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    Home » Shree Yantra Temple History: क्या आपने देखा है अमरकंटक का अनोखा श्री यंत्र मंदिर? एक अनोखा तीर्थ जहाँ होती है यंत्र की पूजा
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    Shree Yantra Temple History: क्या आपने देखा है अमरकंटक का अनोखा श्री यंत्र मंदिर? एक अनोखा तीर्थ जहाँ होती है यंत्र की पूजा

    Janta YojanaBy Janta YojanaJuly 13, 2025No Comments8 Mins Read
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    Amarkantak Shree Yantra Temple History

    Amarkantak Shree Yantra Temple History

    Amarkantak Shree Yantra Temple History: भारत एक ऐसा देश है जहाँ आस्था और रहस्य साथ-साथ चलते हैं। यहाँ के मंदिर केवल पूजा-अर्चना के स्थल नहीं बल्कि इतिहास, वास्तुशिल्प, खगोलीय गणनाओं और गूढ़ रहस्यों का केंद्र भी होते हैं। ऐसा ही एक रहस्यमयी और अद्भुत मंदिर है – श्री यंत्र मंदिर। रहस्यमयी श्री यंत्र मंदिर, जो न केवल पर्यटकों बल्कि साधकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र है। इस मंदिर की अद्भुत वास्तुकला, तांत्रिक महत्व और शांत आध्यात्मिक वातावरण इसे विशिष्ट बनाते हैं। प्रकृति की गोद में बसे अमरकंटक को जहां एक ओर प्राकृतिक सौंदर्य के लिए सराहा जाता है, वहीं दूसरी ओर श्री यंत्र मंदिर इसे एक गहरे आध्यात्मिक और रहस्यमयी आयाम में स्थापित करता है। यह मंदिर न केवल आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण है बल्कि इसकी संरचना, रहस्यमयी घटनाएँ और श्री यंत्र की उपस्थिति इसे एक चमत्कारी स्थल बनाती हैं।

    आइए जानें इस मंदिर से जुड़े इतिहास, वास्तुशिल्प, धार्मिक महत्व और रहस्यों के बारे में विस्तार से।

    श्री यंत्र क्या है?

    श्री यंत्र जिसे श्री चक्र भी कहा जाता है, एक अत्यंत रहस्यमयी और शक्तिशाली ज्यामितीय संरचना है जो देवी त्रिपुरा सुंदरी का प्रतीक मानी जाती है। यह यंत्र नौ त्रिकोणों से निर्मित होता है – पांच नीचे की ओर और चार ऊपर की ओर, जो आपस में इस तरह जुड़ते हैं कि कुल मिलाकर 43 छोटे त्रिकोणों का एक जाल बनता है। इस जाल के चारों ओर तीन वृत्त और एक वर्गाकार भूपुर होता है जिसमें चार प्रवेश द्वार होते हैं। श्री यंत्र को तांत्रिक साधनाओं में अत्यंत प्रभावशाली माना गया है और यह धन, सौभाग्य, शक्ति, और आध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक होता है। इसे घर, मंदिर या साधना स्थल में स्थापित कर पूजा करने से मानसिक शांति, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है। खासकर श्री विद्या साधना और शक्ति उपासना में इसका विशेष महत्व है।

    श्री यंत्र मंदिर कहाँ स्थित है?

    अमरकंटक(Amarkantak), मध्यप्रदेश(Madhya Pradesh)के अनूपपुर जिले(Anuppur District)में स्थित एक अत्यंत पावन और सुंदर पर्वतीय क्षेत्र है जिसे ‘तीर्थराज’ की उपाधि प्राप्त है। यह स्थान नर्मदा, सोन और जोहिला जैसी तीन पवित्र नदियों का उद्गम स्थल होने के कारण धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यहीं पर स्थित है रहस्यमयी श्री यंत्र मंदिर, जो न केवल पर्यटकों बल्कि साधकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र है। इस मंदिर की अद्भुत वास्तुकला, तांत्रिक महत्व और शांत आध्यात्मिक वातावरण इसे विशिष्ट बनाते हैं। प्रकृति की गोद में बसे अमरकंटक को जहां एक ओर प्राकृतिक सौंदर्य के लिए सराहा जाता है। वहीं दूसरी ओर श्री यंत्र मंदिर इसे एक गहरे आध्यात्मिक और रहस्यमयी आयाम में स्थापित करता है।

    श्री यंत्र मंदिर – रहस्य और शक्ति का मिलन

    मंदिर की स्थापत्य कला – अमरकंटक स्थित श्री यंत्र मंदिर की वास्तुकला पारंपरिक मंदिरों से बिल्कुल अलग है। यह बहुभुजाकार (Polygonal) संरचना तीन मंजिलों वाली है और इसकी पूरी बनावट श्री यंत्र की रहस्यमयी ज्यामितीय आकृति पर आधारित है। ऊपर से देखने पर यह मंदिर ठीक उसी प्रकार दिखाई देता है जैसे श्री यंत्र। मंदिर के केंद्र में एक विशाल श्री यंत्र खुदा हुआ है, जिसे पूजा का केंद्र माना जाता है। इस मंदिर में किसी देवी-देवता की पारंपरिक मूर्ति या विग्रह नहीं है, बल्कि स्वयं श्री यंत्र ही उपासना का प्रमुख माध्यम है जो इसे अद्वितीय बनाता है।

