
Sasaram Monsoon Tourism: वर्तमान समय में शिक्षा रोजगार और विकास के क्षेत्र में काफी पिछड़ा माने जाने वाला भारत का एक चर्चित राज्य बिहार की कभी यही सारी खूबियां इसकी वैश्विक पहचान थीं। इसे पहले मगध के नाम से जाना जाता था और इसकी राजधानी पटना को पाटलिपुत्र कहा जाता था। यह क्षेत्र भारत के इतिहास में एक बेहद शक्तिशाली और प्रमुख साम्राज्य रहा है।
बिहार में नालंदा प्राचीन मगध (आधुनिक बिहार) का एक प्रसिद्ध बौद्ध मठ और शिक्षा का केंद्र था, जिसे अब नालंदा जिला कहा जाता है। यह विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त है और प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय 5वीं शताब्दी से 12वीं शताब्दी तक विश्व का एक प्रमुख शिक्षण केंद्र था। यह राज्य केवल बौद्ध धर्म ही नहीं, बल्कि जैन धर्म, सूफीवाद और हिंदू धर्म के विकास का भी केंद्र रहा है।
इसी के साथ पर्यटन के मामले में भी बिहार विश्व पटल पर अपनी खास पहचान रखता है। बिहार में शीर्ष पर्यटन स्थलों में बौद्ध सर्किट, सिख सर्किट, इको सर्किट, जैन सर्किट, गांधी सर्किट, रामायण सर्किट, सूफी सर्किट आदि सहित 8 प्रमुख सर्किट हैं। इसके अलावा कई प्राकृतिक दर्शनीय स्थल सैलानियों के आकर्षण का केंद्र माने जाते हैं। जहां खासतौर से बरसात का मौसम आते ही प्राकृतिक मनोरम सौंदर्य देखते ही बनता है। बिहार घूमने का मन बना रहे हैं, तो सासाराम
बारिश की फुहारों के बीच पहाड़ों और झरनों की सैर करना, किसी सपनों की दुनिया में कदम रखने जैसा अहसास कराता है। आइए जानते हैं
सासाराम में मौजूद प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों के बारे में –
प्रकृति का खूबसूरत तोहफा मंझर कुंड झरना –

मानसून की शुरुआत होते ही सासाराम का नाम सबसे पहले मंझर कुंड वाटरफॉल से जोड़ा जाता है। शहर से लगभग 15 किलोमीटर दूर कैमूर की पर्वतमाला में यह झरना मानो प्रकृति का तोहफ़ा है। करीब 15 फीट की ऊंचाई से गिरता पानी जब चट्टानों पर गिरता है, तो उसकी गूंज पूरे इलाके में फैल जाती है। बारिश के मौसम में यहां का नजारा ऐसा लगता है जैसे आसमान से किसी ने दूधिया चादर बिछा दी हो। लोग यहां बारोमहीने परिवार और दोस्तों के साथ पिकनिक मनाने आते हैं और झरने की ठंडी फुहारों के बीच मस्ती करते हैं। यह जगह सासाराम का दिल है, जहां हर कोई मानसून में जरूर पहुंचना चाहता है।
रहस्य और इतिहास का मेल है सासाराम की गुफाएं
सासाराम की पहचान सिर्फ झरनों से नहीं, बल्कि इसकी गुफाओं से भी है। कैमूर की पहाड़ियों के बीच स्थित ये गुफाएं आपको एक रोमांचक यात्रा पर ले जाती हैं। बारिश की बूंदों से भीगी चट्टानों और हरियाली के बीच ये प्राचीन गुफाएं किसी रहस्यमयी लोक जैसी प्रतीत होती हैं।
