इंडिगो की दिल्ली-श्रीनगर फ्लाइट 6E-2142 23 मई को जबरदस्त चर्चा में रही। खबरों में हमें शुक्रवार को बताया गया था कि किस तरह इस फ्लाइट ने 21 मई को श्रीनगर में उतरते समय भयानक तूफान का सामना किया। 220 पैसेंजरों की जिन्दगी दांव पर लग गई। फ्लाइट के पायलटों ने लाहौर एयरपोर्ट पर उतरने की अनुमति मांगी लेकिन पाकिस्तान ने मना कर दिया। इसके बाद पायलटों ने सूझबूझ से काम लेते हुए उसे श्रीनगर एयरपोर्ट पर उतारा। फ्लाइट की नाक या नोज कोन (राडोम) उतरने के दौरान टूट गया। अब इस मामले में ताजा घटनाक्रम ये है कि नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने इस उड़ान के दो पायलटों को ग्राउंड कर दिया है। इस मामले की जांच बैठा दी गई है। पायलटों को ड्यूटी से रोक दिया गया है। सारा मामला अब विवादित हो गया है। हालांकि एक खबर यह भी है कि इस फ्लाइट को भारतीय वायुसेना ने सुरक्षित श्रीनगर एयरपोर्ट पर उतरने में मदद की।
हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक डीजीसीए ने एक बयान में बताया कि एयरबस ए321 एक समय पर 8,500 फीट प्रति मिनट की दर से नीचे आया, जो सामान्य डिसेंट रेट से चार गुना अधिक है। तूफान के बीच विमान के कई फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम फेल हो गए, और पायलटों को एक साथ स्टॉल (विमान का ऊंचाई खोना) और ओवरस्पीड की चेतावनियां मिल रही थीं, जबकि वे नियंत्रण पाने की कोशिश कर रहे थे।
यह भी पता चला कि पायलटों ने पाकिस्तान के एयर ट्रैफिक कंट्रोल से संपर्क साधा, लेकिन पाकिस्तानी नियंत्रकों ने आपातकालीन स्थिति के बावजूद अनुरोध ठुकरा दिया। भारतीय नियंत्रकों (एटीसी) ने हाल ही में सैन्य तनाव के कारण लागू आपसी एयरस्पेस बंद कर दिए थे। यानी न पाकिस्तान अपना एयरस्पेस इस्तेमाल करने दे रहा था और न ही भारत अपने एयरस्पेस में पाकिस्तान की ओर से किसी विमान को आने दे रहा था। इन प्रतिबंधों के तहत भारत की ओर से पश्चिम की ओर विमान मोड़ने की मनाही थी। हालांकि, भारत के एटीसी ने लाहौर एटीसी से सीधे समन्वय के लिए संपर्क फ्रीक्वेंसी दी थी।
डीजीसीए के मुताबिक, पायलटों ने खराब मौसम से बचने के लिए भारतीय वायुसेना के उत्तरी नियंत्रण से पश्चिम की ओर मोड़ने की अनुमति मांगी, लेकिन इसे मंजूरी नहीं मिली। इसके बाद उन्होंने लाहौर एटीसी से संपर्क किया, लेकिन पाकिस्तान ने भी एयरस्पेस एंट्री देने से इनकार कर दिया।
यह निर्णय दोनों देशों द्वारा जारी NOTAM (नोटिस टू एयरमेन) के कारण लिया गया था, जिसमें एक-दूसरे के विमानों को अपने एयरस्पेस में प्रवेश से रोका गया था। रक्षा मंत्रालय के एक सूत्र ने बताया कि भारतीय नियंत्रकों ने पायलटों को NOTAM के अनुसार सलाह दी और लाहौर एटीसी से संपर्क करने के लिए फ्रीक्वेंसी दी, लेकिन पाकिस्तान ने अनुरोध ठुकरा दिया।
डीजीसीए ने कहा कि पायलटों ने वापस लौटने का प्रयास किया, लेकिन तूफान के बादल के करीब पहुंचने पर उन्होंने सीधे मौसम में प्रवेश करने का फैसला किया। इस दौरान विमान के कंप्यूटर सिस्टम एक के बाद एक फेल हो गए, और पायलटों को बिना किसी सहायक उपकरण के मैन्युअली विमान संभालना पड़ा। संकट के चरम पर, विमान 8,500 फीट प्रति मिनट की दर से नीचे गिरा, जबकि सामान्य डिसेंट रेट 1,500-2,000 फीट प्रति मिनट होता है। अंततः पायलटों ने नियंत्रण हासिल किया और श्रीनगर एटीसी को ‘पैन-पैन’ इमरजेंसी सिग्नल भेजकर सुरक्षित लैंडिंग की।
मौसम विशेषज्ञ महेश पलावत ने बताया कि उस दिन मौसम विशेष रूप से खराब था, और थंडर क्लाउड से गुजरने पर भारी मुश्किल आ सकती थी, जिससे विमान और यात्रियों को नुकसान पहुंच सकता था।
