
Sri Lanka Famous Divurumpola Ancient Temple History (Image Credit-Social Media)
Sri Lanka Famous Divurumpola Ancient Temple History (Image Credit-Social Media)
Sri Lanka Divurumpola Temple History: भारत के रामायण वीरकाव्य की गाथा केवल भारत तक सीमित नहीं है बल्कि श्रीलंका की धरती पर भी कई ऐसे स्थान है जो इसकी गवाही देते है। इन्ही ऐतिहासिक स्थानों में से एक है दिवुरुम्पोला मंदिर (Divurumpola Temple), जिसका इतिहास माता सीता की अग्नि परीक्षा (Agni Pariksha) से जुड़ा हुआ माना जाता है। यह स्थल रामायण काल की एक ऐतिहासिक गवाही देता है जहां माता सीता ने अग्नि देव को साक्षी मानकर शपथ ली थी।
यह मंदिर श्रीलंका के उवा प्रांत (Uva Province) के नुवारा एलिया जिले के बंदरवेला (Bandarawela) के पास स्थित है। इसिलए यहाँ आने वाले श्रद्धालु सिर्फ किसी धार्मिक स्थल के दर्शन नहीं करते बल्कि इतिहास, आध्यात्मिकता और सभ्यता के सम्मेलन को भी अनुभव करते हैं।
दिवुरुम्पोला नाम का अर्थ

श्रीलंका में स्थित दिवुरुम्पोला ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण स्थल है। दिवुरुम्पोला का अर्थ सिंहली भाषा में ‘शपथ का स्थान’ होता है। यह स्थान रामायण कल के उस घटनाक्रम से जुड़ा है जब माता सीता ने अग्निपरीक्षा दी थी। मान्यता के अनुसार रावण की कैद से मुक्त होने के बाद माता सीता ने भगवान श्रीराम के समक्ष अपनी शपथ इसी स्थान पर ली थी। इसलिए यह स्थान अलौकिक निष्ठा और सत्यपरायणता का प्रतीक भी माना जाता है। जहाँ आज भी श्रद्धालु सीता माता की श्रद्धा और वीरता की स्मरण में भाव प्रसून समर्पित करते हैं।
रामायण से संबंध
इस मंदिर की कहानी रामायण काल से जुडी है । वाल्मीकि रामायण के अनुसार रावण के वध और लंका पर विजय प्राप्त करने के बाद जब भगवान राम ने माता सीता पर संशय किया, तो यह घटना माता सीता के लिए अत्यंत पीड़ापूर्ण थी। ऐसे में अपनी भक्ति का प्रमाण देने हेतु माता सीता ने अग्निदेव के समक्ष अग्निपरीक्षा देने का निर्णय लिया।यह वही संदर्भ है जिसमें अग्निदेव ने स्वयं प्रकट होकर माता सीता के निष्ठा की गवाही दी थी ।
श्रीलंका स्थित ‘दिवुरुम्पोला’ नामक स्थल इसी घटना से संबंधित जाता है, जहाँ माता सीता ने शपथ लेते हुए भगवान राम के संदेह पर प्रश्नचिन्ह लगाया था । वर्तमान समय में यहां एक मंदिर स्थित है जो इस ऐतिहासिक घटना के स्मरण में बना है । जिस कारण यह स्थल रामायण के उपासकों के लिए एक पवित्र तीर्थ के रूप में सम्मानित है। यद्यपि रामायण के भिन्न संस्करणों में कुछ घटनाओं के विवरण में अंतर मिलता है, फिर भी दिवुरुम्पोला मंदिर का संबंध माता सीता की अग्निपरीक्षा और शपथ से जोड़ा जाना धार्मिक विश्वास में एक विशिष्ट स्थान रखता है।
मंदिर का स्थापत्य और धार्मिक संरचना

