
PM Modi during Christmas celebration (Photo: Social Media)
PM Modi during Christmas celebration (Photo: Social Media)
Waqf Act: वक्फ संशोधन कानून के जरिए भाजपा ने ईसाई समुदाय के बीच पैठ बढ़ाने की विशेष रणनीति तैयार की है। इस रणनीति के तहत देश के कई राज्यों में ईसाई सद्भाव बैठकों का आयोजन करने की तैयारी है। जिन राज्यों में ईसाइयों का आधार माना जाता है,उन राज्यों में इन बैठकों का आयोजन किया जाएगा। पार्टी की ओर से दक्षिण भारत, पूर्वोत्तर भारत, गोवा और मुंबई आदि इलाकों पर विशेष रूप से फोकस किया जाएगा।
पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि इस अभियान के जरिए देश के दूसरे सबसे बड़े अल्पसंख्यक समुदाय ईसाइयों के बीच पार्टी की ताकत बढ़ेगी। ईसाई समुदाय को साधने के लिए देश के 13 राज्यों के चुनिंदा जिलों में सद्भाव बैठकों के जरिए पार्टी को बड़ी ताकत मिलने की संभावना जताई जा रही है।
ईसाई समुदाय का समर्थन पाने की कोशिश
दरअसल भाजपा के रणनीतिकार इन दिनों पार्टी के विस्तार और मजबूती की संभावनाओं को तलाशने में जुटे हुए हैं। पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि वक्फ बोर्ड की मनमानी से ईसाई समुदाय सर्वाधिक पीड़ित है। ऐसे में पार्टी ने वक्फ संशोधन कानून के जरिए इस समुदाय में अपनी पकड़ को और मजबूत बनाने का अभियान शुरू किया है।
भाजपा सूत्रों का कहना है कि मुसलमान प्रभाव वाले राज्यों की अपेक्षा ईसाई समुदाय के प्रभाव वाले राज्यों में यह अभियान गेम चेंजर साबित हो सकता है। पसमांदा मुसलमानों को साधने के लिए पार्टी ने वक्फ जनजागरण अभियान शुरू किया है तो ईसाई समुदाय में पैठ बनाने के लिए ईसाई सद्भाव बैठकों के अभियान पर फोकस करने की तैयारी है।
केरल में होगा अभियान का लिटमस टेस्ट
इस अभियान से जुड़े भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि केरल में ईसाई समुदाय की आबादी करीब 18.4 फ़ीसदी है। ऐसे में केरल में पार्टी के इस अभियान का लिटमस टेस्ट होगा। केरल में दिसंबर में निकल चुनाव होने वाले हैं जबकि अगले साल अप्रैल में राज्य में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित है। पार्टी दक्षिण भारत में अपने विस्तार की संभावनाओं पर मजबूती से काम कर रही है।
तमाम कोशिशों के बावजूद दक्षिण भारत के केरल और तमिलनाडु में पार्टी को अभी तक मजबूती नहीं मिल सकी है। तमिलनाडु में पार्टी ने हाल में एआईएडीएमके के साथ गठबंधन किया है जबकि केरल में ईसाई समुदाय को साधने की तैयारी है।
निकाय चुनाव के नतीजे से इस बात का पता चल सकेगा कि वक्फ कानून के जरिए पार्टी ईसाई समुदाय का समर्थन पाने में कहां तक कामयाब हो सकी है। इसके साथ ही मुंबई में भी पार्टी के इस अभियान का परीक्षण होगा। मुंबई में ईसाई समुदाय की करीब चार फ़ीसदी आबादी है और वहां इसी साल बीएमसी का चुनाव होने वाला है।
पूर्वोत्तर भारत पर भी पार्टी का विशेष फोकस
देश में ईसाई समुदाय से जुड़े एक तिहाई लोग दक्षिण भारत, गोवा और मुंबई जैसे इलाकों में रहते हैं। इसके साथ ही पूर्वोत्तर भारत में भी ईसाई समुदाय काफी मजबूत स्थिति में है। अरुणाचल प्रदेश में ईसाई समुदाय की आबादी करीब 30 फ़ीसदी है और वहां चुनाव नतीजे तय करने में इस समुदाय की बड़ी भूमिका रहती है।
नागालैंड, मिजोरम, मणिपुर और मेघालय में भी ईसाई समुदाय चुनाव नतीजा तय करने में बड़ी भूमिका निभाता है। दक्षिण भारत के प्रमुख राज्य तमिलनाडु में इस समुदाय के आबादी 6 फ़ीसदी है और वहां भी जल्द ही विधानसभा चुनाव होने वाले हैं।
आदिवासी प्रभाव वाले राज्यों में भी अभियान
देश के आदिवासी प्रभाव वाले राज्यों में भी ईसाइयों की अच्छी खासी आबादी है। इन राज्यों में झारखंड, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, ओडिशा और गोवा जैसे राज्य शामिल हैं। ऐसे में इन राज्यों में भी भाजपा की ओर से ईसाई सद्भाव बैठकों का आयोजन किया जाएगा। जानकारों का कहना है कि इन राज्यों में काफी संख्या में आदिवासी धर्म परिवर्तन करके ईसाई बन चुके हैं। ऐसे में बीजेपी इन राज्यों में भी खुद को मजबूत बनाने की कोशिश में जुटी हुई है।
संसद में चर्चा के दौरान भाजपा की ओर से कई वक्ताओं ने वक्फ कानून की आड़ में ईसाई समुदाय की जमीन हड़पने का मुद्दा उठाया था। वक्ताओं का कहना था कि ईसाई समुदाय की ओर से इस बाबत कड़ा कानून बनाने की मांग की गई है। ऐसे में यह देखने वाली बात होगी कि पार्टी की इस अभियान का क्या असर पड़ता है। वैसे पार्टी के रणनीतिकारों को इस अभियान के जरिए पार्टी के मजबूत होने की बड़ी उम्मीद है।