Close Menu
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Trending
    • अकेला पड़ता ईरान और ‘उम्मत’ का छद्म!
    • मैंने भारत-पाक युद्ध रुकवाया, मुझे पाकिस्तान से प्यार: डोनाल्ड ट्रंप
    • इसराइल के खिलाफ जंग में ईरान अकेला क्यों पड़ गया है?
    • क्या अमेरिका ईरान पर बड़ा हमला करने की तैयारी कर रहा है?
    • तमिलनाडु की कीलडी सभ्यता पर केंद्र से विवाद, ASI निदेशक को क्यों हटाया गया?
    • Satya Hindi News Bulletin। 18 जून, शाम तक की ख़बरें
    • Satya Hindi News Bulletin। 18 जून, सुबह तक की ख़बरें
    • कर्नाटक में बाइक टैक्सी पर लगा ब्रेक-ओला, उबर, रैपिडो को झटका…क्या अन्य राज्य भी उठा सकते हैं यही कदम
    • About Us
    • Get In Touch
    Facebook X (Twitter) LinkedIn VKontakte
    Janta YojanaJanta Yojana
    Banner
    • HOME
    • ताज़ा खबरें
    • दुनिया
    • ग्राउंड रिपोर्ट
    • अंतराष्ट्रीय
    • मनोरंजन
    • बॉलीवुड
    • क्रिकेट
    • पेरिस ओलंपिक 2024
    Home » Hastshilp Kala Ka Itihas: आइए जाने भारत के अज्ञात लेकिन अद्वितीय हस्तशिल्प के बारे में
    Tourism

    Hastshilp Kala Ka Itihas: आइए जाने भारत के अज्ञात लेकिन अद्वितीय हस्तशिल्प के बारे में

    By January 31, 2025No Comments7 Mins Read
    Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter LinkedIn Pinterest Email

    Bharat Mein Hastshilp Kala Ka Itihas (Photo Credit – Social Media)

    Bharat Mein Hastshilp Kala Ka Itihas:�कंबल बुनाई भारतीय हस्तशिल्प का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो विशेष रूप से महाराष्ट्र और कर्नाटक(Maharashtra & Karnataka)के कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में प्रचलित है। यह एक पारंपरिक कला है, जिसमें ऊनी धागों का उपयोग करके कंबल, चादर, और अन्य कपड़े बनाए जाते हैं। कंबल बुनाई की खास बात यह है कि इसमें बहुत बारीकी से विभिन्न रंगों और पैटर्न का उपयोग किया जाता है, जिससे यह न केवल गर्मी प्रदान करने का एक साधन बनता है, बल्कि एक सुंदर और आकर्षक कंबल भी बन जाता है। ये कंबल न केवल उपयोगी होते हैं, बल्कि इनके डिजाइन भी बहुत आकर्षक होते हैं।

    कुथन कला (Kuthan Art)

    कुथन कला�जम्मू – कश्मीर (Jammu & Kashmir) की एक पारंपरिक कला है, जिसमें लकड़ी की मूर्तियों और अन्य सजावटी सामानों को हाथ से तराशा जाता है। इन कृतियों में ज्यादातर धार्मिक और सांस्कृतिक प्रतीकों का चित्रण होता है | यह कला विशेष रूप से लकड़ी की नक्काशी में उपयोग की जाती है, और इसके द्वारा बनाए गए उत्पादों में अद्वितीय डिजाइन और धार्मिक प्रतीकों का चित्रण किया जाता है। कुथन कला की खासियत इसकी बारीकी और जटिल नक्काशी है, जो इस कला रूप को एक उच्च श्रेणी का और प्रभावशाली बनाती है।

    कांची वर्क (Kanchi Work)

    कांची वर्क दक्षिण भारत(South India), विशेषकर तमिलनाडु(Tamilnadu) का एक पारंपरिक और अत्यधिक प्रसिद्ध हस्तशिल्प है। यह विशेष रूप से रेशमी साड़ियों और अन्य वस्त्रों पर किया जाता है। कांची वर्क को “कांचीपुरम वर्क” भी कहा जाता है क्योंकि यह कला कांचीपुरम नामक शहर से जुड़ी हुई है, जो अपनी विशिष्ट रेशमी साड़ियों के लिए प्रसिद्ध है। कांची वर्क का प्रमुख आकर्षण इसकी जटिल और बारीकी से की गई बुनाई होती है, जो किसी भी वस्त्र को एक अद्वितीय और शानदार रूप प्रदान करती है।

    कुथल कला (Kuthal Craft)

