डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम मंगलवार को 21 दिन की छुट्टी पर रोहतक की सुनारिया जेल से बाहर आ गया। रोहतक के डिवीजनल कमिश्नर द्वारा उनके पक्ष में आदेश पारित करने के बाद उसे जेल से रिहा कर दिया गया।
डेरा प्रमुख सबसे पहले उत्तर प्रदेश के बागपत आश्रम जाएगा।
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मुजरिम राम रहीम अपनी दो शिष्याओं से रेप के आरोप में 20 साल की जेल की सजा काट रहा है। उसे 19 जनवरी को 50 दिन की पैरोल दी गई थी।
हरियाणा की रोहतक स्थित सुनारिया जेल से उसे छोड़े जाने की वजह अदालत का एक आदेश बताया गया है। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा था कि राम रहीम द्वारा दायर अस्थायी रिहाई के किसी भी आवेदन पर हरियाणा सरकार अच्छे आचरण कैदी (अस्थायी रिहाई) अधिनियम 2022 के तहत सक्षम प्राधिकारी द्वारा बिना किसी पूर्वाग्रह के निर्णय लिया जाए। राम रहीम ने हाईकोर्ट में 21 दिनों की फर-लो (छुट्टी) के लिए याचिका दायर की थी।
राम रहीम के फर-लो पर विवाद होता रहा है, क्योंकि उसने फर-लो की शर्तों को तोड़ा, जिससे विवाद हुए। 29 फरवरी को, हाईकोर्ट ने खुद हरियाणा सरकार से कहा था कि वह उसकी अनुमति के बिना डेरा सच्चा सौदा प्रमुख को और पैरोल न दे।
डेरा प्रमुख राम रहीम और तीन अन्य को 16 साल से अधिक समय पहले सिरसा के पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या के लिए 2019 में भी दोषी ठहराया गया था। पत्रकार रामचंद्र ने अपने अखबार में डेरा सच्चा सौदा के अंदर चल रहे तमाम अनैतिक कार्यों के बारे में रिपोर्ट प्रकाशित की थी। उनकी रिपोर्ट में राम रहीम के नेताओं से सीधे संबंध होने के तथ्य भी प्रकाशित हुए थे।
इस साल मई में, हाईकोर्ट ने 2002 में डेरा सच्चा सौदा के पूर्व मैनेजर रणजीत सिंह की हत्या के मामले में राम रहीम और चार अन्य को मामले में “दागदार और अस्पष्ट” जांच का हवाला देते हुए बरी कर दिया था।
दुष्कर्म का दोषी डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को जनवरी में 50 दिन की पैरोल मिली थी। दो महीने पहले यानी अक्टूबर 2023 में उसको 21 दिन की पैरोल मिली थी। पिछले 24 महीनों में राम रहीम सिंह की यह आठवीं और पिछले चार वर्षों में दसवीं पैरोल और फर-लो है। राम रहीम 2023 में तीन मौकों पर ही पैरोल में 91 दिन जेल से बाहर रहा था। पूर्व डेरा प्रमुख शाह सतनाम सिंह की जयंती में शामिल होने के लिए उसे नवंबर में 21 दिन, जुलाई में 30 दिन और 21 जनवरी से 40 दिन के लिए रिहा किया गया था।
2022 में गुरमीत राम रहीम सिंह पूरे 91 दिन पैरोल पर बाहर रहा था। चौतरफा सवाल किया जा रहा है कि आखिर हरियाणा की भारतीय जनता पार्टी सरकार संगीन मामलों में सजायाफ्ता गुरमीत राम रहीम सिंह पर आखिर क्यों इतनी ‘मेहरबान’ रहती है संगीन मामलों के दोषी तथा सख्त सजा काट रहे किसी शख्स को इतनी ज्यादा बार और इतनी कम अवधि में पैरोल पर रिहाई मिल रही है, जबकि आम आदमी को हफ्ते की पैरोल पर बाहर आने की कवायद में महीनों लग जाते हैं और उसके पैरोल की अवधि भी बहुत सीमित होती है।
