
Keshav Prasad Maurya News: उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक दिलचस्प नारा इन दिनों चर्चा में है, ‘2027 में 2017 दोहरायेंगे’। नारे को उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य बार-बार दोहरा रहे हैं। अलग-अलग मंचों से अलग-अलग संदर्भों में। लेकिन डिप्टी सीएम क्यों जानबूझकर 2022 को टालते हुए सिर्फ 2017 की बात कर रहे हैं।
दरअसल, 2017 में भाजपा ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बनाई थी। उस समय पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष खुद केशव मौर्य थे। चुनावी रणनीति और सोशल इंजीनियरिंग में उनका बड़ा योगदान था। बीजेपी ने मौर्य के चेहरे पर पिछड़े वर्गों में बड़ी पैठ बनाई थी और चुनाव में ऐतिहासिक सफलता हासिल की थी।
दूसरी ओर, 2022 का चुनाव मौर्य के लिए व्यक्तिगत रूप से कुछ खास सफल नहीं रहा। वह खुद सिराथू सीट पर पल्लवी पटेल चुनाव हार गए थे। साथ ही चुनावी नेतृत्व भी पूरी तरह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हाथों में था। संगठन में भी केशव मौर्य की भूमिका सीमित ही रही थी। इसलिए जब मौर्य 2027 में 2017 को दोहराने की बात करते हैं। तो यह सिर्फ चुनावी नतीजों की बात नहीं बल्कि उस नेतृत्व की भूमिका की भी बात है जो उन्हें 2017 में मिली थी और 2022 में नहीं।
डिप्टी सीएम बार-बार याद दिलाना चाहते हैं कि 2017 की ऐतिहासिक जीत में उनकी संगठनात्मक और सामाजिक रणनीति की भूमिका अहम थी और अगर वो दोबारा प्रदेश अध्यक्ष बनते हैं तो 2027 में अगर पार्टी जीत हासिल करती है तो वो सीएम पद पर अपना दावा मजबूती से ठोंक सकते हैं।
क्या 2027 के लिए फिर से ‘चेहरा’ बनना चाहते हैं मौर्य?
राजनीतिक सूत्रों का मानना है कि मौर्य एक बार फिर 2017 जैसे नेतृत्व की भूमिका में आना चाहते हैं। उनका यह नारा ‘2027 में 2017 दोहराएंगे’, एक तरह से संदेश है। वो भाजपा कार्यकर्ताओं को बताना चाहते हैं कि अगर पार्टी उन्हें फिर से संगठन की कमान सौंपती है तो वे 2017 जैसी जीत फिर से दिला सकते हैं।
प्रदेश अध्यक्ष बनाए जा सकते हैं केशव मौर्य
खबर है कि पार्टी नेतृत्व जल्द ही मौर्य को प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बना सकता है। सूत्रों के अनुसार, 13 जुलाई के बाद कभी भी इसकी आधिकारिक घोषणा हो सकती है। अगर ऐसा होता है तो यह मौर्य के लिए 2017 की तरह भूमिका में वापसी होगी।