    मंदिर का निर्माण – श्री यंत्र मंदिर का निर्माण कार्य 1991 में प्रारंभ हुआ था हालांकि यह मंदिर अब तक पूर्ण रूप से तैयार नहीं हुआ है। इस मंदिर का निर्माण कार्य 30 वर्षों से अधिक समय से चल रहा है और इसे गुरु पुष्य नक्षत्र में ही किया जाता है, जो एक शुभ मुहूर्त माना जाता है। इसके निर्माण में ज्यामिति, वास्तुशास्त्र और खगोलीय गणनाओं का गहन अध्ययन किया गया है। मंदिर की दिशा पारंपरिक उत्तरमुखी न होकर खगोलीय गणनाओं और ऊर्जात्मक प्रवाह को ध्यान में रखते हुए निर्धारित की गई है। तांत्रिक विद्वानों और साधकों की सलाह से इसे एक ऊर्जा केंद्र के रूप में विकसित किया गया है जो आध्यात्मिक साधना और विज्ञान का संगठित रूप प्रतीत होता है।

    वास्तुशिल्प और संरचना – यह मंदिर श्री यंत्र (या श्री चक्र) की त्रिआयामी संरचना के रूप में बनाया जा रहा है, जो हिन्दू तांत्रिक परंपरा में ब्रह्मांड का प्रतीक है। मंदिर का मुख्य द्वार चार दिशाओं में चार देवियों के मुखों के साथ बनाया गया है जिनमें माँ सरस्वती (पूर्व), माँ काली (दक्षिण), माँ भुवनेश्वरी (उत्तर), और माँ लक्ष्मी (पश्चिम)। द्वार के नीचे 64 योगिनियों की मूर्तियाँ भी हैं।

    बिना स्तंभ की संरचना – श्री यंत्र मंदिर की सबसे चौंकाने वाली विशेषता यह है कि इसकी विशाल संरचना पूरी तरह से बिना किसी आंतरिक स्तंभ (सपोर्टिंग पिलर) के बनी हुई है। यह न केवल वास्तुकला का एक आश्चर्यजनक नमूना है बल्कि इंजीनियरिंग की दृष्टि से भी अत्यंत प्रशंसनीय उपलब्धि है। यह तकनीकी उत्कृष्टता का जीता-जागता उदाहरण है जिसे देखने के लिए देश-विदेश से पर्यटक, वास्तुविद और शोधकर्ता आते हैं और इसकी रचना प्रणाली की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हैं।

    श्री यंत्र मंदिर से जुड़ी आध्यात्मिक मान्यताएँ

    ऊर्जा का केंद्र – अमरकंटक का श्री यंत्र मंदिर एक अत्यंत शक्तिशाली ऊर्जा केंद्र माना जाता है, जहाँ साधना और ध्यान करने से साधकों को गहन आत्मिक अनुभव और चेतना में परिवर्तन की अनुभूति होती है। यह स्थान शक्तिपीठों जैसी ऊर्जाओं से भरपूर माना जाता है जिससे साधकों को विशेष रूप से तंत्र साधना और ध्यान में अत्यधिक लाभ मिलता है। श्री यंत्र की पवित्र ज्यामिति और ऊर्जा संरचना इसे एक दिव्य ऊर्जा क्षेत्र बनाती है, जो साधना को प्रभावशाली और फलदायी बनाता है।

    सिद्ध साधकों का निवास – स्थानीय जनश्रुतियों और किंवदंतियों के अनुसार, अमरकंटक की यह रहस्यमयी भूमि प्राचीन काल से ही तांत्रिकों, योगियों और सिद्ध साधकों की साधना स्थली रही है। ऐसा माना जाता है कि आज भी अनेक सिद्ध पुरुष यहाँ अदृश्य रूप में तपस्यारत हैं। यह मान्यता भारत के अनेक शक्ति स्थलों के साथ जुड़ी होती है और श्री यंत्र मंदिर को भी उसी रहस्यमयी और तपस्वी परंपरा का भाग माना जाता है, जो इसकी आध्यात्मिक महत्ता को और गहरा करती है।

