इज़रायली सेना ने ग़ज़ा पर बमबारी की, जिसमें आधी रात को 43 लोग मारे गए। सेना ने दक्षिणी शहर खान यूनिस में फिलिस्तीनियों को एक “अभूतपूर्व हमले” से पहले भागने का आदेश दिया। कनाडा, फ्रांस और यूके के नेताओं ने इज़रायल के खिलाफ “ठोस कार्रवाई” करने की धमकी दी है। इन देशोंने कहा कि अगर इज़रायल ग़ज़ा में अपने नए हमले को समाप्त नहीं करता है तो प्रतिबंध का सामना करने को तैयार रहे। जबकि 22 देशों ने इजरायल से घिरे हुए इलाके में सहायता पहुंचाने का आग्रह किया।
इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस आह्वान को खारिज कर दिया और हमले को जारी रखने का वादा किया। जिसमें इज़रायल द्वारा पूरे ग़ज़ा पर नियंत्रण करने की योजना भी शामिल है। ग़ज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, इज़रायल द्वारा किए जा रहे नरसंहार में अब तक कम से कम 53,339 फिलिस्तीनी मारे गए हैं और 121,034 घायल हुए हैं। सरकारी मीडिया कार्यालय ने मृतकों की संख्या 61,700 से अधिक बताई है, जिसमें कहा गया है कि मलबे के नीचे लापता हजारों लोगों के मारे जाने की आशंका है। 7 अक्टूबर 2023 को हमास के नेतृत्व वाले हमलों के दौरान इज़रायल में अनुमानित 1,139 लोग मारे गए और 200 से अधिक लोगों को बंदी बना लिया गया था। उसी का बदला लेने के लिए इज़रायल अब तक यह कार्रवाई कर रहा है।
22 देशों ने इज़रायल से ग़ज़ा में मदद की “पूर्ण बहाली” की अनुमति देने की मांग की है। इनमें यूरोप, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और कुछ बाल्टिक देश भी शामिल हैं। उन्होंने उस तथाकथित नए मॉडल को पूरी तरह से खारिज कर रहे हैं जिसे इज़रायल ने सहायता बांटने करने के लिए पेश किया है, जिसके बारे में उनका कहना है कि यह इज़रायल के कब्जे वाले क्षेत्र में इज़रायली सेना द्वारा नियंत्रित बिंदु होंगे। यानी जहां इज़रायल चाहेगा, वहां सहायता बांटनी होगी। विदेश मंत्रियों का कहना है कि यह पूरी तरह से अस्वीकार्य है क्योंकि मानवीय सहायता का कभी भी राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए और यह सभी के लिए समान और सुलभ होनी चाहिए।
यह घटनाक्रम ब्रसेल्ज में यूरोपियन यूनियन के विदेश मंत्रियों की महत्वपूर्ण बैठक से पहले आया है, जहां यूरोपीय संघ ग़ज़ा पर अपनी स्थिति पर चर्चा करेगा। ग़ज़ा पर डेढ़ साल से चल रही बमबारी के बाद यूरोपियन यूनियन के रवैए में यह बदलाव पहली बार देखा जा रहा है। खाने-पीने पर इज़रायली नाकाबंदी को लेकर दुनिया के अन्य देशों में भी आक्रोश देखा जा रहा है।
एमनेस्टी इंटरनेशनल ने ग़ज़ा पर घेराबंदी को लेकर इज़रायल के सहयोगियों की निंदा की है। उसने कहा कि “यह अपमानजनक और नैतिक रूप से निंदनीय है” कि ग़ज़ा में लगभग 80 दिनों तक भुखमरी के बाद भी दुनिया को इज़रायल पर इतना दबाव बनाने में काफी समय लगा कि वह कुछ सहायता पहुंचा सके। और फिर भी, “कुछ सहायता ट्रकों को आने देना – जो समुद्र में एक बूंद पानी के बराबर है। जबकि दूसरी तरफ सैन्य अभियानों को तेज किया गया है। यह इज़रायल के चल रहे नरसंहार को छुपाने का एक निंदनीय प्रयास है।”
बहरहाल, यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस और कनाडा के नेताओं ने सोमवार को धमकी दी कि यदि इज़रायल ने अपना नया सैन्य हमला बंद नहीं किया और ग़ज़ा में सहायता पहुंचाने से रोकना जारी रखा तो वे टारगेटेड प्रतिबंधों सहित “ठोस कार्रवाई” करेंगे।
इज़रायल कई हफ़्तों से ऑपरेशन “गिदोन के रथ” के बारे में चेतावनी दे रहा है। उसका कहना है कि इसका उद्देश्य “ग़ज़ा में युद्ध के सभी लक्ष्यों” को प्राप्त करना है, जिसमें हमास को हराना और क्षेत्र में शेष बंधकों की रिहाई सुनिश्चित करना शामिल है। इस ऑपरेशन को इज़रायल के सुरक्षा मंत्रिमंडल ने 5 मई को मंजूरी दी थी। पहले के विपरीत, सेना ग़ज़ा के उन क्षेत्रों में रहेगी, जिन पर उसने कब्ज़ा कर लिया है।