एस्ट्रोसेज एआई का यह विशेष ब्लॉग आपको जया एकादशी 2025 से जुड़ी समस्त जानकारी प्रदान करेगा। वर्ष भर में आने वाली सभी एकादशी तिथियों में से एक है जया एकादशी जो हर साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की ग्यारहवीं तिथि पर आती है। यह भीष्म एकादशी और भूमि एकादशी के नाम से भी जानी जाती है। हमारे इस ब्लॉग में हम बात करेंगे कि इस साल जया एकादशी का व्रत कब किया जाएगा और क्या है इस एकादशी का धार्मिक महत्व। साथ ही, जया एकादशी से जुड़ी पौराणिक कथा और श्रीहरि भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए आप किन उपायों को इस दिन कर सकते हैं, इस बारे में भी आपको विस्तार से बताएंगे। लेकिन, इससे पहले शुरुआत करते हैं इस ब्लॉग की और जानते हैं जया एकादशी की तिथि एवं मुहूर्त के बारे में।

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हिंदू धर्म के सभी व्रतों में एकादशी व्रत को सबसे श्रेष्ठ माना जाता है। पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह में दो एकादशी तिथि आती है, पहली शुक्ल पक्ष और दूसरी कृष्ण पक्ष में। इस प्रकार, एक साल में कुल 24 एकादशी आती है और हर एकादशी का अपना विशेष स्थान है। इन्हीं 24 एकादशी तिथियों में से एक है जया एकादशी जो माघ माघ में आती है। इस दिन श्रीहरि विष्णु के लिए व्रत एवं पूजन किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि जया एकादशी पर विधिपूर्वक पूजन करने से भक्त को भगवान विष्णु की कृपा और देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है। आइए अब हम आगे बढ़ते हैं और जानते हैं जया एकादशी के शुभ मुहूर्त के बारे में।
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जया एकादशी 2025: तिथि एवं मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, जया एकादशी का व्रत हर साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को किया जाता है। इस बार यह व्रत 08 फरवरी 2025 को रखा जाएगा। इस दिन भक्तजन विष्णु जी की पूजा के साथ-साथ उनके लिए व्रत करते हैं और शाम को पूजा के बाद फलाहार करते हैं। जया एकादशी व्रत का पारण अगले दिन यानी कि द्वादशी तिथि पर करने का विधान है। जया एकादशी व्रत से भक्त के जीवन से सभी दुखों का अंत होता है। आइए अब आपको बताते हैं कि कब है जया एकादशी और शुभ मुहूर्त।
जया एकादशी 2025 व्रत तिथि: 8 फरवरी, 2025 (शनिवार)
एकादशी तिथि प्रारंभ: 07 फरवरी की रात 09 बजकर 28 मिनट पर
एकादशी तिथि समाप्त: 08 फरवरी की रात 08 बजकर 18 मिनट तक
जया एकादशी 2025 पारण मुहूर्त: सुबह 07 बजकर 04 मिनट से सुबह 09 बजकर 17 मिनट तक, 09 फरवरी को
अवधि: 2 घंटे 12 मिनट
उदया तिथि के अनुसार, जया एकादशी का व्रत 08 फरवरी 2025 को किया जाएगा। अगर बात करें पारण मुहूर्त की, तो एकादशी व्रत को तोड़ने के लिए सुबह का समय सर्वश्रेष्ठ होता है। हालांकि, इस व्रत को दोपहर में तोड़ने से बचना चाहिए और अगर आप किसी कारण से यह व्रत सुबह के समय नहीं तोड़ पाए हैं, तो आप फिर दोपहर के बाद व्रत का पारण करें।
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जया एकादशी 2025 का धार्मिक महत्व
