Close Menu
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Trending
    • क्रिसमस पर लखनऊ के इन रेस्ट्रॉन्ट्स और होटल में मिलेगा ख़ास इंतज़ाम, इन डिशेस का लें यहाँ आनंद
    • Best Honeymoon Destinations: बेस्ट हनीमून डेस्टिनेशन, कम बजट में भी मिलेगा यूरोप वाला फील
    • New Year 2026: कम खर्च, डबल सेलिब्रेशन! न्यू ईयर पर सुबह-शाम का अलग रंग दिखाती हैं ये 5 जगहें
    • Hanuman Temple Lucknow: लखनऊ में स्थित बंजरगबली का ये मंदिर है बेहद ख़ास
    • मेवात दिवस: गांधी जी का वचन, भरोसे की वो तारीख, जिसने इतिहास की दिशा बदल दी
    • उत्तर प्रदेश के इस जिले में बनेगा 7 मंज़िला बस स्टैंड, 400 बसों की एक साथ होगी पार्किंग
    • IRCTC Tour: क्रिसमस पर घूमने का शानदार मौका! IRCTC के बजट टूर पैकेज से करें सस्ती और आरामदायक यात्रा
    • Best Adventure Parks: ये हैं लखनऊ के बेस्ट पार्क, सर्दी की धुप के साथ लीजिये एडवेंचर का भी मज़ा
    • About Us
    • Get In Touch
    Facebook X (Twitter) LinkedIn VKontakte
    Janta YojanaJanta Yojana
    Banner
    • HOME
    • ताज़ा खबरें
    • दुनिया
    • ग्राउंड रिपोर्ट
    • अंतराष्ट्रीय
    • मनोरंजन
    • बॉलीवुड
    • क्रिकेट
    • पेरिस ओलंपिक 2024
    Home » Dewas Ji Tekri Mandir History: क्यों कहलाता है यह शक्तिपीठ रक्त पीठ? जानिए इस स्थल का रक्तमय रहस्य!
    Tourism

    Dewas Ji Tekri Mandir History: क्यों कहलाता है यह शक्तिपीठ रक्त पीठ? जानिए इस स्थल का रक्तमय रहस्य!

    Janta YojanaBy Janta YojanaJuly 12, 2025No Comments7 Mins Read
    Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter LinkedIn Pinterest Email

    Dewas Mata Ji Tekri Mandir History

    Dewas Mata Ji Tekri Mandir History

    Dewas Mata Ji Tekri Mandir History: भारत रहस्यों, श्रद्धा और परंपराओं की भूमि है। यहाँ हर पहाड़ी, नदी, मंदिर और स्थान के पीछे कोई न कोई रहस्यमयी कथा जुड़ी होती है। ऐसा ही एक स्थान है – देवास टेकरी। मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में स्थित यह पहाड़ी न सिर्फ धार्मिक महत्व रखती है बल्कि इसके साथ जुड़ा है एक ऐसा रहस्य जिसने इसे ‘रक्त पीठ’ (Rakt Peeth) बना दिया है। इस लेख में हम जानेंगे कि आखिर देवास टेकरी को यह नाम क्यों दिया गया? इसका इतिहास क्या है? और इस स्थान से जुड़ी पौराणिक, ऐतिहासिक और रहस्यमयी बातें क्या हैं?

    देवास टेकरी का भौगोलिक और धार्मिक परिचय

    देवास टेकरी जिसे श्रद्धापूर्वक ‘माताजी की टेकरी’ या ‘माँ चामुंडा टेकरी’ कहा जाता है, मध्य प्रदेश(Madhya Pradesh) के देवास(Devas) शहर में स्थित एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। यह टेकरी मालवा क्षेत्र में इंदौर से लगभग 34 – 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और एक प्रमुख पहाड़ी पर बसी हुई है। यहाँ दो प्रमुख देवी मंदिर हैं एक चामुंडा देवी (जिन्हें छोटी माँ कहा जाता है) और दूसरा तुलजा भवानी (बड़ी माँ)। स्थानीय परंपराओं में अन्य देवी स्वरूपों की मान्यता भी है लेकिन आधिकारिक रूप से यही दो मंदिर मुख्य रूप से प्रतिष्ठित हैं। श्रद्धालुओं को टेकरी पर स्थित इन मंदिरों तक पहुँचने के लिए लगभग 410 सीढ़ियाँ चढ़नी होती हैं हालांकि अब यहाँ रोपवे की सुविधा भी उपलब्ध है, जिससे यात्रा आसान हो गई है। यह स्थान शक्तिपूजन का प्राचीन केंद्र माना जाता है और इसे भारत के 52 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। नवरात्रि और चैत्र नवरात्र के दौरान यहाँ लाखों श्रद्धालु दर्शन और पूजन हेतु एकत्रित होते हैं, जिससे यह स्थल आध्यात्मिक ऊर्जा और आस्था का प्रतीक बन गया है।

