तेलअवीव
हमास के राजनीतिक प्रमुख इस्माइल हानिया की हत्या के बाद शिया देश ईरान और इजरायल में युद्ध जैसे हालात हैं। अमेरिकी सूत्रों का कहना है कि ईरान अगले 3 दिनों में इजरायल पर भीषण हमला कर सकता है। इस हमले में लेबनान का हिज्बुल्ला और यमन के हूती विद्रोही भी साथ दे सकते हैं। इन सबके बीच अमेरिका जॉर्डन, यूएई और सऊदी अरब जैसे सुन्नी मुस्लिम देशों से एक गठबंधन बना रहा है ताकि ईरान और उसके सहयोगी संगठनों के किसी भी हमले को विफल किया जा सके। हमास के 7 अक्टूबर के हमले से पहले इजरायल और सऊदी अरब के बीच रिश्तों को पहली बार सामान्य बनाने पर लगभग सहमति बन गई थी लेकिन अब यह खटाई में चली गई है। इजरायली मीडिया के मुताबिक अब नेतन्याहू ईरान तनाव को देखते हुए सऊदी अरब के साथ रिश्तों को सामान्य बनाने की प्रक्रिया को अमेरिका के चुनाव तक स्थगित करना चाहते हैं।
इजरायल के एन 12 टीवी की रिपोर्ट के मुताबिक इजरायली प्रधानमंत्री चाहते हैं कि नवंबर में अमेरिका के चुनाव परिणाम आने तक सऊदी अरब के साथ रिश्ते को सामान्य करने की प्रक्रिया को स्थगित कर दिया जाए। नेतन्याहू को डर सता रहा है कि ईरान के साथ युद्ध छिड़ सकता है और अमेरिका की सीनेट में सऊदी डील को मंजूरी मिलेगी या नहीं, यह कहना मुश्किल है। वहीं द वॉशिंगटन इंस्टीट्यूट के कार्यकारी डायरेक्टर रॉबर्ट स्टालओफ का कहना है कि वह इस रिपोर्ट में भरोसा नहीं करते हैं। उन्होंने कहा कि नेतन्याहू और बाइडन के बीच मुर्गा लड़ाई चल रही है।
बाइडन और नेतन्याहू में चल रही है टेंशन
रॉबर्ट ने कहा कि बाइडन और नेतन्याहू दोनों पुराने खिलाड़ी हैं। बाइडन ने यह बात लीक होने दी कि सऊदी अरब के साथ डील को अब किनारे कर दिया गया है क्योंकि उन्हें पता है कि नेतन्याहू ऐसा चाहते हैं। बाइडन ने नेतन्याहू पर दबाव बनाने के लिए यह किया। वहीं अब नेतन्याहू ने खुद ही सऊदी डील को किनारे करके बाइडन को संदेश दे दिया है कि उन्हें दबाया नहीं जा सकता है। नेतन्याहू का मुख्य लक्ष्य सऊदी अरब के साथ इजरायल के सामान्य रिश्ते था और सत्ता में आने के बाद उन्होंने पूरी ताकत लगा दी थी।
इससे पहले बाइडन और नेतन्याहू सऊदी अरब के साथ 3 हिस्सों वाले समझौते की ओर आगे बढ़ रहे थे जिसे हमास के हमले ने पटरी से उतार दिया। इसमें सऊदी अरब और अमेरिका के बीच सुरक्षा समझौता शामिल था। इसके अलावा इजरायल सऊदी अरब के बीच रिश्ते सामान्य बनाना और फलस्तीन देश के लिए रास्ता साफ करना था। बाइडन प्रशासन को यह भरोसा था कि गाजा में बंधक संकट को खत्म करने और सीजफायर डील से एक बार फिर से सऊदी अरब के साथ रिश्तों को सामान्य बनाने के डील को फिर से आगे बढ़ाया जा सकेगा।
ईरान के खिलाफ गठजोड़ बना रहे थे बाइडन
सऊदी अरब के साथ सुरक्षा समझौते को अमेरिका के सीनेट से मंजूरी मिलना जरूरी होगा लेकिन इसके लिए रिपब्लिकन पार्टी के सपोर्ट की जरूरत होगी। वहीं ऐसा माना जाता है कि एक सऊदी अमेरिकी सुरक्षा डील को डेमोक्रेट तब सपोर्ट नहीं करेंगे जब डोनाल्ड ट्रंप सत्ता में होंगे। वहीं इस डील को शिया देश ईरान के खिलाफ एक क्षेत्रीय सुरक्षा ढांचे के लिए आधार माना जा रहा था। इसमें सऊदी अरब और इजरायल दोनों को ही शामिल किया जाना था।
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