धर्मग्रंथों में जया एकादशी को अत्यंत पुण्यदायी एवं कल्याणकारी कहा गया है। ऐसी मान्यता है कि जया एकादशी का व्रत मनुष्य को भूत-प्रेत, पिशाच जैसी नीच योनि से मुक्ति दिलाता है। जया एकादशी पर भक्त पूरी आस्था एवं श्रद्धा के साथ विष्णु जी की उपासना करते हैं। भविष्य पुराण और पद्म पुराण में जया एकादशी के संबंध में कहा गया है कि वासुदेव श्रीकृष्ण ने सर्वप्रथम जया एकादशी का महत्व धर्मराज युधिष्ठिर को बताते हुए कहा था कि यह व्रत करने से मनुष्य को ‘ब्रह्म हत्या’ जैसे घोर पाप से मुक्ति मिल जाती है।
इसके अलावा, माघ माह को महादेव जी की आराधना के लिए भी उत्तम माना गया है। इस वजह से जया एकादशी भगवान विष्णु और शिव जी दोनों के भक्तों के लिए महत्वपूर्ण हो जाती है। पद्म पुराण में नारद जी को स्वयं भगवान शिव ने जया एकादशी का महत्व बताया है और कहा है कि यह एकादशी अपार पुण्य देने वाली है और जो मानव जया एकादशी का व्रत करता है, उसके पितरों और पूर्वजों को नीच योनि से स्वर्ग लोक की प्राप्ति होती है। हमारे देश के दक्षिणी राज्यों जैसे कर्नाटक, आंध्र प्रदेश आदि में जया एकादशी, भूमि एकादशी और भीष्म एकादशी के नाम से प्रसिद्ध है। साथ ही, इस एकादशी तिथि को अजा एकादशी और भौमी एकादशी भी कहा जाता है।
धार्मिक महत्व के बाद अब हम आपको अवगत करवाते हैं जया एकादशी 2025 की पूजा विधि के बारे में।
जया एकादशी 2025 पूजन विधि
सनातन धर्म में माघ माह को बेहद पवित्र माना जाता है इसलिए इस महीने व्रत एवं शुद्धिकरण को अत्यधिक महत्व दिया जाता है। माघ माह के शुक्ल की एकादशी को जया एकादशी पड़ती है और इस दिन विष्णु जी की भक्तिभाव के साथ पूजा करनी चाहिए।
- जया एकादशी व्रत करने वाले जातक को सबसे पहले प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करना चाहिए।
- इसके बाद, पूजास्थल की अच्छे से साफ-सफ़ाई करके गंगाजल का छिड़काव करें।
- अब चौकी पर विष्णु जी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। इसके पश्चात, भगवान को तिल, फल, चंदन का लेप, धूप और दीपक अर्पित करें।
- पूजा का आरंभ करते समय सर्वप्रथम श्रीकृष्ण के भजन और विष्णु सहस्त्रनाम का जाप करें। बता दें कि एकादशी तिथि पर विष्णु सहस्त्रनाम’ और ‘नारायण स्त्रोत’ का पाठ करना शुभ माना जाता है।
- इसके पश्चात, भगवान विष्णु को नारियल, अगरबत्ती, फूल और प्रसाद चढ़ाएं।
- जया एकादशी की पूजा के दौरान मंत्रों का निरंतर जाप करते रहें।
- एकादशी के अगले दिन यानी कि द्वादशी तिथि पर पूजन करें और फिर व्रत का पारण करें।
- संभव हो, तो द्वादशी तिथि पर ब्राह्मण या गरीब एवं जरूरतमंदों को अपने सामर्थ्य अनुसार भोजन कराएं।
- इसके पश्चात, उन्हें एक जनेऊ और सुपारी दें तथा अपने व्रत का पारण करें।
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जया एकादशी व्रत कथा