    कुथल कला कर्नाटक(Karnataka) के आदिवासी क्षेत्रों में प्रचलित एक पारंपरिक कला रूप है, जिसमें मुख्य रूप से बांस और लकड़ी से विभिन्न उपयोगी और सजावटी उत्पाद बनाए जाते हैं। इस कला का उपयोग आदिवासी समुदाय के लोग अपनी दैनिक जरूरतों के सामान बनाने के लिए करते थे, लेकिन समय के साथ यह कला एक प्रमुख हस्तशिल्प रूप में विकसित हो गई है, जो आज भी कर्नाटका के कुछ हिस्सों में जीवित है।

    बाघ कला (Bagh Art)

    बाघ कला मध्य प्रदेश(Madhya Pradesh) के बाग क्षेत्र से जुड़ी एक पारंपरिक चित्रकला शैली है, जो कपड़ों पर प्राकृतिक रंगों से हाथ से चित्रकारी करने की प्रक्रिया पर आधारित है। इस कला का प्रमुख आकर्षण इसकी बारीकी, रंगों की विविधता और प्राकृतिक दृश्यांकन है। बाघ कला में विशेष रूप से जीव-जन्तु, फूल-पत्तियाँ, प्राकृतिक दृश्य, और धार्मिक प्रतीक चित्रित किए जाते हैं। बाघ प्रिंट की उत्पत्ति मध्य प्रदेश के धार ज़िले के बाग में हुई थी।

    सांगानेरी प्रिंट (Sanganeri Print)

    सांगानेरी प्रिंट भारत की एक प्रसिद्ध पारंपरिक ब्लॉक प्रिंटिंग कला है, जो मुख्य रूप से राजस्थान(Rajasthan) के सांगानेर(Sangner) नामक स्थान से जुड़ी हुई है। यह प्रिंटिंग तकनीक विशेष रूप से कपड़े पर प्राकृतिक रंगों से हाथ से प्रिंट करने की प्रक्रिया पर आधारित है, और यह राजस्थान के पारंपरिक शिल्पकला का महत्वपूर्ण हिस्सा है। सांगानेरी प्रिंट्स का मुख्य आकर्षण उनके जीवंत रंग, खूबसूरत डिज़ाइन, और बारीक काम होता है। सांगानेरी प्रिंट को प्राचीन काल से कपड़ों की सजावट और आभूषणों में इस्तेमाल किया जाता है।

    विक्रमशिला कला (Vikramshila Art)

    विक्रमशिला कला, भारत के बिहार(Bihar) राज्य में स्थित प्राचीन विक्रमशिला विश्वविद्यालय से जुड़ी एक महत्वपूर्ण कला शैली है. इसे मगध-बंग शैली के नाम से जाना जाता है|विक्रमशिला विश्वविद्यालय, जो पाल वंश के दौरान (8वीं से 12वीं शताब्दी) स्थापित किया गया था, न केवल एक प्रमुख शिक्षा केंद्र था, बल्कि कला और संस्कृति का भी एक महान केंद्र था। विक्रमशिला कला विशेष रूप से बौद्ध धर्म से जुड़ी मूर्तिकला, चित्रकला, और वास्तुकला के क्षेत्र में प्रसिद्ध है।

    मणिपुरी रेशमी काम (Manipur Silk Work)

    मणिपुरी रेशमी काम मणिपुर(Manipur) पारंपरिक हस्तकला का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह कला रेशमी कपड़ों पर बारीकी से की गई कढ़ाई, बुनाई, और डिज़ाइन के लिए प्रसिद्ध है। मणिपुरी रेशमी काम की खासियत यह है कि इसमें स्थानीय रूपांकनों, प्राकृतिक दृश्यों, और पारंपरिक प्रतीकों का अद्वितीय मिश्रण होता है। यह मणिपुर के शिल्पकारों की रचनात्मकता और मेहनत को दर्शाता है और राज्य की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है।

    शालू कला (Shalu Craft)

    शालू कला भारत की एक पारंपरिक और ऐतिहासिक कला है, जो मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश(Uttar Pradesh) के वाराणसी(Varanasi) क्षेत्र से जुड़ी हुई है। इस कला का केंद्रबिंदु शालू साड़ी है, जो अपनी भव्यता, अद्वितीय डिज़ाइन और उत्कृष्ट शिल्प कौशल के लिए जानी जाती है। शालू कला में बारीक रेशम के कपड़ों पर सुनहरी और चांदी की ज़री के साथ आकर्षक कढ़ाई की जाती है, जो इसे एक राजसी और समृद्ध रूप प्रदान करती है।

    तमिलनाडु का कालमकारी (Kalamkari of Tamil Nadu)

