डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि वह इसराइल और ईरान जैसे कट्टर दुश्मनों के बीच शांति समझौता करा सकते हैं। उन्होंने कहा है कि ठीक उसी तरह जैसा ‘भारत और पाकिस्तान के बीच कराया था’। यह बयान ऐसे समय में आया है, जब इसराइल ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर बड़े हमले किए हैं। इसराइल ने इसे ऑपरेशन राइजिंग लायन नाम दिया है।
ट्रंप ने ‘मेक अमेरिका ग्रेन अगेन’ की तर्ज पर अब ‘मेक मिडल ईस्ट ग्रेट अगेन’ का नारा देते हुए कहा है, ‘ईरान और इसराइल को एक समझौता करना चाहिए और वे करेंगे भी, जैसे मैंने भारत और पाकिस्तान के बीच समझौता करवाया था। उस मामले में मैंने संयुक्त राज्य के साथ व्यापार का इस्तेमाल करके दोनों देशों के शानदार नेताओं के साथ बातचीत में समझदारी, एकजुटता और शांति लाई, जिन्होंने तेज़ी से फ़ैसला लिया और लड़ाई रुक गयी!’
उन्होंने आगे कहा, “साथ ही मेरे पहले कार्यकाल में, सर्बिया और कोसोवो के बीच तनाव बहुत ज़्यादा था, जैसा कि कई दशकों से होता आया है, और यह पुराना विवाद युद्ध में बदलने वाला था। मैंने इसे रोका (बाइडेन ने कुछ बहुत मूर्खतापूर्ण फैसलों से लंबे समय के लिए संभावनाओं को नुक़सान पहुंचाया है, लेकिन मैं इसे फिर से ठीक करूंगा!)। एक और उदाहरण है मिस्र और इथियोपिया, जो एक विशाल बांध को लेकर लड़ रहे थे, जो शानदार नील नदी को प्रभावित कर रहा है। मेरे हस्तक्षेप की वजह से अभी के लिए शांति है, और यह ऐसी ही रहेगी! उसी तरह, जल्द ही इसराइल और ईरान के बीच शांति होगी! अभी कई कॉल और बैठकें हो रही हैं। मैं बहुत कुछ करता हूं, और मुझे कभी किसी चीज का श्रेय नहीं मिलता, लेकिन कोई बात नहीं, लोग समझते हैं। मध्य पूर्व को फिर से महान बनाएं!”
हालाँकि, ट्रंप ने अपनी पोस्ट में रूस-यूक्रेन युद्ध का ज़िक्र नहीं किया जो काफी लंबे अरसे से जारी है। ट्रंप की लाख कोशिशों के बावजूद दोनों के बीच शांति के प्रयास नज़दीक दिखते भी नहीं हैं। ट्रंप के भारत-पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता और युद्धविराम के दावे पर सवाल उठते रहे हैं।
ट्रंप का यह बयान तब आया है, जब इसराइल और ईरान के बीच संघर्ष बढ़ गया है और दोनों देश एक दूसरे पर बम बरसा रहे हैं। इसराइल ने ईरान के परमाणु वैज्ञानिकों, मिसाइल ठिकानों और सैन्य नेतृत्व पर ताबड़तोड़ हमले किए हैं। दूसरी ओर, ईरान ने जवाबी कार्रवाई में बैलिस्टिक मिसाइलें दागी हैं, जिससे तनाव चरम पर है। ऐसे में ट्रंप का शांति की बात करना कई लोगों को हैरान कर रहा है।
इसराइल और ईरान के बीच दशकों से दुश्मनी चली आ रही है। इसराइल, ईरान के परमाणु कार्यक्रम को अपने लिए ‘अस्तित्व का ख़तरा’ मानता है। हाल ही में शुरू हुए ‘ऑपरेशन राइजिंग लायन’ में इसराइल ने ईरान के परमाणु ढाँचे को निशाना बनाया है। इसराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा है कि वह तब तक हमले जारी रखेंगे, जब तक ईरान का परमाणु हथियार कार्यक्रम पूरी तरह ख़त्म न हो जाए।
वहीं, ईरान ने इन हमलों का जवाब देने का संकल्प लिया है। उसने बैलिस्टिक मिसाइलों से जवाबी हमले किए और अपने समर्थक हिजबुल्लाह जैसे संगठनों को सक्रिय करने की धमकी दी है। इस तनाव ने पूरे मध्य पूर्व को युद्ध के कगार पर ला खड़ा किया है।
ट्रंप की ‘भारत-पाकिस्तान’ डील?
ट्रंप ने अपने बयान में भारत और पाकिस्तान के बीच कथित तौर पर कराए गए समझौते का ज़िक्र किया, लेकिन इस दावे पर कई सवाल उठ रहे हैं। पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष शुरू हो गया था। इसके बाद ट्रंप लगातार दावा करते रहे हैं कि उन्होंने व्यापार रोकने की धमकी देकर भारत और पाकिस्तान को युद्धविराम के लिए सहमत कराया। उन्होंने साफ़ तौर पर बार-बार युद्धविराम कराने का दावा किया है। लेकिन हर बार भारत ने ट्रंप के दावों को खारिज किया है।
मध्य पूर्व में शांति की संभावना?
बहरहाल, ट्रंप का दावा है कि वह इसराइल और ईरान के बीच बातचीत करा रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘हम इसराइल, ईरान और यहाँ तक कि हमास के साथ भी बात कर रहे हैं।’ लेकिन इस दावे पर कई सवाल हैं। ईरान और इसराइल के बीच गहरी दुश्मनी को देखते हुए, क्या कोई समझौता संभव है?
ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्ला अली खामेनेई ने इसराइल के हमलों को नृशंस बताया है और जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी है। दूसरी ओर, इसराइल ने अमेरिका से इस संघर्ष में शामिल होने की मांग की है, लेकिन ट्रंप की ‘मेक अमेरिका ग्रेट अगेन’ नीति अमेरिका को मध्य पूर्व के युद्धों से दूर रखने की वकालत करती है। ट्रंप ने साफ़ किया कि वह अमेरिकी सैनिकों को इस संघर्ष में नहीं झोंकेंगे, लेकिन वह शांति के लिए कूटनीतिक दबाव डाल सकते हैं।
ट्रंप का यह बयान मध्य पूर्व की सियासत में नया रंग भर सकता है, लेकिन इसकी सफलता पर संदेह है। इसराइल और ईरान के बीच गहरी कटुता और मौजूदा सैन्य तनाव को देखते हुए, शांति समझौता आसान नहीं होगा। ट्रंप की डीलमेकर छवि तभी कामयाब होगी, जब वह दोनों पक्षों को बातचीत की मेज पर ला सकें।