
Hindi Marathi Language Controversy: मुंबई में एक बार फिर भाषा को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। अब अंधेरी मेट्रो स्टेशन पर भाषा विवाद से जुड़ा एक मामला सामने आया है। यहां पर एक दीवार पर विज्ञापन लगा हुआ था, जो हिंदी में था। बस यही बात मनसे कार्यकर्ताओं को बर्दाश्त नहीं हुई, और हंगामा हो गया।
मनसे कार्यकर्ताओं ने जैसे ही यह “हिंदी विज्ञापन” देखा, तुरंत मोर्चा खोल दिया। किसी ने कालिख पोती, किसी ने बोर्ड तोड़ डाला। उनके मुताबिक मुंबई की हवा-पानी में सिर्फ मराठी ही बहनी चाहिए, हिंदी जैसी “बाहरी भाषा” यहां विज्ञापन में भी बर्दाश्त नहीं।
भाषा को लेकर मनसे नेताओं की चेतावनी
मनसे नेताओं ने तो साफ कह दिया कि “भाई, हिंदी में विज्ञापन लगाने की गलती मत करना, वरना बोर्ड का वही हाल होगा जो आज अंधेरी स्टेशन पर हुआ।” अब जाहिर है, विज्ञापन वाले भी सोच रहे होंगे कि कहीं अगले महीने “कपड़ों की सेल” या “जूस का नया फ्लेवर” का बोर्ड लगाने पर भी सियासी धरना न हो जाए।
एक पदाधिकारी ने तो गर्व से कहा कि “मैं हिंदी बोर्ड का विरोध करता हूं। महाराष्ट्र की भाषा मराठी है, यहां वही चलेगी।” सुनकर ऐसा लगा मानो कोई बड़ा राजपत्र जारी हो गया हो और अब से मराठी के अलावा हर बोर्ड पर ताला लग जाएगा।
क्या है मराठी-हिंदी भाषा विवाद?
बता दें कि यह विवाद जुलाई महीने से शुरू हुआ, जब शिवसेना (यूबीटी) चीफ उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र निवनिर्माण सेना चीफ राज ठाकरे ने एक रैली की थी। इसमें दोनों ने मराठी भाषा को लेकर एकता दिखाते हुए मराठी बोलने की अनिवार्यता बताई। राज ठाकरे ने कहा कि यहां चाहे गुजराती हो, या कोई और, उसे मराठी आनी ही चाहिए। अगर कोई शख्स मराठी नहीं बोलता है या ड्रामा करता है तो कान के नीचे लगाओ, लेकिन वीडियो बनाकर प्रचार मत करो। वहीं उद्धव ठाकरे का कहना था कि अगर न्याय के लिए गुंडागर्दी करनी पड़ी, तो हम गुंडे बनने के लिए भी तैयार है।