    ‘रक्त पीठ’ नाम के पीछे की रहस्यमयी कहानी

    देवास टेकरी को न केवल एक शक्तिपीठ के रूप में मान्यता प्राप्त है बल्कि इसे ‘रक्त पीठ’ के रूप में भी जाना जाता है। मान्यता है कि इसी स्थान पर माँ माता सती का रक्त गिरा था जिससे यह क्षेत्र शक्तिपूजन का विशेष केंद्र बन गया और इसे ‘रक्त पीठ’ के नाम से भी जाना गया । इसी पवित्र घटना के कारण माँ चामुंडा का प्राकट्य हुआ माना जाता है। यह मान्यता स्थानीय लोककथाओं और धार्मिक परंपराओं पर आधारित है और इसी के आधार पर इसे भारत के 52 शक्तिपीठों में एक स्थान प्राप्त हुआ है। नवरात्रि और चैत्र मास में यहाँ लाखों श्रद्धालु दूर-दूर से दर्शन और पूजन के लिए आते हैं। हालांकि टेकरी का इतिहास हजारों वर्षों पुराना माना जाता है फिर भी इसके प्राचीन स्वरूप और घटनाओं के बारे में कोई ठोस ऐतिहासिक प्रमाण उपलब्ध नहीं हैं। यहाँ स्थित एक प्राचीन सुरंग और उससे जुड़ी पुरातात्विक कथाएँ इस स्थल की रहस्यमयता को और भी गहरा बना देती हैं।

    स्थानीय मान्यता

    इसके अलावा देवास टेकरी को ‘रक्त पीठ’ कहे जाने के पीछे की मान्यता प्राचीन तांत्रिक परंपराओं और रक्त पूजा से भी जुड़ी है। कहा जाता है कि प्राचीन काल में इस स्थान पर तांत्रिक अनुष्ठान, बलिदान और रक्त अर्पण की विशेष साधनाएँ होती थीं। कई संतों और साधकों ने यहाँ कठोर तपस्या और बलिदान किए जिनकी कथाएँ आज भी स्थानीय लोककथाओं में जीवित हैं। इन्हीं घटनाओं के चलते इस भूमि को ‘रक्तरंजित’ माना गया और माँ के स्वरूप को ‘रक्त चामुंडा’ के नाम से जाना जाने लगा। यही कारण है कि यह स्थल ‘रक्त पीठ’ के रूप में विख्यात हुआ और श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र बना।

    इतिहास में दर्ज कहानियाँ

    देवास टेकरी से जुड़ी कई ऐतिहासिक और लोककथात्मक मान्यताएँ मराठा शासन और देवास रियासत के राजाओं की माताजी के प्रति आस्था को दर्शाती हैं। कहा जाता है कि संकट के समय राजाओं ने माताजी की शरण ली, बलिदान दिए और युद्ध के समय माँ की कृपा से विजय प्राप्त की। कुछ लोककथाओं में यह भी उल्लेख मिलता है कि युद्ध में विजयी होने के बाद दुश्मनों के रक्त से भूमि रक्तरंजित हो जाती थी जिससे यह स्थान और भी पवित्र माना गया। हालांकि, इन घटनाओं के कोई ठोस ऐतिहासिक दस्तावेज उपलब्ध नहीं हैं। परंतु स्थानीय इतिहास और जनमानस में ये मान्यताएँ आज भी गहराई से रची-बसी हैं, जो देवास टेकरी की रहस्यमयी और आध्यात्मिक पहचान को और सुदृढ़ करती हैं।

