भारतीय क्रिकेट के स्टार बल्लेबाज और पूर्व कप्तान विराट कोहली ने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास की घोषणा की है। 36 वर्षीय कोहली ने 12 मई को अपने इंस्टाग्राम हैंडल पर एक भावुक पोस्ट के जरिए यह फैसला साझा किया, जिसने प्रशंसकों औऱ पूर्व क्रिकेटरों को हैरान कर दिया। 14 साल, 123 टेस्ट, 9,230 रन और 40 टेस्ट जीत के साथ, कोहली ने न केवल रिकॉर्ड बनाए, बल्कि भारतीय टेस्ट क्रिकेट को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया।
विराट कोहली ने 20 जून 2011 को वेस्टइंडीज के खिलाफ किंग्सटन में टेस्ट डेब्यू किया। शुरुआत धीमी रही—पहले टेस्ट में उन्होंने केवल 4 और 15 रन बनाए—लेकिन जल्द ही उनकी प्रतिभा चमकने लगी। 2011 के अंत में वेस्टइंडीज के खिलाफ मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में 52 और 63 रनों की पारियों ने उनके आगमन की घोषणा की।
आँकड़े जो बोलते हैं:
मैच: 123
रन: 9,230 (औसत: 46.85)
शतक: 30
अर्धशतक: 31
सर्वोच्च स्कोर: 254* (दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ, पुणे, 2019)
कप्तानी: 68 टेस्ट, 40 जीत (भारत के सबसे सफल टेस्ट कप्तान)
कोहली भारत के चौथे सबसे ज्यादा रन बनाने वाले टेस्ट बल्लेबाज हैं, केवल सचिन तेंदुलकर (15,921), राहुल द्रविड़ (13,265) और सुनील गावस्कर (10,122) से पीछे। उनकी कप्तानी में भारत ने 2018-19 में ऑस्ट्रेलिया में पहली टेस्ट सीरीज जीती और ICC टेस्ट रैंकिंग में शीर्ष स्थान हासिल किया।
कोहली की आक्रामकता, फिटनेस और जीत के प्रति जुनून ने भारतीय टेस्ट क्रिकेट को एक नया आयाम दिया। लेकिन क्या उनकी बल्लेबाजी हाल के वर्षों में उतनी प्रभावी रही? आलोचकों का कहना है कि 2020 के बाद उनका औसत 30.72 रहा, जो उनके सुनहरे दौर (2016-19, औसत 66.59) से काफी कम है।
संन्यास का फैसला: समय, कारण और संदर्भ
कोहली ने अपने संन्यास की घोषणा में लिखा, “14 साल पहले जब मैंने पहली बार टेस्ट की नीली कैप पहनी, मैंने कभी नहीं सोचा था कि यह फॉर्मेट मुझे ऐसी यात्रा पर ले जाएगा। इसने मुझे परखा, गढ़ा और जीवन भर के सबक सिखाए। सफेद जर्सी में खेलना मेरे लिए बहुत व्यक्तिगत रहा। लंबे दिन, चुपके से मेहनत, वो छोटे पल जो कोई नहीं देखता, लेकिन जो हमेशा मेरे साथ रहेंगे। इस फॉर्मेट को छोड़ना आसान नहीं, लेकिन यह सही लगता है।”
क्यों लिया संन्यास?
