इसराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में हैं। ईरान के साथ लगातार बढ़ते तनाव के बीच नेतन्याहू ने एक चौंकाने वाला बयान दिया है। उन्होंने दावा किया है कि ईरान अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की हत्या करना चाहता है। यह बयान ऐसे समय आया है जब हाल ही में एक अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट में कहा गया था कि ट्रंप ने इसराइल की उस गुप्त योजना को खारिज कर दिया था जिसमें ईरान के सुप्रीम लीडर अली खामेनेई की हत्या का प्रस्ताव था।
नेतन्याहू के बयान के पीछे की राजनीति
नेतन्याहू ने अपने बयान में कहा- “ईरान सिर्फ इसराइल के लिए ही नहीं, बल्कि अमेरिका के नेताओं के लिए भी बड़ा खतरा है। उन्होंने पहले राष्ट्रपति ट्रंप को मारने की धमकी दी थी और अब भी वह उनकी जान के पीछे हैं।” नेतन्याहू का यह दावा ऐसे समय आया है जब घरेलू स्तर पर उनका भारी विरोध हो रहा है। विश्लेषकों का मानना है कि यह बयान सिर्फ ईरान को वैश्विक स्तर पर और अधिक खलनायक दिखाने की कोशिश है। साथ ही इसराइल में नेतन्याहू के खिलाफ जो माहौल बना हुआ है, उसकी गर्मी कम करने की भी कोशिश है। हमास से बंधकों को नेतन्याहू अभी तक छुड़ा नहीं पाए हैं। जबकि हमास के साथ युद्ध चलते हुए एक साल से ज्यादा हो चुके हैं। ग़ज़ा में नेतन्याहू पर 55 हजार लोगों के नरसंहार का आरोप है। यूएन की संस्था ने नेतन्याहू के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट तक जारी कर रखा है।
इसराइल में नेतन्याहू के ऊपर भ्रष्टाचार के केस तक दर्ज हैं। इसराइली जांच एजेंसी शीन बेट उनके कई निकटवर्ती लोगों के खिलाफ जांच कर रही है। नेन्याहू ने इसराइली की न्यायपालिका को प्रभावित करने की कोशिश की थी, जिसके खिलाफ वहां आंदोलन हो गया था। ये सारी स्थितियां नेन्याहू को बेचैन कर रही हैं।
कुछ हफ्तों पहले अमेरिकी अखबार The Intercept और New York Times ने रिपोर्ट किया था कि ट्रंप प्रशासन के सामने इसराइल ने एक प्रस्ताव रखा था कि ईरान के सुप्रीम लीडर अली खामेनेई को मार दिया जाए। लेकिन ट्रंप ने इसे यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह कदम अमेरिका को सीधे युद्ध में झोंक देगा और उसके नतीजे बेहद खतरनाक होंगे।
इस खबर के बाद नेतन्याहू के ‘ईरान ट्रंप को मारना चाहता है’ जैसे बयान को लेकर कई सवाल उठने लगे हैं। क्या नेतन्याहू अमेरिका को फिर से ईरान के खिलाफ एक बड़ी जंग में घसीटना चाहते हैं? क्या वह ट्रंप की लोकप्रियता को भुनाकर अमेरिका के रुख को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं? ईरान पर हमला करने के बाद नेतन्याहू की कोशिश है कि यूएस इस युद्ध में ईरान को मदद करे। लेकिन ट्रंप ने दो बार यह बयान दिया है कि अमेरिका इस युद्ध में शामिल नहीं है और न ही इसराइल ने उसकी सहमति से यह युद्ध छेड़ा है। नेतन्याहू के बयान का ईरान ने खंडन किया है। ईरान ने नेतन्याहू के बयान को बचकाना बताते हुए कहा कि ईरान इस तरह की किसी गतिविधि को मान्यता नहीं देता है।
नेतन्याहू संकट में
विशेषज्ञों का मानना है कि नेतन्याहू का यह बयान घरेलू राजनीति और वैश्विक समर्थन बटोरने की दोहरी रणनीति का हिस्सा है। ग़ज़ा और ईरान के मोर्चे पर उनकी नीतियों को लेकर इसराइली संसद और जनता में काफी असंतोष है। ट्रंप जैसे नेता को खतरे में दिखाकर वे अमेरिका की सहानुभूति और सैन्य समर्थन हासिल करना चाहते हैं।
ईरान और इसराइल के बीच की यह जंग अब वैश्विक राजनीति को भी अपने घेरे में लेती जा रही है। नेतन्याहू के हालिया बयान से स्पष्ट है कि वे इस संघर्ष को केवल सैन्य स्तर पर नहीं, बल्कि कूटनीतिक और जनधारणा के स्तर पर भी जीतना चाहते हैं। अब देखना होगा कि अमेरिका नेतन्याहू के इस बयान को कितनी गंभीरता से लेता है।