    देवियों की उपस्थिति और तांत्रिक ऊर्जा

    देवास टेकरी पर मुख्य रूप से दो प्रमुख देवियों देवी (छोटी माँ) और तुलजा भवानी (बड़ी माँ) की पूजा होती है। यद्यपि कुछ स्थानीय श्रद्धालु काली और महाकाली जैसे अन्य देवी स्वरूपों की भी मान्यता रखते हैं, परंतु मंदिर स्वरूप में केवल दो ही माताओं के विधिवत मंदिर स्थापित हैं। ये दोनों देवियाँ उग्र और तांत्रिक स्वरूपों की प्रतीक मानी जाती हैं जिनका पूजन विशेष रूप से नवरात्रि और तांत्रिक पर्वों के अवसर पर विशिष्ट विधियों से किया जाता है। ऐतिहासिक और लोककथात्मक परंपराओं के अनुसार इस टेकरी पर साधारण पूजा के साथ-साथ तांत्रिक अनुष्ठानों की भी परंपरा रही है। अनेक साधक यहाँ हवन, साधना और रात्रिकालीन तांत्रिक क्रियाओं के लिए आते थे। इन कथाओं में रक्त पूजा, पशुबलि और कभी-कभी मानव बलि जैसे अति उग्र अनुष्ठानों का भी उल्लेख मिलता है। हालाँकि इनकी कोई ऐतिहासिक या प्रशासनिक पुष्टि नहीं है और ये अधिकतर लोकमान्यताओं एवं मौखिक परंपराओं पर आधारित वर्तमान समय में पशुबलि और रक्त पूजा जैसे सभी अनुष्ठान विधिक रूप से पूरी तरह निषिद्ध हैं। प्रशासन द्वारा इन पर सख्त प्रतिबंध लगाया गया है, जिससे धार्मिक गतिविधियाँ केवल शांति, श्रद्धा और सामाजिक मर्यादा के अनुरूप संपन्न हो सकें। अब यह स्थल संयमित और आध्यात्मिक पूजन की परंपराओं का प्रतीक बन चुका है।

    ऐतिहासिक साक्ष्य और लोककथाएं

    देवास का ऐतिहासिक स्वरूप दो रियासतों देवास सीनियर और देवास जूनियर में विभाजित था और इन दोनों राजघरानों की अपनी-अपनी कुलदेवी के प्रति गहरी श्रद्धा रही है। यही कारण है कि देवास टेकरी पर चामुंडा देवी (छोटी माँ) और तुलजा भवानी (बड़ी माँ) के दो अलग-अलग मंदिर स्थापित हैं, जिन्हें दोनों रियासतों के राजाओं ने समर्पण भाव से बनवाया था। लोककथाओं में यह भी कहा जाता है कि दोनों राजाओं के बीच राजनीतिक प्रतिस्पर्धा के चलते एक-दूसरे की देवी को रक्त चढ़ाने की शपथ जैसी घटनाएँ भी हुईं हालांकि इन कथाओं का कोई ऐतिहासिक दस्तावेजी प्रमाण उपलब्ध नहीं है। यह ‘ रक्त पीठ’ नामक मान्यता भी इसी पृष्ठभूमि से जुड़ी हुई है जो मुख्यतः जनश्रुति और आस्था पर आधारित है। इसके अतिरिक्त टेकरी से जुड़े कई भक्तों द्वारा रात्रिकालीन शंखध्वनि, रहस्यमयी आवाज़ें और अदृश्य शक्तियों की उपस्थिति का अनुभव भी साझा किया गया है। ऐसे अनुभव भारत के कई शक्तिपीठों की तरह यहां भी प्रचलित हैं। जो भक्तों की आस्था और आध्यात्मिक भावनाओं को और अधिक गहरा करते हैं।

    आधुनिक समय में बदलाव

    देवास टेकरी, जो लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है आज स्थानीय प्रशासन की सतत निगरानी और विकास के चलते एक सुव्यवस्थित धार्मिक स्थल बन चुकी है। यहाँ सुरक्षा, सफाई, भीड़ प्रबंधन, पेयजल, शौचालय, सीढ़ियों की मरम्मत, और रोप-वे जैसी सुविधाएँ लगातार बेहतर की जा रही हैं। पुलिस बल, स्वास्थ्य सेवाओं और सफाईकर्मियों की नियमित तैनाती से दर्शनार्थियों को सुरक्षित और आरामदायक अनुभव प्राप्त होता है। ‘रक्त पीठ’ की उपाधि, जो ऐतिहासिक और पौराणिक कथाओं से जुड़ी है, आज भी श्रद्धालुओं की आस्था और आकर्षण का स्रोत है। इसके अलावा अब यहाँ किसी प्रकार की तांत्रिक साधना या रक्त पूजा की परंपरा नहीं रही। यह स्थल अब केवल माँ की शांति, शक्ति और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है, जहाँ भक्तगण गहराई से अध्यात्म और आस्था का अनुभव करते हैं।

    कुछ प्रमुख आकर्षण और विशेषताएँ

    देवास टेकरी तक पहुँचने के लिए मुख्य रूप से सीढ़ियों का मार्ग उपलब्ध है जिसकी संख्या लगभग 410 है। इसके अतिरिक्त श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए एक ट्रैकिंग/पैदल मार्ग और आधुनिक रोप-वे की व्यवस्था भी की गई है। जिससे यह यात्रा न केवल सुगम होती है बल्कि श्रद्धा और तपस्या का अनुभव भी प्रदान करती है। नवरात्रि के अवसर पर यहाँ भव्य मेला और विविध धार्मिक आयोजन होते हैं, जिनमें भाग लेने के लिए देशभर से लाखों श्रद्धालु उमड़ पड़ते हैं। टेकरी पर स्थित यज्ञ कुंड में अखंड अग्नि निरंतर प्रज्वलित रहती है, जिसे माँ की कृपा, शक्ति और ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। यह स्थल केवल आस्था का केंद्र ही नहीं बल्कि गहन आध्यात्मिक साधना और सकारात्मक ऊर्जा का जीवंत स्रोत भी है।

