फैसला हालांकि चुनाव आयोग का है लेकिन उसने हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी के हाथ में एक सुविधा पकड़ा दी है। हरियाणा विधानसभा चुनाव की घोषणा करते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने बताया कि इस बार फरीदाबाद, गुड़गांव और सोनीपत जैसे बड़े शहरी इलाकों की बहुमंजिली रिहाइशी इमारतों में मतदान केंद्र बनाए जाएंगे। मुमकिन है कि वोटिंग का समय आते-आते इस सूची में पंचकूला भी जुड़ जाए। इसके पीछे की सोच यह है कि इन इमारतों में रहने वालों को वोट डालने के लिए कहीं दूर न जाना पड़े।
ये ऐसे इलाके हैं जिनके बारे में यह धारणा बनती जा रही है कि वहां वोटर वोट डालने को लेकर आमतौर पर उदासीन रहते हैं। गांवों के मुकाबले इन शहरी इलाकों में वोट प्रतिशत काफी कम भी रहता है। इसीलिए राजनीतिक दल सारा ध्यान गांवों पर ही देते हैं। चुनाव आयोग ने अपने फैसले के लिए शहरी क्षेत्रों में मतदाताओं की उदासीनता का तर्क ही दिया है।
दिलचस्प बात यह है कि इन्हीं शहरी इलाकों को भाजपा का गढ़ माना जाता रहा है। इन बहुमंजिली इमारतों में रेजीडेंट वेल्फेयर एसोसिएशंस यानी आरडब्लूए में घुसपैठ बनाने में पिछले कुछ समय में भाजपा ने कामयाबी हासिल की है। इन आरडब्लूए के व्हाट्सएप ग्रुप भाजपा के प्रचार और कुप्रचार को फैलाने का सबसे बड़ा जरिया बन चुके हैं। लेकिन दिक्कत यही है कि यह समर्थन जितना बड़ा दिखता है उतना यह वोटों में बदल नहीं पाता। यह एक ऐसी समस्या है जिसके सामने भाजपा की बहुप्रचारित पन्ना प्रमुख जैसी प्रबंध व्यवस्थाएं भी एक हद से ज्यादा कामयाब नहीं हो पातीं।
पिछले दिनों हरियाणा के एक नेता ने एक यू-ट्यूब चैनल से कहा था कि शहरी क्षेत्रों के हाउसिंग कांप्लैक्स में जो लोग रहते हैं वे ज्यादातर राज्य के बाहर के हैं। हालांकि वे वोटर यहां के ही हैं। स्थानीय नेताओं से उनका संपर्क नहीं बन पाता। वे ज्यादातर टीवी पर राष्ट्रीय मुद्दों को देखते हैं और उसी के हिसाब से वोट भी देते हैं।
भाजपा अब इसी स्थिति में संभावनाएं ढूंढ रही है। यहां एक और चीज पर ध्यान देना जरूरी है कि भाजपा ने अभी तक हरियाणा चुनाव के लिए कोई चेहरा तय नहीं किया। यही माना जा रहा है कि हरियाणा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही भाजपा का चुनावी चेहरा होंगे। उम्मीद की जा रही है कि कम से कम शहरी मतदाताओं में यह दांव असर दिखाएगा।
लेकिन अगर हम अभी कुछ ही महीने पहले हुए लोकसभा चुनाव को देखें तो उसमें हरियाणा के शहरी मतदाताओं ने भी भाजपा का साथ नहीं दिया। उस समय से हरियाणा में बड़े स्तर पर जो चुनावी समीकरण बन रहे हैं उनमें चुनाव आयोग का यह फैसला भाजपा की बहुत मदद कर पाएगा यह उम्मीद नहीं है।