
Congress Leader M K Raghavan Bio ( Photo – Social Media)
Congress Leader M K Raghavan Bio ( Photo – Social Media)
Congress Leader M K Raghavan Bio: कभी मात्र 838 वोटों से जीतकर संसद में पहुंचे, तो कभी 1.42 लाख से अधिक मतों की रिकॉर्ड बढ़त से जनादेश प्राप्त किया …यह कहानी है कोझिकोड से लोकसभा सांसद और कांग्रेस संसदीय दल के सचिव एमके राघवन की। उन्होंने न केवल विपरीत राजनीतिक माहौल में खुद को स्थापित किया, बल्कि जनता के विश्वास और समर्पण के प्रतीक बनकर राजनीति को सेवा और सिद्धांत की मिसाल में बदल दिया।
प्रारंभिक जीवन और पारिवारिक पृष्ठभूमि
एमके राघवन का जन्म 21 अप्रैल, 1952 को केरल के कन्नूर जिले के पय्यन्नूर नामक नगर में हुआ था। वे कृष्णन नांबियार और जानकी अम्मा के पुत्र हैं।

एक साधारण परिवार में जन्मे राघवन ने युवावस्था से ही सामाजिक मुद्दों में रुचि लेना शुरू कर दिया था। छात्र जीवन से ही वे विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियों से जुड़े रहे और एक संवेदनशील जनप्रतिनिधि के रूप में अपनी छवि बनानी शुरू की।
राजनीति में शुरुआती कदम और केपीसीसी में योगदान
एमके राघवन की राजनीतिक यात्रा कांग्रेस पार्टी के साथ आरंभ हुई। उन्होंने जमीनी स्तर से शुरुआत की और पार्टी संगठन में विभिन्न महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाईं। वे केरल प्रदेश कांग्रेस समिति (KPCC) के महासचिव भी रहे, जहां उन्होंने संगठनात्मक मजबूती, कार्यकर्ताओं के साथ संवाद और नीति निर्धारण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके नेतृत्व में पार्टी ने कई जिलों में मजबूती पाई और कांग्रेस को एक बार फिर जनमानस से जोड़ने का कार्य किया।
कोझिकोड लोकसभा क्षेत्र में राजनीति की नई सुबह
कोझिकोड, जो लम्बे समय तक एलडीएफ और विशेष रूप से सीपीआईएम का गढ़ माना जाता था, वहां 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने राघवन को मैदान में उतारा। यह चुनाव राघवन के लिए एक बड़ी चुनौती थी। उन्हें डीवाईएफआई के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष पीए मुहम्मद रियास के खिलाफ खड़ा किया गया। कड़ी टक्कर के बावजूद राघवन ने मात्र 838 वोटों से जीत दर्ज की। इस जीत ने यह दिखाया कि कोझिकोड में बदलाव की हवा चलने लगी है।
2014: मजबूती से जमाई राजनीतिक पकड़
2009 की जीत के बाद राघवन ने क्षेत्र में विकास की परियोजनाओं और जनसंपर्क को प्राथमिकता दी। परिणामस्वरूप, 2014 के आम चुनाव में उन्होंने सीपीआईएम के वरिष्ठ नेता और पोलित ब्यूरो सदस्य ए विजयराघवन को 16,883 वोटों के अंतर से हराया। यह जीत पिछले कार्यकाल में किए गए कार्यों की स्वीकार्यता और जनता के विश्वास का प्रमाण थी।
2019: रिकॉर्ड बहुमत और राजनीतिक परिपक्वता का परिचय
तीसरे कार्यकाल के लिए राघवन को 2019 में फिर से कांग्रेस प्रत्याशी बनाया गया। इस बार उनके सामने थे सीपीआईएम के लोकप्रिय नेता और विधायक ए प्रदीपकुमार।

चुनाव के दौरान एमके राघवन को कुछ झूठे आरोपों और मीडिया ट्रायल का सामना करना पड़ा। लेकिन उन्होंने संयम बनाए रखा और जनता से सीधा संवाद किया। परिणामस्वरूप, उन्होंने 85,225 वोटों के अंतर से रिकॉर्ड जीत दर्ज की। इस जीत ने उनकी राजनीतिक परिपक्वता और जनता से उनके गहरे जुड़ाव को सिद्ध कर दिया।