    मंत्र सिद्धि और ध्यान का स्थान – श्री यंत्र मंदिर को तांत्रिक और वैदिक साधनाओं के लिए एक अत्यंत उपयुक्त और पवित्र स्थान माना जाता है। विशेष रूप से ललिता सहस्रनाम, श्रीसूक्त और श्रीविद्या साधना जैसे मंत्रों की सिद्धि के लिए यह स्थल अत्यंत प्रभावशाली माना गया है। श्री यंत्र स्वयं श्रीविद्या उपासना का प्रमुख साधन है और इस मंदिर में साधना करने से मंत्र सिद्धि, गहन ध्यान, और आत्मिक उन्नति प्राप्त करने की मान्यता है। यही कारण है कि अनेक साधक यहां साधना हेतु आकर्षित होते हैं।

    श्री यंत्र मंदिर के प्रमुख आकर्षण

    श्री यंत्र की भूमिगत संरचना – श्री यंत्र मंदिर के भीतर भूमि पर अंकित विशाल श्री यंत्र इसकी सबसे रहस्यमयी और आकर्षक विशेषता है। इसकी ज्यामितीय सटीकता और गहराई से तराशे गए स्वरूप को देखकर ऐसा प्रतीत होता है मानो यह आकृति स्वयं धरती से प्रकट हुई हो। हालांकि यह मानव निर्मित है लेकिन इसकी रहस्यमयी संरचना और ऊर्जा प्रभाव के कारण लोग इसे चमत्कारी अनुभव करते हैं।

    मौन और शांति का वातावरण – जैसे ही कोई व्यक्ति श्री यंत्र मंदिर के भीतर प्रवेश करता है उसे एक गहरी शांति, सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक मौन का अनुभव होता है। यह स्थान विशेष रूप से ध्यान, आत्मचिंतन और साधना के लिए आदर्श माना जाता है। मंदिर का वातावरण इतनी शांति से भरपूर है कि साधक अपनी आंतरिक यात्रा में सहजता से प्रवेश कर सकते हैं। यहाँ का हर कोना ऊर्जा और सन्नाटे से भरकर एक अलौकिक साधना स्थल का आभास कराता है।

    मंदिर का वास्तु सौंदर्य – श्री यंत्र मंदिर की अनूठी वास्तुकला न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से प्रभावशाली है बल्कि वैज्ञानिक और कलात्मक दृष्टिकोण से भी अत्यंत रोचक है। इसकी बहुभुजाकार संरचना, स्तंभ रहित विशालता, और श्री यंत्र पर आधारित ज्यामितीय डिज़ाइन वास्तुकला प्रेमियों, शोधकर्ताओं और इंजीनियरिंग के विद्यार्थियों को भी आकर्षित करती है। यह मंदिर एक ऐसा स्थान है जहाँ विज्ञान और अध्यात्म एक साथ देखने को मिलते हैं, जो इसे एक अद्वितीय तीर्थस्थल बनाता है।

    श्री यंत्र मंदिर के वैज्ञानिक पहलू

    श्री यंत्र मंदिर रहस्य, विज्ञान और अध्यात्म का एक अद्भुत संगम प्रस्तुत करता है। इसकी संरचना में त्रिकोण, वृत्त और वर्ग जैसी ज्यामितीय आकृतियाँ इतनी सटीकता से संयोजित की गई हैं कि यह स्थान एक सशक्त ऊर्जा केंद्र के रूप में देखा जाता है। यह माना जाता है कि इस विशेष संरचना के माध्यम से ऊर्जा का प्रवाह संतुलित होता है और वह साधक के भीतर केंद्रित होती है। कई वास्तुविद और शोधकर्ता इसे एक प्रकार का रेज़ोनेंस डिवाइस मानते हैं, जो आसपास की ऊर्जा को संतुलित कर सकारात्मक प्रभाव उत्पन्न करता है। हालाँकि यह अवधारणा अभी मुख्यधारा विज्ञान में पूर्णतः प्रमाणित नहीं है फिर भी वास्तुशास्त्र और तांत्रिक सिद्धांतों में इसे ऊर्जा संतुलन और ध्यान के लिए अत्यंत प्रभावशाली माना गया है। इसके अलावा मंदिर की संरचना मंत्रोच्चारण से उत्पन्न ध्वनि तरंगों को इस तरह परावर्तित और केंद्रित करती है कि साधक को गहन ध्यान और ऊर्जा का अनुभव होता है। यही कारण है कि श्री यंत्र मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं बल्कि एक जीवित ऊर्जा प्रयोगशाला की तरह भी देखा जाता है।

    कैसे पहुँचे श्री यंत्र मंदिर?

    रेल द्वारा – निकटतम रेलवे स्टेशन पेंड्रा रोड (30 किमी) या अनूपपुर (75 किमी) है। यहाँ से टैक्सी या बस द्वारा पहुँचा जा सकता है।

    सड़क मार्ग – अमरकंटक सड़क मार्ग से शहडोल, जबलपुर, बिलासपुर और रायपुर से जुड़ा हुआ है।

    हवाई मार्ग – निकटतम हवाई अड्डा जबलपुर है, जो लगभग 230 किमी दूर है।

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