इतिहासकार बताते हैं कि यहां दो तरह की गुफाएं मौजूद हैं। एक में शेरशाह सूरी का मकबरा है, जो उनकी विरासत और शौर्य की याद दिलाता है। दूसरी प्राकृतिक गुफाएं हैं, जिनमें सम्राट अशोक के शिलालेख आज भी दर्ज हैं। मानसून के मौसम में जब इन गुफाओं के आसपास बादलों की परत छा जाती है और भीतर हल्की नमी के साथ अंधेरा छा जाता है। सूरज ढलते ही यहां का माहौल थोड़ा डरावना लग सकता है, इसलिए लोग दिन में ही यहां घूमने आना पसंद करते हैं।
बादलों के बीच खो जाने जैसा एहसास दिलाता है धुआं कुंड झरना –

अगर आप बारिश का असली जादू देखना चाहते हैं, तो धुआं कुंड वाटरफॉल की सैर जरूर करें। यह झरना सासाराम से करीब 15 किलोमीटर दूर कैमूर की पहाड़ियों में स्थित है। यहां लगभग 130 फीट की ऊंचाई से जब पानी नीचे गिरता है, तो बूंदें हवा में धुंध का रूप ले लेती हैं। यही कारण है कि इसे धुआं कुंड कहा जाता है। मानसून के दिनों में जब यह झरना पूरे वेग से बहता है, तो ऐसा लगता है जैसे आसमान से कोई बादल उतरकर जमीन पर आ गया हो। यहां का नज़ारा इतना अलौकिक होता है कि लोग दूर-दूर से सिर्फ इसे देखने आते हैं और अपनी आंखों में कैद कर लेते हैं।
दिन का सबसे खूबसूरत पल है बुधन सनसेट पॉइंट –
मानसून के मौसम में जब आसमान काले बादलों से ढका होता है और बीच-बीच में हल्की धूप बादलों के बीच से झांकती है, तो बुधन सनसेट पॉइंट का अनुपम नजारा देखते ही बनता है। मंझर कुंड वाटरफॉल से थोड़ी ही दूरी पर स्थित यह जगह सासाराम की सबसे रोमांटिक स्थल कही जा सकती है।
शाम होते ही यहां लोग इकट्ठा होते हैं और जैसे ही सूरज पहाड़ियों में समाने लगता है, पूरी घाटी सुनहरी रोशनी से नहा उठती है। यही वजह है कि यह पॉइंट फोटोग्राफी के शौकीनों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं।
झील के बीच खड़ा गौरव शेरशाह सूरी का मकबरा-
सासाराम की पहचान शेरशाह सूरी के मकबरे से भी है। झील के बीचोबीच खड़ा यह मकबरा स्थापत्य कला की उत्कृष्ट मिसाल मानी जाती है। मानसून में जब बारिश से इस मकबरे की दीवारें चमक उठती हैं तब यहां का नजारा देखने लायक होता है।
खासतौर से इतिहास प्रेमियों के लिए यह स्थान किसी खजाने से कम नहीं है। यहां आकर आप किसी किताब के पन्नों में खो सकते हैं, जहां हर ईंट अतीत की गवाही देती है।
सासाराम कैसे पहुंचे
सासाराम पहुंचना बेहद आसान है। निकटतम एयरपोर्ट पटना है, जो करीब 169 किलोमीटर दूर है। वहां से टैक्सी या कैब लेकर आप आराम से सासाराम पहुंच सकते हैं। रेलमार्ग से भी यह शहर बिहार के ज्यादातर हिस्सों से जुड़ा हुआ है और पटना से यहां नियमित ट्रेनें चलती हैं। सड़क मार्ग की बात करें तो पटना समेत बिहार के बड़े शहरों से बस सेवाएं उपलब्ध रहती हैं और लगभग 4 से 5 घंटे में आप यहां पहुंच सकते हैं। अगर आप इस मानसून में कोई ऐसी जगह ढूंढ रहे हैं, जहां इतिहास और प्रकृति दोनों का संगम हो, तो सासाराम से बेहतर कुछ नहीं। यहां का हर कोना आपको अलग अनुभव देगा। एक बार यहां की सैर करने के बाद आप भी यही कहेंगे कि मानसून में सासाराम सचमुच किसी जन्नत से कम नहीं है।