    तमिलनाडु का कालमकारी भारत की प्राचीन हस्तकलाओं में से एक है, जो अपनी सुंदरता, बारीकी और पारंपरिक डिज़ाइनों के लिए जानी जाती है। “कालमकारी” का शाब्दिक अर्थ है “कलम से की गई कारीगरी”। यह कला हाथ से बनाए गए डिज़ाइनों और प्राकृतिक रंगों का उपयोग करके कपड़ों को सजाने का एक अनूठा तरीका है। हालाँकि कालमकारी आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु दोनों में प्रचलित है, लेकिन तमिलनाडु की कालमकारी अपनी विशिष्ट शैली और धार्मिक विषयों के कारण अलग पहचान रखती है।

    पार्चिंगी कला (Parchinghi Art)

    पार्चिंगी कला भारत की प्राचीन और अनोखी हस्तकलाओं में से एक है, जो अपनी विशिष्ट शैली और आकर्षक डिज़ाइनों के लिए प्रसिद्ध है। यह कला मुख्यतः दक्षिण भारत, विशेषकर तमिलनाडु और कर्नाटक(Tamilnadu & Karnataka) क्षेत्रों में प्रचलित है। पार्चिंगी शब्द का अर्थ “धातु पर कारीगरी” से लिया गया है। इस कला में विभिन्न धातुओं, जैसे तांबा, पीतल, चांदी, और सोने पर बारीक डिज़ाइन और उकेरण का काम किया जाता है। यह कला विशेष रूप से धार्मिक मूर्तियों, मंदिर की सजावट, और परंपरागत आभूषण बनाने में प्रयोग की जाती है।

    लौह शिल्प (Iron Craft)

    लौह शिल्प भारत की प्राचीन और महत्वपूर्ण हस्तकलाओं में से एक है, जो अद्वितीय परंपरागत डिज़ाइनों और उपयोगी वस्तुओं के लिए प्रसिद्ध है। यह कला लोहे और उससे बने उत्पादों को आकार देने की एक पारंपरिक प्रक्रिया है, जिसे भारत के विभिन्न राज्यों के कारीगर अपनी बेमिसाल कौशल से जीवंत बनाते हैं। लौह शिल्प का उपयोग न केवल सजावटी वस्तुओं और धार्मिक मूर्तियों के लिए होता है, बल्कि यह व्यावहारिक उपयोग की चीजों के लिए भी बेहद प्रासंगिक है। प्रमुख लौह शिल्प क्षेत्र में छत्तीसगढ़(Chattigarh), झारखंड(Jharkhand)और ओडिशा(Odisa), तमिलनाडु और राजस्थान(Tamilnadu & Rajasthan) का समावेश है |

    जामधानी साड़ी (Jamdani Saree)

    जामधानी साड़ी भारत और बांग्लादेश(Bangladesh) की पारंपरिक और अद्वितीय साड़ियों में से एक है। यह मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश में बनाई जाती है और इसे हाथ से बुनी जाने वाली एक बारीक कला के रूप में जाना जाता है। जामधानी साड़ियों की खासियत उनकी बारीक बुनाई और जटिल डिज़ाइन है, जो इन्हें बेहद आकर्षक और पारंपरिक बनाती है।

    पथचित्र कला (Pattachitra Art)

    पथचित्र कला भारत की प्राचीन और पारंपरिक चित्रकला शैलियों में से एक है, जिसका उद्गम ओडिशा और पश्चिम बंगाल(Odisa & West Bengal) में हुआ। यह कला हिंदू देवताओं, धार्मिक कथाओं, और पौराणिक गाथाओं को चित्रित करने के लिए प्रसिद्ध है। “पथचित्र” शब्द दो भागों से मिलकर बना है, पथ (कैनवास) और चित्र (पेंटिंग), जिसका अर्थ है “कैनवास पर बनी हुई चित्रकला”। यह कला हाथ से तैयार किए गए कपड़े (कैनवास) पर बनाई जाती है, जिसे विशेष प्रक्रिया द्वारा चिकना और टिकाऊ बनाया जाता है। प्राकृतिक रंगों का उपयोग किया जाता है, जो पौधों, मिट्टी, और खनिजों से प्राप्त होते हैं। पथचित्र कला में मुख्य रूप से हिंदू देवी-देवताओं, जैसे भगवान जगन्नाथ, भगवान विष्णु, देवी लक्ष्मी, और रामायण-महाभारत की कहानियों को चित्रित किया जाता है।

    माटी कला (Clay Art)