    Share. Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleकांग्रेस में सीएम पोस्ट को लेकर बगावत तय! सिद्धारमैया से तनातनी के बीच डीके शिवकुमार ने बढ़ाई पार्टी की टेंशन
    Next Article 2027 में 2017 दोहराने का केशव मोर्य दे रहे हैं मंत्र, लेकिन 2022 को क्यों कर रहे दरकिनार?
    Janta Yojana

    Janta Yojana is a Leading News Website Reporting All The Central Government & State Government New & Old Schemes.

    Related Posts

    क्रिसमस पर लखनऊ के इन रेस्ट्रॉन्ट्स और होटल में मिलेगा ख़ास इंतज़ाम, इन डिशेस का लें यहाँ आनंद

    December 24, 2025

    Best Honeymoon Destinations: बेस्ट हनीमून डेस्टिनेशन, कम बजट में भी मिलेगा यूरोप वाला फील

    December 24, 2025

    New Year 2026: कम खर्च, डबल सेलिब्रेशन! न्यू ईयर पर सुबह-शाम का अलग रंग दिखाती हैं ये 5 जगहें

    December 23, 2025
    Leave A Reply Cancel Reply

    ग्रामीण भारत

    गांवों तक आधारभूत संरचनाओं को मज़बूत करने की जरूरत

    December 26, 2024

    बिहार में “हर घर शौचालय’ का लक्ष्य अभी नहीं हुआ है पूरा

    November 19, 2024

    क्यों किसानों के लिए पशुपालन बोझ बनता जा रहा है?

    August 2, 2024

    स्वच्छ भारत के नक़्शे में क्यों नज़र नहीं आती स्लम बस्तियां?

    July 20, 2024

    शहर भी तरस रहा है पानी के लिए

    June 25, 2024
    • Facebook
    • Twitter
    • Instagram
    • Pinterest
    ग्राउंड रिपोर्ट

    मूंग की फसल पर लगा रसायनिक होने का दाग एमपी के किसानों के लिए बनेगा मुसीबत?

    June 22, 2025

    केरल की जमींदार बेटी से छिंदवाड़ा की मदर टेरेसा तक: दयाबाई की कहानी

    June 12, 2025

    जाल में उलझा जीवन: बदहाली, बेरोज़गारी और पहचान के संकट से जूझता फाका

    June 2, 2025

    धूल में दबी जिंदगियां: पन्ना की सिलिकोसिस त्रासदी और जूझते मज़दूर

    May 31, 2025

    मध्य प्रदेश में वनग्रामों को कब मिलेगी कागज़ों की कै़द से आज़ादी?

    May 25, 2025
    About
    About

    Janta Yojana is a Leading News Website Reporting All The Central Government & State Government New & Old Schemes.

    We're social, connect with us:

    Facebook X (Twitter) Pinterest LinkedIn VKontakte
    अंतराष्ट्रीय

    पाकिस्तान में भीख मांगना बना व्यवसाय, भिखारियों के पास हवेली, स्वीमिंग पुल और SUV, जानें कैसे चलता है ये कारोबार

    May 20, 2025

    गाजा में इजरायल का सबसे बड़ा ऑपरेशन, 1 दिन में 151 की मौत, अस्पतालों में फंसे कई

    May 19, 2025

    गाजा पट्टी में तत्काल और स्थायी युद्धविराम का किया आग्रह, फिलिस्तीन और मिस्र की इजरायल से अपील

    May 18, 2025
    एजुकेशन

    मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई ने माहेश्वरी प्रसाद इंटर कॉलेज के वार्षिक समारोह में किया शिरकत, गरीब बच्चों की शिक्षा पहल की खुले दिल से प्रशंसा की

    November 1, 2025

    Doon Defence Dreamers ने मचाया धमाल, NDA-II 2025 में 710+ छात्रों की ऐतिहासिक सफलता से बनाया नया रिकॉर्ड

    October 6, 2025

    बिहार नहीं, ये है देश का सबसे कम साक्षर राज्य – जानकर रह जाएंगे हैरान

    September 20, 2025
    Copyright © 2017. Janta Yojana
    • Home
    • Privacy Policy
    • About Us
    • Disclaimer
    • Feedback & Complaint
    • Terms & Conditions

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.