दिवुरुम्पोला मंदिर का स्थापत्य और माहौल रूढ़िवादी सिंहली वास्तुकला का एक अद्भुत उदाहरण हैं, जिसमें हिंदू और बौद्ध दोनों धार्मिक रीति-रिवाजों की गहन छाप देखने को मिलती है। यह मंदिर श्रीलंका के उन नायाब स्थलों में से एक है, जहाँ सांस्कृतिक मिश्रण स्पष्ट रूप से दिखता है। मंदिर परिसर में एक विशेष स्थान को चिन्हित किया गया है, जिसे वह स्थान माना जाता है जहाँ माता सीता ने अग्निदेव को साक्षी मानकर शपथ ली थी। इसके अलावा परिसर में एक पुरातन बोधि वृक्ष भी स्थित है जो बौद्ध संस्कार का प्रतीक है। मंदिर के अंदर एक कक्ष में भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण की मूर्तियाँ स्थापित हैं और संपूर्ण स्थल एक शांतिमय तथा दिव्य ऊर्जा से परिपूर्ण प्रतीत होता है। हालांकि मंदिर के वास्तुशिल्प और मूर्तियों के विस्तृत विवरण को लेकर ऐतिहासिक जानकारी सीमित हैं, फिर भी यह मंदिर धार्मिक और सांस्कृतिक पूर्णता का अद्वितीय उदहारण है ।
मंदिर के प्रमुख दर्शनीय स्थान और आकर्षण
शपथ स्थल – दिवुरुम्पोला मंदिर को रामायण की प्रसिद्ध अग्निपरीक्षा घटना से जोड़ा जाता है जहाँ माता सीता ने अपनी निष्ठां को सिद्ध किया था । इस घटना के साक्ष्यों के स्वरुप मंदिर में कई विशेष पत्थर या स्थल चिन्हित किए गए है, जो भक्तों की आस्था और विश्वास का केंद्र हैं।
स्मृति शिलालेख और चित्र प्रदर्शनी – रामायण से जुड़े धार्मिक स्थलों में अक्सर कथा से संबंधित घटनाओं को चित्रों, मूर्तियों और शिलालेखों के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता है। दिवुरुम्पोला मंदिर परिसर में भी ऐसीही व्यवस्था होने की बात लोकप्रिय है जहाँ पर्यटकों को रामायण की घटनाओं की झलक देखने को मिलती है।
प्राकृतिक सौंदर्य और आध्यात्मिक शांति – दिवुरुम्पोला मंदिर श्रीलंका के हरे-भरे पहाड़ों और शांत वातावरण के बीच मौजूद है, जो इसे अत्यंत आकर्षक और शांतिप्रिय बनाता है। ऐसे में प्राकृतिक नज़रों से परिपूर्ण यह स्थान न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बिंदु भी हैं। दिवुरुम्पोला का परिवेश भक्तों को आत्मिक शांति का अनुभव प्रदान करता है तथा उन्हें एक ईश्वरीय ऊर्जा से भी जोड़ता है।
दिवुरुम्पोला मंदिर का ऐतिहासिक महत्व

रामायणकाल से जुड़े पौराणिक स्थल या मंदिर ‘रामायण ट्रेल’ का हिस्सा है और दिवुरुम्पोला मंदिर उन्ही में से एक है जिसे श्रीलंका सरकार और पर्यटन विभाग द्वारा विशेष सुरक्षा और संवर्धन प्राप्त है। यह स्थल न केवल धार्मिक बल्कि ऐतिहासिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। रामायण ट्रेल का उद्देश्य पर्यटकों और श्रद्धालुओं को उन स्थलों की यात्रा कराना है, जो रामायणकाल की घटनाओं से जुड़े है। जिसका उद्देश्य भक्तों या पर्यटकों को इस महान ग्रंथ की सजीव अनुभूति प्रदान करना है । इसके अलावा ऐसे स्थल भारत और श्रीलंका के बीच सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संबंधों को अधिक सुसंगठित बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है । और दिवुरुम्पोला मंदिर इन स्थलों में एक सक्षम सांस्कृतिक पुल की भूमिका पूर्ण करता है।
कैसे पहुँचें दिवुरुम्पोला मंदिर
दिवुरुम्पोला मंदिर श्रीलंका के उवा प्रांत के नुवारा एलिया जिले के बंदरवेला (Bandarawela) और वेलावाया (Wellawaya) के बीच स्थित है। यह मंदिर एक पर्वतीय क्षेत्र में है और यहाँ पहुँचने के लिए हवाई, रेल और सड़क मार्गों से पहुँचा जा सकता है ।
भारत के प्रमुख शहरों जैसे चेन्नई से श्रीलंका की राजधानी कोलंबो
(Bandaranaike International Airport) के लिए नियमित उड़ानें उपलब्ध हैं, जो लगभग 1.5 घंटे तक की होती हैं। कोलंबो से दिवुरुम्पोला मंदिर लगभग 200 – 220 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस दूरी को कोलंबो से बंदरवेला या नुवारा एलिया तक रेल या बस द्वारा तय किया जा सकता है । इसके अलावा कोलंबो से बंदरवेला तक लगभग 8 -10 घंटे में ट्रेन यात्रा पूरी होती है।इस दौरान मार्ग में खूबसूरत पहाड़ और हरियाली से भरपूर मार्ग सफ़र को और भी आकर्षक बनाता है । बंदरवेला रेलवे स्टेशन से 20 – 25 मिनट में मंदिर तक टैक्सी, ऑटो या लोकल बस से पहुँचा जा सकता है। नुवारा एलिया या बंदरवेला से मंदिर तक का सड़क मार्ग भी हरियाली और टेढ़ी-मेढ़ी पहाड़ियों से भरपूर है जो पर्यटकों को सुकूनभरा अनुभव प्रदान करता है ।