भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री और उनकी बेटी को ऑनलाइन ट्रोलिंग और दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ा। भारत में सोशल मीडिया पर एक वर्ग भारत और पाकिस्तान के बीच हुए “सीज़फायर समझौते” से नाराज़ हो गया। उसी ने विक्रम मिस्री को ट्रोल किया। प्रेस कॉन्फ्रेंसों के ज़रिए भारत की राजनयिक स्थिति का प्रतिनिधित्व कर रहे मिस्री ने घोषणा की थी कि भारत और पाकिस्तान सैन्य अभियानों को रोकने पर सहमत हुए हैं। इसके बाद सोशल मीडिया पर उनके खिलाफ लोगों ने आरोपों की बौछार कर दी।
इसके बाद, उन्हें अपना सोशल मीडिया अकाउंट प्राइवेट करना पड़ा। यूज़र्स ने उनके पुराने पोस्ट ढूंढ निकाले, उनकी निजी तस्वीरें साझा कीं और उनके परिवार से जुड़ी निजी जानकारियाँ भी सार्वजनिक कर दीं। यह ट्रोलिंग केवल नीतिगत आलोचना तक सीमित नहीं रही, बल्कि उनकी बेटी तक को अभद्र और स्त्रीविरोधी टिप्पणियों का निशाना बनाया गया। लेकिन इसके बाद आम लोगों, राजनीतिक नेताओं, IAS और IPS अधिकारियों के संगठनों ने इस घिनौनी ट्रोलिंग की कड़ी निंदा की और इसे “अकारण” और “बेहद शर्मनाक” बताया।
मिस्री के X (पूर्व में ट्विटर) पर 35,800 से अधिक फॉलोअर्स हैं। अब वायरल हो चुके स्क्रीन रिकॉर्डिंग के अनुसार, गुमनाम ट्रोल्स ने उनके एक 2015 के पोस्ट पर अभद्र टिप्पणियाँ कीं। उस पोस्ट में उन्होंने लिखा था: “डिडोन के साथ बेटी के साथ सेल्फ़ी, अब तक का मेरा सबसे बड़ा हासिल।” उन्होंने इस पोस्ट में प्रधानमंत्री मोदी को टैग करते हुए अपनी बेटी के साथ एक तस्वीर भी साझा की थी। एक टिप्पणी में लिखा गया: “थोड़ी हिम्मत दिखाओ… आपने पाकिस्तान से सीज़फायर की भीख मांगी।” दूसरी टिप्पणी में कहा गया: “भारत को मज़बूत नौकरशाहों की ज़रूरत है।” एक अन्य ने लिखा: “यह सीज़फायर पूरी तरह गलत है। दशकों बाद एक मौका मिला था यथास्थिति को बदलने का, और आपने उसे गंवा दिया।”
अखिलेश का सवाल- भाजपा चुप क्यों
यूपी के पूर्व सीएम और सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने विदेश सचिव पर हो रहे हमलों पर बीजेपी से सवाल किया है। अखिलेश ने इस पर लंबी चौड़ी पोस्ट लिखी है। सपा प्रमुख ने कहा- निर्णय तो सरकार का होता है; किसी अधिकारी का नहीं। भाजपा की चुप्पी उसकी संलिप्तता मानी जाएगी। अखिलेश ने कहा- ये बेहद संवेदनशील, निंदनीय, शर्मनाक, आपत्तिजनक और दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि देश के एक बहुत बड़े अधिकारी और उसके परिवार के ख़िलाफ़ कुछ असामाजिक-आपराधिक तत्व सरेआम अपशब्दों की सारी सीमाएं तोड़ रहे हैं लेकिन उनके मान-सम्मान की रक्षा के लिए न तो भाजपा सरकार, न ही उनका कोई मंत्री सामने आकर ऐसी अवांछित पोस्ट करनेवालों के ख़िलाफ़ किसी कार्रवाई की बात कर रहा है। ऐसी पोस्ट और बयानों से, दिन-रात एक करके देश के लिए समर्पित रहनेवाले सत्यनिष्ठ अधिकारियों का मनोबल टूटता है।
अखिलेश ने लिखा है- कहीं ऐसा तो नहीं कि भाजपा सरकार अपनी नाकामी और नाकामयाबी के लिए किसी और की ओर ध्यान भटकाकर ख़ुद बचना चाह रही हो। भाजपा सरकार से हमारी खुली माँग है कि इन सबकी तुरंत गहरी जाँच हो और इनके सोशल मीडिया एकाउंट्स और बैंक खाते से लेकर ई-पेमेंट के सभी एकाउंट्स का पूरा ब्यौरा निकाला जाए। आज ही, तुरंत, तत्काल अभी ही ईडी, सीबीआई, साइबर सिक्योरिटी व अन्य जाँच एजेंसियों को असली काम पर लगाया जाए और पता किया जाए कि इनके पीछे कौन सी ताक़तें काम कर रही हैं और ये राष्ट्र विरोधी लोग किस विदेशी ताक़तों से पैसा लेकर देश में अमन-चैन-शांति को भंग करना चाहते हैं।
भारत सरकार के प्रशासनिक सुधार और पेंशन विभाग के सचिव वी. श्रीनिवास ने X पर लिखा: “विक्रम मिस्री भारत के सबसे प्रतिष्ठित राजनयिकों में से एक हैं, जिन्होंने हमेशा सेवा से ऊपर राष्ट्र को प्राथमिकता दी है। मैं उनके साथ एकजुटता व्यक्त करता हूँ।”
IAS एसोसिएशन ने लिखा: “ईमानदारी से कर्तव्य निभा रहे सिविल सेवकों पर ऐसे अकारण व्यक्तिगत हमले बेहद दुर्भाग्यपूर्ण हैं। हम सार्वजनिक सेवा की गरिमा बनाए रखने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हैं।”
IPS एसोसिएशन ने भी मिस्री पर हुए हमलों की निंदा की: “हम विदेश सचिव श्री विक्रम मिस्री और उनके परिवार पर हुए निंदनीय व्यक्तिगत हमलों की कड़ी भर्त्सना करते हैं। कर्तव्यनिष्ठ सिविल सेवकों पर ऐसे हमले पूरी तरह असहनीय हैं।”
कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने भी ऑनलाइन ट्रोलिंग की निंदा की। एक्स पर उन्होंने लिखा, “मैं विदेश सचिव विक्रम मिस्री के परिवार को निशाना बनाकर सोशल मीडिया पर की जा रही ट्रोलिंग की निंदा करता हूं। हमारे पेशेवर राजनयिकों और सिविल सेवकों को निशाना बनाना अस्वीकार्य है – जो राष्ट्र की सेवा के लिए समर्पित रूप से काम करते हैं।”
कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने भी विदेश सचिव के प्रति समर्थन व्यक्त किया और कहा कि उन्होंने “केवल वही संदेश दिया है जो भारत के राजनीतिक नेतृत्व ने लिया है।” गोगोई ने लिखा- “विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने अपना कर्तव्य बखूबी निभाया है। किसी को भी उनके प्रति दुर्भावना रखने की कोई वजह नहीं है। उन्होंने केवल वही संदेश दिया है जो भारत के राजनीतिक नेतृत्व ने लिया है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के बजाय, हर भारतीय को संसद के विशेष सत्र का गवाह बनने का हक है ताकि उनकी देशभक्ति और आकांक्षाएं सही मायने में लोकतांत्रिक तरीके से व्यक्त की जा सकें।”