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने जया एकादशी की यह कथा धर्मराज युधिष्ठिर को सुनाई थी जो कि इस प्रकार है: एक बार की बात है नंदन वन में उत्सव मनाया जा रहा था और इस उत्सव में सभी देवी-देवता और ऋषि-मुनि शामिल हुए थे। संगीत व नृत्य का भी आयोजन उत्सव में किया गया था और इसी सभा में माल्यवान नाम का एक गंधर्व गायक और पुष्यवती नाम की एक नृत्यांगना नृत्य कर रही थी। उत्सव में नृत्य करते हुए दोनों एक-दूसरे पर मोहित हो गए और दोनों ही अपनी मर्यादा खो बैठे और अपनी लय भूल गए। उन दोनों के इस व्यवहार को देखकर देवराज इंद्र क्रोधित हो गए और उन्होंने दोनों को स्वर्ग लोक से निष्कासित करते हुए मृत्युलोक यानी पृथ्वी पर जीवनयापन करने का श्राप दे दिया। इस वजह से गन्धर्व और पुष्यवती धरती पर पिशाचों की जीवन जीने लगे।
मृत्यु लोक में रहते हुए उन दोनों को अपनी गलती पर पछतावा होने लगा और अब वह अपनी इस पिशाची जीवन से मुक्ति प्राप्त करना चाहते थे। ऐसे में, एक बार माघ शुक्ल की जया एकादशी तिथि पर दोनों ने भोजन का सेवन नहीं किया और पीपल के पेड़ के नीचे अपनी पूरी रात गुजारी। अपनी भूल का पश्चाताप करते हुए भविष्य में ऐसी गलती न दोहराने का संकल्प लिया। इसके पश्चात, अगली सुबह होते ही उन दोनों को पिशाची जीवन से मुक्ति मिल गई। उन दोनों को यह बात पता नहीं थी कि उस दिन जया एकादशी थी और दोनों ने जाने-अनजाने में जया एकादशी का व्रत पूरा कर लिया था। इस वजह से भगवान विष्णु ने प्रसन्न होकर उन दोनों को पिशाच योनि से मुक्त दे दी। जया एकादशी व्रत के प्रभाव से दोनों पहले की तुलना में और भी अधिक रूपवान बन गए और फिर से उन्हें स्वर्ग लोक की प्राप्ति हुई।
कथा के बाद अब हम आपको उन उपायों के बारे में बताएंगे जिन्हें आपको जया एकादशी के दिन करने से श्रीहरि विष्णु की कृपा प्राप्त होगी।
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जया एकादशी 2025 पर इन 5 उपायों से मिलेगा सुख-समृद्धि का आशीर्वाद
- जिन जातकों के वैवाहिक जीवन में समस्याएं चल रही हैं, उन्हें जया एकादशी पर तुलसी की पूजा करनी चाहिए। साथ ही, देवी लक्ष्मी और तुलसी माता को श्रृंगार की सामग्री चढ़ाएं।
- जया एकादशी के दिन श्रीमद् भागवत कथा का पाठ करना बेहद शुभ रहता है और इससे आपके जीवन के कष्ट दूर होते हैं।
- इस दिन जातक को श्रीहरि विष्णु का पंचामृत से अभिषेक करना चाहिए। ऐसा करने से करियर में आ रही सभी तरह की समस्याएं समाप्त होंगी और नए अवसर भी प्राप्त होंगे।
- जिन लोगों के जीवन से आर्थिक समस्याएं खत्म नहीं हो रही हैं, उन्हें जया एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर भगवान विष्णु की श्रद्धाभाव से पूजा करनी चाहिए। साथ ही, पान के पत्ते में “ॐ विष्णवे नमः” लिखकर विष्णु जी को अर्पित करें। अगले दिन यह पत्ता पीले कपड़े में लपेटकर तिजोरी में रख दें।
- जया एकादशी पर पीपल के वृक्ष के नीचे घी का दीपक जलायें और पेड़ की परिक्रमा करें। ऐसा करने से विष्णु जी और मां लक्ष्मी दोनों का आशीर्वाद भी मिलता है। साथ ही, घर से दरिद्रता भी दूर होती है।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों
इस वर्ष जया एकादशी 08 फरवरी 2025 को है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, हर माह में 2 एकादशी तिथि आती है और इस प्रकार, एक वर्ष में कुल 24 एकादशी तिथि आती है।
एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है इसलिए इस दिन विष्णु जी की पूजा का विधान है।
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