2024: ऐतिहासिक जीत और सीपीआईएम की सबसे बड़ी हार
2024 के आम चुनाव एमके राघवन के राजनीतिक जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक साबित हुए। उन्होंने सीपीआईएम के वरिष्ठ नेता, पूर्व मंत्री, राज्यसभा सांसद और ट्रेड यूनियन नेता एलामारम करीम को 1,42,087 वोटों से हराकर न केवल व्यक्तिगत रूप से ऐतिहासिक जीत हासिल की, बल्कि कोझिकोड में वामपंथ की जड़ों को भी झकझोर दिया। यह नतीजा इस बात का संकेत था कि राघवन अब कोझिकोड की राजनीति का स्थायी चेहरा बन चुके हैं।
कांग्रेस में राष्ट्रीय भूमिका और राजनीतिक प्रभाव
एमके राघवन वर्तमान में कांग्रेस संसदीय दल के सचिव के रूप में कार्य कर रहे हैं। यह पद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के नेतृत्व में संसद में पार्टी की नीति निर्धारण और रणनीति के क्रियान्वयन में एक अहम भूमिका निभाता है। इसके अलावा वे केरल प्रदेश कांग्रेस समिति की राजनीतिक मामलों की समिति के सदस्य भी हैं, जो राज्य में पार्टी की सर्वोच्च नीति-निर्धारण संस्था है।
सामाजिक सरोकार और जनसेवा की प्रतिबद्धता
एमके राघवन की लोकप्रियता केवल उनकी राजनीतिक जीत तक सीमित नहीं है, बल्कि उनके सामाजिक सरोकारों में गहरी जड़ें हैं। उन्होंने कोझिकोड में स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार, रेलवे सुविधाओं के उन्नयन, युवाओं के लिए प्रशिक्षण केंद्र, महिलाओं की सुरक्षा, बुजुर्गों की देखभाल और पर्यावरण संरक्षण जैसे मुद्दों पर लगातार काम किया है। वे ‘जनसंपर्क कार्यालय’ के माध्यम से प्रतिदिन नागरिकों से मिलते हैं और उनकी समस्याओं का समाधान निकालने का प्रयास करते हैं।
पारदर्शिता और जनसंवाद की मिसाल
राजनीति में पारदर्शिता और जनता से संवाद बनाए रखना एमके राघवन की विशेषता रही है। वे नियमित रूप से सोशल मीडिया, जनसभा और स्थानीय बैठकों के माध्यम से नागरिकों से संवाद करते हैं। उनका मानना है कि ‘एक जनप्रतिनिधि की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है अपने मतदाताओं को जवाब देना।’
विपरीत परिस्थितियों में स्थिर नेतृत्व
अपने राजनीतिक जीवन में उन्होंने कई बार असत्य आरोपों, पार्टी के अंदर चुनौतियों और बाहरी विरोधों का सामना किया। लेकिन कभी भी अपने आदर्शों और जनसेवा से विचलित नहीं हुए। वे राजनीति को ‘सेवा का माध्यम’ मानते हैं, न कि ‘सत्ता का साधन।’
लोकतंत्र के सच्चे प्रतिनिधि
एमके राघवन आज कोझिकोड ही नहीं, बल्कि केरल और भारतीय राजनीति के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। वे उस विचारधारा के प्रतिनिधि हैं जिसमें ईमानदारी, संघर्ष और सेवा का समावेश होता है। चार बार कोझिकोड की जनता ने उन्हें चुनकर यही संदेश दिया है कि जब राजनीति सच्चाई और समर्पण से की जाए, तो वह जनआंदोलन बन जाती है। कोझिकोड में अडिग राजनीति करने वाले एमके राघवन आज भी जनता की सेवा में तत्पर हैं और आने वाले वर्षों में भी उनकी प्रेरणा से राजनीति में ईमानदारी और संवेदना की मिसाल कायम रहेगी।