र ने एक्स पर पोस्ट किया, ‘यह शर्मनाक है कि देश को ऑपरेशन की जानकारी विदेशी धरती से मिल रही है। क्या सरकार को देश की जनता और संसद पर भरोसा नहीं है?’
ऑपरेशन सिंदूर को लेकर कांग्रेस और केंद्र सरकार के बीच तनातनी बढ़ती जा रही है। जहां विपक्ष सरकार पर पारदर्शिता की कमी का आरोप लगा रहा है, वहीं सरकार ने अभी तक इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। आने वाले दिनों में यह मुद्दा संसद और जनता के बीच चर्चा का प्रमुख विषय बन सकता है। कांग्रेस की मांग है कि सरकार इस अभियान के सभी पहलुओं को जनता के सामने लाए और एक स्वतंत्र समीक्षा समिति के गठन की प्रक्रिया शुरू करे।