
Politician Rathnavel Sachithanantham Wikipedia
Politician Rathnavel Sachithanantham Wikipedia
Politician Rathnavel Sachithanantham Wikipedia: तमिलनाडु की उपजाऊ भूमि और सामाजिक चेतना से समृद्ध डिंडीगुल लोकसभा क्षेत्र से उठकर भारतीय संसद के गलियारों तक पहुंचे रत्नावेल सचिदनाथम न केवल राजनीति के क्षेत्र में एक दृढ़ आवाज़ बन चुके हैं, बल्कि ग्रामीण समाज के लिए प्रेरणा के स्रोत भी हैं। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के इस नेता ने न सिर्फ़ जनता के मुद्दों को संसद में उठाया, बल्कि खेत-खलिहानों, सामाजिक आंदोलनों और युवाओं के बीच रहकर ज़मीनी संघर्षों को भी आवाज़ दी।
रत्नावेल सचिदनाथम : जन्म 18 मई 1970,तमिलनाडु जिला डिंडीगुल
राजनीतिक दल: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी)
रत्नावेल सचिदनाथम की जीवन यात्रा बताती है कि यदि विचार, कर्म और उद्देश्य में सामंजस्य हो, तो कोई भी व्यक्ति गांव की मिट्टी से उठकर संसद के पटल तक पहुंच सकता है। वे सिर्फ़ एक राजनेता नहीं, बल्कि एक आंदोलन हैं किसानों की उम्मीद, युवाओं की प्रेरणा और समाज के हर उस तबके की आवाज़, जो अक्सर अनसुना रह जाता है। वर्तमान भारतीय राजनीति में जहां नारे ज़्यादा और नीतियां कम दिखाई देती हैं, वहां रत्नावेल सचिदनाथम जैसे नेता लोकतंत्र की उस नींव को मजबूत कर रहे हैं, जहां राजनीति का उद्देश्य सिर्फ़ सत्ता नहीं, समाज का सशक्तिकरण होता है।
श्री आर. सच्चिदनाथम का जीवन, उनकी शिक्षा, संघर्ष, और उनकी राजनीतिक यात्रा भारत में वामपंथी विचारधारा की सामाजिक प्रासंगिकता को दर्शाती है। रत्नावेल सचिदनाथम भारतीय संसद के निचले सदन, लोकसभा के सदस्य (सांसद) हैं। उन्होंने 2024 के आम चुनावों में तमिलनाडु के डिंडीगुल लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) [CPI(M)] के उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीतकर यह पद प्राप्त किया।
इससे पहले, इस सीट पर डॉ. पी. वेलुसामी (DMK) सांसद थे, जिन्हें 2019 में चुना गया था।
रत्नावेल सचिदनाथम की वर्तमान भूमिका में, वे संसद में अपने निर्वाचन क्षेत्र के लोगों की आवाज़ उठाते हैं और CPI(M) की नीतियों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
व्यक्तिगत जीवन और पृष्ठभूमि
रत्नावेल सचिदनाथम का जन्म 18 मई 1970 को तमिलनाडु के डिंडीगुल ज़िले के एक किसान परिवार में हुआ था। उनके पिता श्री रथिनवेल एक परंपरागत किसान थे जिन्होंने सामाजिक मूल्यों के साथ-साथ मेहनत की संस्कृति को अपने बेटे में आत्मसात किया। ग्रामीण परिवेश में पले-बढ़े सचिदनाथम को बचपन से ही खेत, शिक्षा और संघर्ष की तिकड़ी से वास्ता रहा। उनकी प्रारंभिक शिक्षा डिंडीगुल के सरकारी स्कूलों में हुई और उच्च शिक्षा के लिए उन्होंने जीटीएन आर्ट्स एंड साइंस कॉलेज, डिंडीगुल से विज्ञान स्नातक (B.Sc.) की डिग्री प्राप्त की। हालांकि वे एक पढ़े-लिखे विज्ञान के छात्र थे, लेकिन उनका झुकाव शुरू से ही सामाजिक कार्यों और किसानों की समस्याओं की ओर रहा।
कृषक जीवन और सामाजिक सक्रियता
कॉलेज से निकलने के बाद उन्होंने पारिवारिक खेती को अपनाया और एक सक्रिय किसान के रूप में कार्य किया। खेती-किसानी में व्यस्त रहने के बावजूद उन्होंने ग्रामीण युवाओं को शिक्षित करने, प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करने, और सरकारी योजनाओं के सही क्रियान्वयन की दिशा में काम किया।
डिंडीगुल क्षेत्र के सूखाग्रस्त इलाकों में उन्होंने जल प्रबंधन, जैविक खेती, और सहकारी खेती को बढ़ावा देने के कई प्रयोग किए। किसानों की आत्महत्या, ऋणग्रस्तता और न्यूनतम समर्थन मूल्य जैसे मुद्दों पर उन्होंने कई बार स्थानीय प्रशासन और राजनीतिक मंचों पर आवाज़ उठाई। उनकी सामाजिक सक्रियता ने उन्हें जल्द ही एक जनप्रिय कार्यकर्ता बना दिया, और यही से उनके राजनीतिक जीवन की नींव पड़ी।
राजनीतिक यात्रा की शुरुआत
वामपंथी विचारधारा से प्रभावित होकर उन्होंने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) से जुड़ाव बनाया। CPI(M) के सिद्धांत सामाजिक न्याय, संसाधनों का समान वितरण, और मेहनतकश वर्गों के सशक्तिकरण जैसे मुद्दे उन्हें बेहद विचारों के करीब लगे।
