बताइए, ये भी कोई बात हुई कि विपक्ष गृहमंत्री अमित शाह से कह रहा था कि आपने बाबासाहेब आंबेडकर का नाम लेने को ‘फैशन’ बताकर उनका अपमान किया है, आप इसके लिए माफी मांगिए, त्यागपत्र दीजिए! कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे जी ने तो उसी दिन अल्टीमेटम दे दिया था कि आज रात बारह बजे तक इस्तीफा दो मगर शाह जी, शाह जी हैं। सौ टंच हिंदुत्ववादी और हिंदूवादी सत्ता में रहते हुए न तो माफी मांगता है, न त्यागपत्र देता है और शाह जी तो अपने साहेब जी के चाणक्य भी हैं,न! चाणक्य ने बताइए चंद्रगुप्त मौर्य को अपना इस्तीफा कभी सौंपा था ये चाणक्य जी तो वैसे भी इस्तीफा दिलवाते हैं, देते नहीं!
वे लोग इस दुनिया से कूच कर गए, जिन्हें शर्म आती थी, जो गलती करते थे तो माफी मांग लेते थे, इस्तीफा दे देते थे। वे इनकी दुनिया से अलग, दूसरी ही दुनिया के लोग थे। इनके मुंजे जी बड़े गदगद भाव से 1931 में फासिस्ट मुसोलिनी से मिलकर आए थे मगर उन्होंने कभी इसके लिए माफी मांगी उनके लिए तो यह राष्ट्रवादी कार्य था। गुरु गोलवलकर ने अपनी पुस्तक ‘बंच ऑफ़ थॉट्स’ में फासिस्टों और नाजियों का समर्थन किया था। इसके लिए उन्होंने या उनकी ओर से किसी ने कभी माफी मांगी किसी संघी ने स्वतंत्रता आंदोलन का विरोध और अंग्रेजों का समर्थन करने के लिए कभी माफी मांगी
रामरथ यात्रा के दौरान और बाबरी मस्जिद गिरवाने के बाद लालकृष्ण आडवानी ने माफी मांगी थी 2002 में गुजरात में हुए नरसंहार के लिए तब के मुख्यमंत्री तथा आज के प्रधानमंत्री ने कभी माफी मांगी तो बताइए आंबेडकर का अपमान करना इनके लिए कौन-सी ऐसी नई बात है, जो इसके लिए अमित शाह माफी मांगें इनके पूज्य सावरकर जी और गोलवलकर जी ने आंबेडकर के बनाए संविधान के बारे में कहा था कि इसमें भारतीय कुछ नहीं है। माफी मांगी किसी ने
आंबेडकर जी ने नेहरू मंत्रिमंडल से इस्तीफा दिया था, उसकी वजह शाह जी जानबूझकर बताना भूल गए। उसका कारण हिंदू कोड बिल था, जिसका इनके पूर्वजों ने जबरदस्त विरोध किया था, आंबेडकर और नेहरू के पुतले जलाए थे। इस बिल के विरुद्ध रैली की थी। शवयात्रा निकाली थी। आज तक किसने इसकी माफी मांगी संविधान और बाबासाहेब का अपमान करना इनके लिए नया नहीं है। संघ तो तिरंगे को भी स्वीकार करने को राजी नहीं था। 2001 में जाकर जब बहुत दबाव पड़ा, तब से संघ के नागपुर कार्यालय पर तिरंगा फहराया जाने लगा। इतने अधिक तो ये बेचारे राष्ट्रवादी हैं।
इनके साहेब ने पिछले साढ़े दस साल में कभी एक बार भी सच बोला है और कभी एक बार भी झूठ बोलने के लिए माफी मांगी है इनके लिए झूठ बोलना ही सच बोलना है। ये अच्छे दिन लानेवाले थे। माफी मांगी दो करोड़ रोजगार हर साल देनेवाले थे। माफी मांगी
काला धन विदेशों से लाकर हरेक नागरिक को 15- 15 लाख रुपए देनेवाले थे। माफी मांगी मेरा इरादा गलत निकल जाए कहनेवाले का इरादा गलत निकला तो क्षमा मांगी
बाबासाहेब की पुण्यतिथि 8 दिसंबर को बाबरी मस्जिद किसने तोड़ी थी वे संघी नहीं कोई और थे क्या किसने आम आदमी पार्टी सरकार के मंत्री राजेन्द्र पाल गौतम द्वारा आंबेडकर की 22 प्रतिज्ञाएं दोहराने पर उन पर त्यागपत्र दिलवाने के लिए दबाव डाला था वे भाजपाई नहीं थे क्या
आंबेडकर तो हिंदू देवी-देवताओं की पूजा के विरोधी थे, तुम हो वे हिंदू राष्ट्र के विरोधी थे, तुम हो आंबेडकर समाजवाद के समर्थक थे, तुम हो तो तुम्हारे लिए तो आंबेडकर का नाम लेना तो फैशन ही है और फैशन ही रहेगा। फिर अपनी बात से पीछे क्यों हट रहे हो कहां गया तुम्हारा वह 56 इंची सीना सिकुड़ गया क्या कितना सिकुड़ा इतना ही बता दो।
और ये बताओ अंत में मैं जय भीम कहूं या जयश्री राम जय भीम तो चलेगा न अमित शाह जी चलेगा न!