विराट कोहली ने कई वजहों से टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लिया है। इसके पीछे उनकी रणनीति भी है। जानिए कुछ खास वजहें।
हालिया फॉर्म में गिरावट: 2024-25 के बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर कोहली ने पर्थ में शतक (100*) के बाद केवल 190 रन बनाए, औसत 23.75। 10 में से 8 बार वे ऑफ-स्टंप के बाहर गेंदों पर आउट हुए, जिससे उनकी तकनीकी कमजोरी उजागर हुई।
रोहित शर्मा का संन्यास: कोहली के करीबी दोस्त और कप्तान रोहित शर्मा ने 7 मई को टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लिया। सूत्रों के अनुसार, रोहित के बिना टेस्ट क्रिकेट में उत्साह की कमी कोहली के फैसले का एक कारण हो सकता है। रोहित के संन्यास ने उन पर कई तरह का मानसिक दबाव बना दिया।
नए युग की शुरुआत: कोहली ने BCCI से अप्रैल में ही संन्यास की इच्छा जताई थी। इंग्लैंड के खिलाफ आगामी पांच टेस्ट की सीरीज (20 जून से शुरू) के लिए शुभमन गिल को कप्तान बनाए जाने की संभावना है। कोहली शायद युवा खिलाड़ियों को मौका देना चाहते हैं।
ODI पर फोकस: कोहली ने 2024 में T20I से संन्यास लिया और अब टेस्ट छोड़कर ODI पर ध्यान देना चाहते हैं, खासकर 2027 विश्व कप के लिए।
सूत्रों के मुताबिक, BCCI ने कोहली से इंग्लैंड दौरे के लिए फैसला बदलने की अपील की, लेकिन कोहली अपने निर्णय पर अडिग रहे। यह दर्शाता है कि कोहली ने अपनी शर्तों पर विदाई ली, जैसा कि उनके करियर में हमेशा रहा।
क्या कोहली का फैसला जल्दबाजी में था? कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि उनके अनुभव की जरूरत इंग्लैंड दौरे में है। खासकर रोहित और रविचंद्रन अश्विन (2024 में संन्यास) के संन्यास के बाद। लेकिन कोहली हमेशा अपनी शर्तों पर चलते है। उनने 12 मई के फैसले से भी यह स्पष्ट है। लेकिन क्या इसे उनकी रणनीति माना जाए या फिर वाकई युवाओं के लिए रास्ता खोलने का उनका बलिदान माना जाए? कहा जा रहा है कि विराट के पास ढेरों विज्ञापन अनुबंध हैं। विज्ञापन अनुबंध किसी भी खिलाड़ी को उसके प्रदर्शन क्षमता में नाम कमाने और मीडिया में बने रहने से मिलता है। टेस्ट क्रिकेट में लगातार गिरते प्रदर्शन की वजह से इस पर असर पड़ सकता था और विज्ञापन से कमाई भी कम हो जाती।
प्रतिक्रियाएं
X पर पोस्ट्स में प्रशंसकों ने कोहली को “आधुनिक युग का सबसे महान क्रिकेटर” और “टेस्ट क्रिकेट का किंग” कहा। BCCI ने भी ट्वीट कर उनकी 40 टेस्ट जीत को “अमर” बताया। हालाँकि, कुछ प्रशंसकों ने संन्यास को समय से पहले माना, यह कहते हुए कि “टेस्ट क्रिकेट को अभी कोहली की जरूरत थी।”
बहरहाल, कोहली की विरासत निर्विवाद है, लेकिन उनकी हालिया फॉर्म और ऑफ-स्टंप की कमजोरी ने आलोचकों को मौका दिया। क्या BCCI और चयनकर्ताओं ने उन्हें और समर्थन देना चाहिए था, या कोहली का आत्मविश्वास उनकी ताकत और कमजोरी दोनों रहा?
कोहली और रोहित के संन्यास, साथ ही अश्विन, चेतेश्वर पुजारा और अजिंक्य रहाणे की अनुपस्थिति, ने भारतीय टेस्ट टीम को अनुभवहीन बना दिया है। इंग्लैंड दौरे पर KL राहुल, रवींद्र जडेजा और जसप्रीत बुमराह ही अनुभवी खिलाड़ी रहेंगे। शुभमन गिल को टेस्ट कप्तान बनाए जाने की संभावना है। उनकी युवा ऊर्जा और हालिया फॉर्म (2024 में इंग्लैंड के खिलाफ 104) उन्हें मजबूत दावेदार बनाती है। कोहली के नंबर 4 स्थान पर साई सुंदरसन या यशस्वी जायसवाल जैसे युवा खिलाड़ी आजमाए जा सकते हैं। लेकिन क्या वे इंग्लैंड की मुश्किल परिस्थितियों में कोहली की जगह ले पाएँगे?
कोहली का संन्यास युवाओं के लिए अवसर है, लेकिन यह जोखिम भरा भी है। BCCI को युवा और अनुभव का सही मिश्रण बनाना होगा। क्या गौतम गंभीर (मुख्य कोच) और गिल की जोड़ी भारत को फिर से WTC फाइनल तक ले जा सकती है, या यह बदलाव बहुत जल्दी हुआ? कोहली की लोकप्रियता और प्रभाव को देखते हुए, उनकी विदाई ने भावनात्मक और तार्किक दोनों बहस छेड़ दी है। क्या BCCI को कोहली को एक विदाई सीरीज देनी चाहिए थी, जैसा कि सचिन के लिए किया गया? यह सवाल प्रशंसकों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है।