साल 2005 में वे औपचारिक रूप से CPI(M) के सदस्य बने और स्थानीय इकाई से शुरुआत की। पहले उन्होंने पंचायत स्तर पर काम किया, फिर ज़िला संगठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पार्टी के अनुशासन, वैचारिक स्पष्टता और जनता के बीच कार्य करने की शैली ने उन्हें तेजी से उभारा।
साल 2011 में उन्हें पार्टी की डिंडीगुल ज़िला समिति का सचिव बनाया गया, जहां उन्होंने संगठन को सशक्त बनाने के साथ-साथ मज़दूरों और किसानों के मुद्दों को विधानसभा और संसद तक पहुंचाने की रणनीति तैयार की।
2024 का लोकसभा चुनाव जन समर्थन की जीत
2024 के लोकसभा चुनाव में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने रत्नावेल सचिदनाथम को डिंडीगुल से उम्मीदवार घोषित किया। यह क्षेत्र पहले से ही वामपंथी विचारधारा और सामाजिक आंदोलनों के लिए संवेदनशील रहा है।
उनका चुनावी अभियान पारंपरिक ढर्रे से हटकर पूरी तरह ज़मीनी रहा। किसान चौपाल, मज़दूर बैठकों, युवा संवाद और सोशल मीडिया पर सीमित लेकिन विचारपूर्ण प्रचार। वे हर गांव, हर वर्ग तक पहुंचे और अपनी बात सीधे जनता के बीच रखी। उनकी साफ़ छवि, सामाजिक प्रतिबद्धता और स्पष्ट विचारधारा ने लोगों का भरोसा जीत लिया। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी को 1.87 लाख मतों के भारी अंतर से हराकर ऐतिहासिक जीत दर्ज की। यह जीत सिर्फ़ एक व्यक्ति की नहीं थी, बल्कि उन सभी ग्रामीणों, किसानों, और सामाजिक कार्यकर्ताओं की थी जो बदलाव चाहते थे।
संसद में सक्रिय भूमिका
लोकसभा में प्रवेश के बाद उन्होंने प्राथमिकता से कृषि संकट, मनरेगा के बजटीय आवंटन में वृद्धि, जल संकट और ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं पर प्रश्न उठाए। उन्होंने संसद के भीतर और बाहर लगातार यह बात रखी कि भारत की आत्मा गांवों में बसती है और यदि गांव मजबूत नहीं होंगे, तो भारत मजबूत नहीं हो सकता।
उनकी प्रमुख मांगों में ये मुद्दे शामिल हैं
-किसानों के लिए ऋण माफी योजना
-न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी
-शिक्षा बजट में वृद्धि
-दलित, आदिवासी और महिला श्रमिकों के लिए विशेष योजना
-तमिलनाडु के सूखाग्रस्त जिलों के लिए विशेष सहायता पैकेज आदि
वह लोकसभा की कृषि एवं ग्रामीण विकास समिति के सक्रिय सदस्य हैं और कई बार उनके द्वारा प्रस्तुत सुझावों को समिति की रिपोर्ट में शामिल किया गया है।
सामाजिक सरोकार और पहल
संसदीय कामकाज से इतर भी रत्नावेल सचिदनाथम ने सामाजिक कार्यों को कभी नहीं छोड़ा। उन्होंने डिंडीगुल में “किसान सहयोग मंच” नामक एक स्वैच्छिक संगठन की स्थापना की है, जो किसानों को आधुनिक तकनीक, सरकारी योजनाओं और बाज़ार की जानकारी उपलब्ध कराता है।
वे महिलाओं के लिए स्वयं सहायता समूहों को प्रोत्साहित करते हैं, युवाओं के लिए स्किल डेवलपमेंट शिविर आयोजित करते हैं, और बच्चों के लिए पुस्तकालय और डिजिटल शिक्षा केंद्र की स्थापना में भी मदद कर चुके हैं।
कोविड-19 महामारी के दौरान उन्होंने डिंडीगुल क्षेत्र में राहत सामग्री वितरित करने, ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था करने और ग्रामीण अस्पतालों के लिए जरूरी उपकरण जुटाने में भी अहम भूमिका निभाई।
व्यक्तित्व और वैचारिक प्रतिबद्धता
रत्नावेल सचिदनाथम का जीवन सरलता, पारदर्शिता और वैचारिक प्रतिबद्धता का प्रतीक है। वे पार्टी अनुशासन का पालन करने वाले नेता हैं, जो व्यक्तिगत प्रचार से अधिक सामूहिक संघर्ष में विश्वास रखते हैं।
उनका पहनावा अक्सर धोती-कुर्ता या सफेद शर्ट होता है, और वे आमतौर पर अपनी मोटरसाइकिल या जीप से गांव-गांव जाते हैं। वे भाषणों में भावनात्मक अपील से ज़्यादा तथ्यात्मक और तर्क आधारित बातें करते हैं।
उन्हें “तमिलनाडु का लाल नेता” कहकर संबोधित किया जाता है, जो वर्ग-संघर्ष की राजनीति को सामाजिक समरसता और जनकल्याण से जोड़ते हैं।
भविष्य की योजनाएं
रत्नावेल सचिदनाथम का सपना है कि डिंडीगुल को जैविक खेती और ग्रामीण नवाचार का मॉडल जिला बनाया जाए। वे चाहते हैं कि यहां के किसान तकनीक से जुड़ें, महिलाएं आत्मनिर्भर बनें और शिक्षा हर गांव तक पहुंचे।
उनका यह भी मानना है कि वामपंथी दलों को नए दौर में युवाओं के बीच जाकर संवाद और भागीदारी के माध्यम से मजबूत करना होगा।