पैरोल और फर-लो के लिए अपने वकीलों के माध्यम से आवेदन किया जाता है और इसके लिए अनिवार्य रूप से जेल कैप्टन की संस्तुति की जानी चाहिए और उसके बाद डिप्टी कमिश्नर या डिवीजनल कमिश्नर के माध्यम से पैरोल या फर-लो पर फैसला लिया जाता है। उनके लिए कुछ रेकी रखी जाती हैं। पैरोल-फर-लो के नियम काफी सख्त हैं। कुल मिलाकर सब कुछ सरकार के हाथ में है। कैदी के रुतबे के हिसाब से सबकुछ तय होता है। लेकिन अगर किसी मुजरिम पर सीधे सरकार का वरदहस्त हो तो सब कुछ आसान हो जाता है।
देश में यह शायद पहला मामला है कि संगीन मामलों के दोषी तथा सख्त सजा काट रहे किसी शख्स को इतनी ज्यादा बार और इतनी कम अवधि में परोल या फर-लो पर (तदर्थ ही सही) रिहाई-दर-रिहाई मिल रही है।
तथाकथित ‘संत’ बापू आसाराम को एक बार भी परोल या फर-लो नहीं मिला जबकि वह अपेक्षाकृत नरम धाराओं में जेल की सलाखों के पीछे है। ऐसे और भी बेशुमार मामले लंबित हैं। लेकिन गुरमीत राम रहीम सिंह पर बार-बार मेहरबानी के पीछे के रहस्य को आम लोग नहीं समझ पा रहे। जबकि उसकी हर पैरोल के खिलाफ छत्रपति और रणजीत का परिवार प्रशासन के खिलाफ अदालत तक भी जाता रहा है।
हर परोल या फर-लो पर रिहाई के बाद गुरमीत राम रहीम सिंह अपनी प्रत्यक्ष गतिविधियां पहले की तरह जारी रखता है। वर्चुअल सिस्टम के जरिए वह बाकायदा सत्संग करता है और गाने रिकॉर्ड करवाता है। हरियाणा में डेरा मुख्यालय के साथ-साथ, अन्य तमाम उप-डेरों में उसके लंबे लाइव सत्संग होते हैं।
उसके वर्चुअल सत्संग में शिरकत करने वालों में वरिष्ठ भाजपा नेता अथवा पदाधिकारी भी होते हैं। इस सत्संग को हरियाणा के उन इलाकों में बार-बार दिखाया जाता है, जहां डेरे के अनुयायियों की तादाद ज्यादा है। पिछली बार जब उसे रिहा किया गया तो पंचायत और जिला परिषद चुनाव होने थे। उसके केंद्रीय स्तर के नेता तक बलात्कारी गुरमीत राम रहीम सिंह को एक अध्यात्मिक शख्सियत सजायाफ्ता होने के बाद भी बता रहे हैं। इसके अलावा वह तथाकथित सामाजिक कार्यकर्ता, अभिनेता, गायक और निर्माता-निर्देशक तो है ही! शासन व्यवस्था के पैरोकार भूल जाते हैं कि इसी राम रहीम सिंह को जब पंचकूला में विशेष अदालत ने सजा सुनाई थी तब उस खूबसूरत शहर का एक बड़ा हिस्सा तहस-नहस कर दिया गया था और वहां हुई हिंसा में कई लोग मारे गए थे। पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, पूर्व मंत्री राम विलास शर्मा समेत अनगिनत भाजपा नेताओं के डेरा प्रमुख के साथ फोटो सार्वजनिक हो चुके हैं। 2014 में सत्ता संभालने के बाद पीएम मोदी ने देशव्यापी सफाई अभियान छेड़ा था तो उसमें राम रहीम के चेलों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया था। अखबारों में विज्ञापन देकर सफाई करते हुए डेरे के चेलों के फोटो प्रकाशित हुए थे।
पिछली बार की पैरोल पर उसने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अपने अनुयायियों से कहा था कि “हम गुरु थे, हैं और रहेंगे”! पंजाब में राम रहीम के खिलाफ बेअदबी का केस चल रहा है। बेअदबी का आरोप काफी गंभीर है। हरियाणा में जो आरोप हैं और कुछ साबित हो चुके हैं, उनका जिक्र ऊपर किया जा चुका है। इसके बावजूद राम रहीम को बार-बार फर-लो या परोल मिलना न सिर्फ सरकार पर बल्कि इंसाफ के तराजू पर भी सवाल उठा रहा है।