वायुसेना का क्या कहना है
एक अन्य मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय वायुसेना (IAF) के ग्राउंड नियंत्रकों ने रडार के जरिए पायलटों को विमान की ऊंचाई और गति के महत्वपूर्ण डेटा दिए, जो हवाई खतरों को ट्रैक कर सकते हैं। फ्लाइट 6E-2142 पंजाब के पठानकोट के उत्तर में उड़ान भर रही थी, जब पायलटों ने जम्मू-कश्मीर के उधमपुर स्थित IAF के उत्तरी क्षेत्र नियंत्रण (Northern Area Control) से रेडियो पर संपर्क किया और तूफान से बचने के लिए पश्चिम की ओर 180 किमी दूर पाकिस्तान के एयरस्पेस में डायवर्जन की अनुमति मांगी।
रिपोर्ट में कहा गया कि हालांकि IAF की टीम ने दूसरे देश के एयरस्पेस में प्रवेश करने से मना कर दिया और कहा कि यह अधिकार नई दिल्ली एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) के पास है। इंडिगो के क्रू को पाकिस्तान द्वारा जारी NOTAM (नोटिस टू एयरमेन) के बारे में सूचित किया गया, जिसमें भारतीय विमानों को अपने एयरस्पेस का इस्तेमाल करने से रोका गया था। सूत्रों के मुताबिक, 180 किमी पश्चिम में मोड़ने का मतलब था पाकिस्तान में गहरे तक उड़ान भरना और फिर श्रीनगर वापस आना। इंडिगो क्रू को दिल्ली ATC से संपर्क करके और लाहौर ATC की आवश्यक फ्रीक्वेंसी पास करके रूट डायवर्जन में मदद दी गई, लेकिन लाहौर ATC ने ओवरफ्लाइट क्लीयरेंस देने से इनकार कर दिया। इसके बाद विमान ने श्रीनगर की ओर बढ़ने का फैसला किया।
इंडिगो की एयरबस A321 विमान में एक डॉपलर वेदर रडार लगा था, लेकिन पायलटों का पश्चिम की ओर जाने से इनकार किए जाने के बाद तूफान में प्रवेश करने और अमृतसर या पठानकोट वापस न लौटने का निर्णय DGCA की जांच का हिस्सा है। पायलटों ने एक जानलेवा स्थिति से जूझते हुए भीषण तूफान का सामना किया। इस दौरान विमान की गति में भारी उतार-चढ़ाव आया—एक समय पर यह 8,500 फीट प्रति मिनट की दर से नीचे आया, जबकि सामान्य डिसेंट रेट 1,500-2,000 फीट प्रति मिनट होता है। कुल मिलाकर श्रीनगर में IAF के जमीनी नियंत्रकों ने हाई-टेक रडार की मदद से इंडिगो पायलटों को विमान की सटीक गति और ऊंचाई के डेटा दिए, जिससे सुरक्षित लैंडिंग में मदद मिली।
डीजीसीए के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि “यह पूरा मामला जांच के तहत है। जांच पूरी होने तक दोनों पायलटों को ग्राउंड किया गया है।” दोनों पायलटों ने लाहौर एटीसी से जो बात की, उसका ब्यौरा भी डीजीसीए को मिल गया है। लेकिन न तो उस बातचीत का ब्यौरा और न ही पायलटों के नाम मीडिया को उपलब्ध कराए गए हैं। नागर विमानन मंत्री राम मोहन नायडू ने इस घटना की गंभीरता को स्वीकार किया और कहा, “हम इस घटना की जांच कर रहे हैं, लेकिन अभी तक की जानकारी के आधार पर मैं पायलटों और क्रू के प्रयासों की सराहना करता हूं, जिन्होंने इस मुश्किल हालात में भी संयम बनाए रखा। हमें खुशी है कि किसी के साथ कुछ नहीं हुआ, लेकिन हम पूरी तरह जांच करेंगे कि आखिर हुआ क्या था।” बहरहाल, दोनों देशों के एयरस्पेस 24 जून तक बंद हैं। दोनों ओर से तारीख की घोषणा की गई है।
यह सारा मामला अब विवादित हो गया है। एक तरफ जो पायलटों की सूझबूझ की तारीफ हो रही थी तो डीजीसीए ने उन्हें ग्राउंड कर दिया। भारतीय वायुसेना ने जो जानकारी दी है, उसके आधार पर कहा जा सकता है कि अगर वायुसेना दोनों पायलटों को सारी सूचनाएं उपलब्ध न कराती तो श्रीनगर एयरपोर्ट पर उस विमान का सुरक्षित उतरना मुश्किल में पड़ सकता था और कोई भी घटना हो सकती थी। लेकिन डीजीसीए ने जांच का फैसला क्यों लिया, यह साफ नहीं है। जांच रिपोर्ट कब आएगी, यह भी स्पष्ट नहीं किया गया है।