    उत्तर प्रदेश(Uttar Pradesh) में माटी कला एक प्रसिद्ध और प्राचीन हस्तकला(Ancient handicrafts) है, जो राज्य के ग्रामीण जीवन और सांस्कृतिक परंपराओं का प्रतीक है। यहाँ की माटी कला विशेष रूप से कच्ची मिट्टी का उपयोग करके मूर्तियाँ, खिलौने और सजावटी वस्तुएँ बनाने के लिए प्रसिद्ध है। यह कला न केवल ग्रामीण कारीगरों की रचनात्मकता का उदाहरण है, बल्कि यह प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग और पर्यावरण के प्रति सतर्कता का भी परिचायक है।

    Share. Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Article64% भारतीय मानते हैं कि धर्म राष्ट्रीय पहचान के लिए ज़रूरी: प्यू रिसर्च
    Next Article Mahakumbh Bhagdad: ‘मानवता को किया कलंकित…’ डिंपल यादव ने महाकुंभ पर योगी सरकार को घेरा, सुनाई खरी-खोटी

    Related Posts

    कर्नाटक में बाइक टैक्सी पर लगा ब्रेक-ओला, उबर, रैपिडो को झटका…क्या अन्य राज्य भी उठा सकते हैं यही कदम

    June 18, 2025

    Beach in Uttar Pradesh: उत्तर प्रदेश में भी है बीच का मजा! पूरनपुर का ‘मिनी गोवा’ आपको कर देगा हैरान

    June 18, 2025

    भारत का यह मंदिर, दुनिया का सबसे बड़ा मंदिर, जिसमें एक पूरा शहर बसा है, यूरोप की वेटिकन सिटी से भी विशाल है!

    June 17, 2025
    Leave A Reply Cancel Reply

    ग्रामीण भारत

    गांवों तक आधारभूत संरचनाओं को मज़बूत करने की जरूरत

    December 26, 2024

    बिहार में “हर घर शौचालय’ का लक्ष्य अभी नहीं हुआ है पूरा

    November 19, 2024

    क्यों किसानों के लिए पशुपालन बोझ बनता जा रहा है?

    August 2, 2024

    स्वच्छ भारत के नक़्शे में क्यों नज़र नहीं आती स्लम बस्तियां?

    July 20, 2024

    शहर भी तरस रहा है पानी के लिए

    June 25, 2024
    • Facebook
    • Twitter
    • Instagram
    • Pinterest
    ग्राउंड रिपोर्ट

    केरल की जमींदार बेटी से छिंदवाड़ा की मदर टेरेसा तक: दयाबाई की कहानी

    June 12, 2025

    जाल में उलझा जीवन: बदहाली, बेरोज़गारी और पहचान के संकट से जूझता फाका

    June 2, 2025

    धूल में दबी जिंदगियां: पन्ना की सिलिकोसिस त्रासदी और जूझते मज़दूर

    May 31, 2025

    मध्य प्रदेश में वनग्रामों को कब मिलेगी कागज़ों की कै़द से आज़ादी?

    May 25, 2025

    किसान मित्र और जनसेवा मित्रों का बहाली के लिए 5 सालों से संघर्ष जारी

    May 14, 2025
    About
    About

    Janta Yojana is a Leading News Website Reporting All The Central Government & State Government New & Old Schemes.

    We're social, connect with us:

    Facebook X (Twitter) Pinterest LinkedIn VKontakte
    अंतराष्ट्रीय

    पाकिस्तान में भीख मांगना बना व्यवसाय, भिखारियों के पास हवेली, स्वीमिंग पुल और SUV, जानें कैसे चलता है ये कारोबार

    May 20, 2025

    गाजा में इजरायल का सबसे बड़ा ऑपरेशन, 1 दिन में 151 की मौत, अस्पतालों में फंसे कई

    May 19, 2025

    गाजा पट्टी में तत्काल और स्थायी युद्धविराम का किया आग्रह, फिलिस्तीन और मिस्र की इजरायल से अपील

    May 18, 2025
    एजुकेशन

    ISRO में इन पदों पर निकली वैकेंसी, जानें कैसे करें आवेदन ?

    May 28, 2025

    पंजाब बोर्ड ने जारी किया 12वीं का रिजल्ट, ऐसे करें चेक

    May 14, 2025

    बैंक ऑफ बड़ौदा में ऑफिस असिस्टेंट के 500 पदों पर निकली भर्ती, 3 मई से शुरू होंगे आवेदन

    May 3, 2025
    Copyright © 2017. Janta Yojana
    • Home
    • Privacy Policy
    • About Us
    • Disclaimer
    • Feedback & Complaint
    • Terms & Conditions

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.