
Bihar Politics: बिहार में विधानसभा चुनाव की सरगर्मी के बीच सियासत ने नया मोड़ ले लिया है। केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान ने रविवार को नालंदा जिले के राजगीर में आयोजित ‘बहुजन भीम संकल्प समागम’ में चौंकाने वाला बयान देकर राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। अब तक खुद चुनाव लड़ने का दावा कर रहे चिराग पासवान ने अचानक अपने रुख में बदलाव करते हुए साफ किया कि वे बिहार से चुनाव नहीं लड़ेंगे। इसके बजाय वे गठबंधन के तहत उम्मीदवारों को मैदान में उतारेंगे।
चिराग बोले ‘बिहार से नहीं, बिहार के लिए लड़ूंगा चुनाव’
रैली को संबोधित करते हुए चिराग पासवान ने कहा, विपक्ष के नेता मुझसे डरते हैं, पूछते हैं कि क्या चिराग बिहार से चुनाव लड़ेगा? मैं न डरने वाला हूं, न झुकने वाला। मैं बिहार से नहीं, बल्कि बिहार के लिए चुनाव लड़ूंगा। उन्होंने यह भी कहा कि वह पूरे प्रदेश की सभी 243 विधानसभा सीटों पर गठबंधन के तहत उम्मीदवार खड़ा करेंगे।
इस बयान ने सियासी पंडितों को हैरान कर दिया है, क्योंकि चिराग ने कुछ समय पहले यह संकेत दिया था कि वे खुद चुनावी मैदान में उतरेंगे, जिससे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की चिंता बढ़ गई थी। अब जब चिराग ने खुद पीछे हटने की बात की है, तो इसे रणनीतिक यू-टर्न माना जा रहा है।
तेजस्वी यादव पर तीखा हमला
अपने संबोधन में चिराग ने विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव को भी आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि “बिहार की जनता अब ऐसे नेताओं से त्रस्त हो चुकी है जो केवल वादे करते हैं, विकास नहीं।” चिराग ने अपने ‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ विजन की चर्चा करते हुए कहा कि उनकी पार्टी इसी एजेंडे पर चुनाव लड़ेगी।
क्या नीतीश से बातचीत बनी वजह?
राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा भी तेज है कि हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम के दौरान चिराग पासवान और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बीच हुई मुलाकात के बाद ही यह फैसला सामने आया। माना जा रहा है कि एनडीए में संतुलन बनाए रखने के लिए चिराग को चुनाव से दूर रहने की सलाह दी गई होगी। खुद मैदान में उतरने से एनडीए में लोजपा (रामविलास) की स्थिति मजबूत हो सकती थी, जिससे गठबंधन में तनाव बढ़ने की संभावना थी।
राजनीतिक समीकरणों पर असर
चिराग पासवान के इस यू-टर्न से बिहार की राजनीति में नए समीकरण बनते दिख रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि वे किन-किन सीटों पर उम्मीदवार उतारते हैं और गठबंधन में उन्हें कितनी हिस्सेदारी मिलती है। फिलहाल उनके इस फैसले ने चुनावी चर्चा को नई दिशा दे दी है।
बिहार चुनाव से पहले चिराग पासवान का यह बड़ा निर्णय जहां एक ओर गठबंधन में संतुलन की ओर इशारा करता है, वहीं यह भी स्पष्ट करता है कि वह पर्दे के पीछे से रणनीति गढ़ने में व्यस्त हैं। अब नजर इस बात पर है कि उनकी अगली राजनीतिक चाल क्या होगी।