सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पंजाब और हरियाणा के पुलिस महानिदेशकों, पटियाला और अंबाला के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों और दोनों जिलों के डीएम को शंभू बॉर्डर को आंशिक रूप से खोलने के लिए एक सप्ताह के भीतर बैठक करने का आदेश दिया। किसान फरवरी से शंभू बॉर्डर पर डेरा डाले बैठे हुए हैं।
जस्टिस सूर्यकांत की अगुआई वाली बेंच ने उनसे एम्बुलेंस, वरिष्ठ नागरिकों, महिलाओं, छात्रों, आवश्यक सेवाओं और आसपास के क्षेत्रों के यात्रियों के लिए शंभू बॉर्डर की कम से कम एक लेन खोलने की संभावना तलाशने को कहा। बेंच ने सोमवार को कहा, “अगर दोनों पक्ष (पंजाब और हरियाणा) ऐसे तौर-तरीकों को सुलझाने में सक्षम हैं, तो उन्हें इस अदालत के किसी भी आदेश का इंतजार करने की जरूरत नहीं है और इस तरह के समाधान को तुरंत निर्देशित किया जाना चाहिए।”
अदालत ने पंजाब सरकार से प्रदर्शनकारी किसानों को सड़क से ट्रैक्टर हटाने के लिए मनाने को कहा। पंजाब के महाधिवक्ता गुरमिंदर सिंह के यह कहने के बाद कि यह छह लेन का राजमार्ग है तो अदालत ने कहा कि दोनों तरफ की कम से कम एक लेन खोली जानी चाहिए। राजमार्गों को पार्किंग स्थल के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के 10 जुलाई के आदेश को चुनौती देने वाली हरियाणा सरकार की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें शंभू बॉर्डर पर एक सप्ताह के भीतर बैरिकेड हटाने की मांग की गई थी।
हरियाणा सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि दोनों राज्यों के डीजीपी एक साथ बैठकर समाधान के बारे में सोच सकते हैं।
पंजाब और हरियाणा दोनों राज्यों ने शीर्ष अदालत को “तटस्थ” व्यक्तियों के नामों की एक सूची सौंपी, जिन्हें प्रदर्शनकारी किसानों और सरकार से उनकी मांगों का सौहार्दपूर्ण समाधान खोजने के लिए गठित किए जाने वाले प्रस्तावित पैनल में शामिल किया जाएगा।
इनमें हरियाणा की ओर से रिटायर्ड जस्टिस नवाब सिंह, हरियाणा के पूर्व डीजीपी बी एस संधू, हरियाणा के रिटायर्ड IAS अधिकारी सुरजीत सिंह, चौधरी चरण सिंह एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के पूर्व वीसी बलदेव सिंह कंबोज, कृषि एक्सपर्ट देविंदर शर्मा और कृषि एक्सपर्ट सरदार हरबंस सिंह के नाम हैं। वहीं पंजाब सरकार ने गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रंजीत सिंह घुम्मन को इस कमेटी में शामिल किए जाने की सिफारिश की है।
‘अराजनीतिक’ लोगों के नाम प्रस्तावित करने में दोनों राज्यों द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना करते हुए, कोर्ट ने कहा कि वह सुनवाई की अगली तारीख 22 अगस्त को समिति के ढांचे और उसके जनादेश पर एक विस्तृत आदेश पारित करेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और वरिष्ठ अतिरिक्त महाधिवक्ता लोकेश सिंहल के उस अनुरोध को खारिज कर दिया, जिसमें कथित तौर पर पुलिस द्वारा चलाई गई गोली से एक प्रदर्शनकारी किसान शुभकरण की मौत के मामले में एक रिटायर्ड जज द्वारा न्यायिक जांच के हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने की मांग की गई थी।
यह देखते हुए कि समिति को यह जांचने के लिए कहा गया है कि पुलिस द्वारा इस्तेमाल किया गया बल कितना उचित था, मेहता ने कहा कि न्यायिक आयोग को कभी भी इस तथ्य का पता नहीं लगाना चाहिए क्योंकि इससे पुलिस बल का मनोबल गिर सकता है।
हालाँकि, पीठ ने कहा कि समिति के निष्कर्ष अंततः एक राय होगी और इसे स्वीकार करना या अस्वीकार करना हाईकोर्ट पर निर्भर करेगा।
यह मानते हुए कि किसानों को अपनी शिकायतें व्यक्त करने का अधिकार है, सुप्रीम कोर्ट ने 2 अगस्त को पंजाब और हरियाणा की सरकारों से कहा था कि वे अंबाला के पास शंभू बॉर्डर पर स्थिति को खराब न करें, जहां किसान फरवरी से डेरा डाले हुए हैं।
पीठ ने कहा था, “लोकतांत्रिक व्यवस्था में, उन्हें अपनी शिकायतें व्यक्त करने का अधिकार है। उन शिकायतों को उनके स्थान पर भी व्यक्त किया जा सकता है।”
सुप्रीम कोर्ट ने 24 जुलाई को पंजाब और हरियाणा की सरकारों को शंभू बॉर्डर पर यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया था ताकि स्थिति को बिगड़ने से रोका जा सके और मुद्दों का सौहार्दपूर्ण समाधान खोजने के लिए प्रदर्शनकारी किसानों के साथ बातचीत करने के लिए एक स्वतंत्र समिति बनाने की घोषणा की थी। .