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    Home » क्या है अमेरिका का ‘गोल्डन डोम’ मिसाइल डिफेंस सिस्टम, किससे खतरा?
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    क्या है अमेरिका का ‘गोल्डन डोम’ मिसाइल डिफेंस सिस्टम, किससे खतरा?

    Janta YojanaBy Janta YojanaMay 21, 2025No Comments4 Mins Read
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    अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने मंगलवार को यूएस के लिए नई मिसाइल डिफेंस सिस्टम योजना की घोषणा की। इसका नाम गोल्डन डोम होगा।

    ओवल ऑफिस में ट्रम्प ने कहा कि वह उम्मीद करते हैं कि गोल्डन डोम उनका कार्यकाल खत्म होने से पहले, यानी 2029 तक पूरी तरह से चालू हो जाएगी और “अंतरिक्ष से लॉन्च की गई मिसाइलों को भी रोकने की क्षमता रखेगा।”

    डोनाल्ड ट्रम्प ने इस साल की शुरुआत में एक भाषण में गोल्डन डोम का उल्लेख किया था और इस संबंध में एक कार्यकारी आदेश भी जारी किया था।

    एनपीआर की एक रिपोर्ट में उद्धृत विशेषज्ञों के अनुसार, अंतरिक्ष-आधारित इंटरसेप्टर्स शायद नई मिसाइल रक्षा प्रणाली का एक प्रमुख हिस्सा होगा।

    गोल्डन डोम नाम इज़रायल की ‘आयरन डोम’ प्रणाली से लिया गया है, जिसे इजरायल ने हमास के मिसाइल हमलों को रोकने के लिए लगाया है। लेकिन गोल्डन डोम उससे थोड़ा अलग होगा। आयरन डोम धीमी गति की मिसाइलों और छोटी दूरी के रॉकेटों को रोकने के लिए बनाया गया है। लेकिन अमेरिका को मिसाइल खतरा इससे काफी अलग तरह का है। इसलिए इसे अमेरिकी जरूरतों के हिसाब से बनाया जाएगा।

    दोनों प्रणालियों के बीच एक बड़ा अंतर अमेरिका के आकार का है जिसकी रक्षा की जानी है। एनपीआर की रिपोर्ट के अनुसार, इज़रायल संयुक्त राज्य अमेरिका से 400 गुना छोटा है और यह ज्यादातर एक सपाट रेगिस्तान है जिसकी रक्षा करना आसान है। यूएस पर हमला करने के लिए इस्तेमाल की जा सकने वाली मिसाइलें भी हमास के रॉकेटों से काफी अलग होंगी। रूस, चीन और कोई भी अन्य देश जो अमेरिका पर हमला कर सकता है, उनके पास अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलें हैं, जो हाइपरसोनिक गति और लंबी दूरी की होती हैं। गोल्डन डोम उन्ही से रक्षा के लिए होगा।

    हाइपरसोनिक मिसाइल को रोकने का एकमात्र तरीका अंतरिक्ष में स्थापित तकनीक के साथ एक मिसाइल रक्षा प्रणाली बनाना है।

    एनपीआर के अनुसार, इसका विचार यह है कि स्पेस में ऐसे उपग्रह हों जो मिसाइलों को जमीन से उड़ान भरते ही देख सकें और फिर उनकी उड़ान की शुरुआत में उन्हें नष्ट कर सकें। ऐसी प्रणाली की समस्या यह है कि उपग्रह पृथ्वी के चारों ओर घूमते रहते हैं, इसलिए चुनौती यह होगी कि उन्हें सही समय पर सही स्थान पर रखा जाए। इसके लिए इंटरसेप्टर्स की एक विशाल श्रृंखला की जरूरत होगी, कुछ रिपोर्ट्स में इनकी संख्या 16,000 तक बताई गई है।

    गोल्डन डोम निश्चित रूप से लगाया जा सकता है, जैसा कि डोनाल्ड ट्रम्प के सबसे करीबी सलाहकार, एलन मस्क ने अपनी स्टारलिंक इंटरनेट उपग्रहों के माध्यम से कर दिखाया है। लेकिन यह एक महंगा मामला होगा।

    बहरहाल, ट्रम्प अमेरिकी संसद में इसके लिए एक विधेयक लाने वाले हैं, जिसमें 25 बिलियन डॉलर के आवंटन का प्रस्ताव है। उन्होंने बताया कि रक्षा प्रणाली की कुल लागत लगभग 175 बिलियन डॉलर होगी।

    उन्होंने कहा कि गोल्डन डोम मिसाइल रक्षा कवच की “हर चीज़” जिसकी वह योजना बना रहे हैं, वह अमेरिका में बनाई जाएगी। ट्रम्प ने आगे कहा कि कनाडा ने गोल्डन डोम परियोजना में शामिल होने में रुचि दिखाई है, और अमेरिका इस प्रयास में अपने उत्तरी पड़ोसी का समर्थन करेगा। ट्रम्प ने कहा, “चुनाव अभियान में मैंने अमेरिकी लोगों से वादा किया था कि मैं एक अत्याधुनिक मिसाइल रक्षा कवच बनाऊंगा। आज मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि हमने इस अत्याधुनिक प्रणाली के लिए आधिकारिक तौर पर तकनीक का चयन कर लिया है।”

    ट्रम्प ने यह भी बताया कि अंतरिक्ष संचालन के वर्तमान उप प्रमुख जनरल माइकल गुएटलिन गोल्डन डोम कार्यक्रम के कार्यान्वयन और निगरानी का नेतृत्व करेंगे। सैन्य अधिकारियों ने इस पहल के लिए मजबूत समर्थन व्यक्त किया है, उन्होंने कहा कि उन्हें “गोल्डन डोम” कार्यक्रम का “विचार पसंद है”। राष्ट्रपति ने जनवरी में ही इसका आदेश दिया था। गोल्डन डोम परियोजना का उद्देश्य एक उपग्रह-आधारित नेटवर्क बनाना है जो आने वाली मिसाइलों का पता लगाने, उन्हें ट्रैक करने और संभवतः उन्हें रोकने में सक्षम हो। इस प्रणाली में मिसाइल निगरानी और प्रतिक्रिया के लिए समर्पित सैकड़ों उपग्रहों की तैनाती शामिल हो सकती है।

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